कलाकार की मौत का राजनीतिकरण

कलाकार की मौत का राजनीतिकरण

मुंबई। भारतीय जनता पार्टी में कला संस्कृति प्रकोष्ठ के बिहार संयोजक वरुण कुमार सिंह ने सुशांत सिंह की तस्वीर साझा करते हुए कहा कि 'न भूले हैं, न भूलने देंगे'। तस्वीर के ऊपर जस्टिस फॉर सुशांत लिखा है। वरुण कुमार सिंह का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने के लिए वो पिछले 16 जून से ही अभियान चला रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि 14 जून की घटना के बाद से सुशांत को इंसाफ दिलाने के लिए उनके अलावा करणी सेना ने भी स्टीकर और मास्क बनाकर लोगों को बांटे है।

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत आत्महत्या को लगभग तीन महीने होने को हैं और इन तीन महीनों में 3000 एंगल सामने आ चुके हैं। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या मामले में बिहार की राजनीति गर्म है। जांच को लेकर बिहार व मुंबई पुलिस कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। बिहार सरकार ने आत्महत्या की सीबीआई जांच की मांग कर मुंबई पुलिस को मात देने की कोशिश की थी। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले में कभी डिप्रेशन का मुद्दा चर्चा में रहा कभी बड़े-बड़े कलाकार व निदेशकों पर नेपोटिज्म के आरोप लगे, कभी बॉलीवुड में अंडरवल्र्ड, तो कभी रिया चक्रवर्ती, कंगना, ड्रग्स, सुशांत का कुत्ता, उनके दोस्त, मैनेजर, नौकर, ड्राइवर, डाॅक्टर, फोन, मैसेज, हाॅलीडे ट्रिप से लेकर सुशांत की आत्मा से बात करने तक सब कुछ ही टीवी पर बिना छुट्टी के 24 घंटे में से 12 घंटे तो रोज ही देखने को मिलता रहा। ऐसे में कई लोगों ने आरोप लगाए कि यह इसलिए हो रहा है क्योंकि बिहार में चुनाव है। नेता से लेकर अभिनेता सब सुशांत को न्याय दिलवाना चाहते हैं। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या कब एक राजनीतिक मुद्दा बन गया, पता ही नहीं चला। बिहार में मौजूदा सरकार पर कई आरोप लगे कि वह इस मुद्दे को बिहार चुनाव में 'कैश' करवाना चाहती है और अब ऐसा ही कुछ सामने आया है।

भारतीय जनता पार्टी में कला संस्कृति प्रकोष्ठ के बिहार संयोजक वरुण कुमार सिंह ने सुशांत सिंह की तस्वीर साझा करते हुए कहा कि 'न भूले हैं, न भूलने देंगे'। तस्वीर के ऊपर जस्टिस फॉर सुशांत लिखा है। वरुण कुमार सिंह का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने के लिए वो पिछले 16 जून से ही अभियान चला रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि 14 जून की घटना के बाद से सुशांत को इंसाफ दिलाने के लिए उनके अलावा करणी सेना ने भी स्टीकर और मास्क बनाकर लोगों को बांटे है। वरुण कुमार सिंह ने इस मौके पर एक पोस्टर जारी किया है जिसमें दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मुस्कुराती हुई फोटो लगी है। फोटो के ऊपर जस्टिस फॉर सुशांत लिखा है और नीचे लिखा है- न भूले हैं, न भूलने देंगे। इस फोटो पर बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल का भी निशान है, जिसके नीचे लिखा है कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, भाजपा, बिहार प्रदेश। बिहार चुनाव में सुशांत सिंह राजपूत केस का मुद्दा हावी रहने वाला है।

इतना ही नहीं पार्टी की कला और संस्कृति सेल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेटर लिख पटना में राजीव नगर चौक को सुशांत के नाम पर रखने की मांग की है। लेटर में नालंदा के राजगीर स्थित फिल्म सिटी को भी एक्टर के नाम पर रखने के लिए कहा गया है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार चुनाव में बीजेपी बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर जनता की भावनाओं को भुनाती दिख रही है। वहीं सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसपर आपत्ति जताई है। कई लोगों ने लिखा कि बीजेपी चुनाव में फायदे के लिए सुशांत की मौत का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कहना है कि बीजेपी सुशांत सिंह राजपूत मामले की निष्पक्ष जांच चाहती थी। सीबीआई अब इस मामले की जांच कर रही है, फिर इसे चुनावी मुद्दा बनाने का क्या मतलब है लेकिन, आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए सोशल मीडिया पर इस स्टिकर को लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं बीजेपी ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत को चुनावी मुद्दा बना दिया है।

सुशांत को अपना बनाने और उनके परिवार के साथ खड़ा होने का मकसद बिहार की जनता के दिलों में उतर कर वोट पाना है। बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में स्टिकर्स और फेस मास्क के जरिए बीजेपी पर पार्टी का चुनाव प्रचार करने का आरोप लगाया है। वहीं, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किशोर यादव कहते हैं, ''सुशांत की मौत तो दुखद है ही लेकिन उससे भी दुखद है उनकी मौत का तमाशा बनाना। बीजेपी चुनाव प्रचार के लिए अब यही कर रही है। जहां तक सुशांत की मौत की जांच का सवाल है तो राजद ही सबसे पहली पार्टी है जिसके नेता तेजस्वी यादव अभिनेता के परिजनों से मिलने गए, संवेदना जताई और उसी समय सीबीआई जांच की मांग भी की थी। अब मामले की जांच सीबीआई कर रही है, धीरे-धीरे सच भी सामने आ रहे हैं। इसलिए अब इस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए।''

आपको बता दें कि बिहार में इसी नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने है। सुशांत सिंह राजपूत जिस जाति से आते हैं उसकी आबादी राज्य में लगभग 8 फीसदी से ज्यादा है। यह जाति साधन संपन्न मानी जाती है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि यह जाति चुनाव के समय जिधर शिफ्ट होती है नतीजे उधर ही प्रभावी देखने को मिलते हैं। यही कारण है कि सत्ता हो या फिर विपक्ष सभी सुशांत आत्महत्या मामले को भुनाने में लगे हुए है। हालांकि यह भी सच है कि इस जाति का वोट का बड़ा हिस्सा एनडीए को जाता है खास करके बीजेपी को। पर यह बात भी सच है कि पिछले कुछ समय से यह जाति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहा है। यही कारण है कि भाजपा के साथ साथ जदयू भी बिहार में सुशांत के परिवार के साथ खड़े होकर नाराजगी को खत्म करना चाहती है। वहीं विपक्ष इस मौके को हाथ से गंवाना नहीं चाहता। मृत्यु से पहले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पहचान एक लोकप्रिय कलाकार के तौर पर हो चुकी थी। वह बिहार से ताल्लुक रखते थे।

प़क्ष-विपक्ष सबको लगता है कि बिहार चुनाव में सुशांत की मौत को मुद्दा बनाकर फायदा उठाया जा सकता है लेकिन ऐसा कत्तई नहीं है। बीजेपी हो या नीतीश कुमार की जदयू, अगर वे यह सोचते हैं कि सुशांत की मौत को मुद्दा बनाकर बिहार चुनाव जीत जाएंगे तो मुझे लगता है यह उनका एक दिवास्वप्न है। सुशांत की जडं़े बिहार से जरूर जुड़ी थीं और इस वजह से शायद वहां के लोग थोड़ा ज्यादा इमोशनल होंगे लेकिन सुशांत की यूं अचानक मौत से बिहार ही नहीं पूरा देश दुखी है ऐसे में इसको सियासी चश्मे से देखने की जरूरत ही नहीं है। सबको सच जानने की उत्सुकता है कि आखिर एक उभरते सितारे की संदेहास्पद मौत हुई कैसे? लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसको चुनाव मुद्दा बना कर किसी भी पार्टी को लाभ होने वाला है। बीजेपी भी इसी मौके को बिहार विधानसभा चुनाव में भुना लेना चाहती हैं जिसका सबूत अब इस पोस्टर और स्टिकर के तौर सामने आया है।

(नाज़नींन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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