यूपी के 6 नेता गुजरात चुनाव में कराएंगे बीजेपी की नैया पार
लखनऊ। गुजरात में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। कई दशक से भारतीय जनता पार्टी गुजरात में सत्ता में है लेकिन 2022 के इलेक्शन में भाजपा गुजरात में कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती है, यही वजह है कि भाजपा ने उन नेताओं की गुजरात इलेक्शन ड्यूटी लगाई है जो कहीं ना कहीं संगठन के मंझे हुए खिलाड़ी के साथ-साथ इलेक्शन मैनेजमेंट के महारथी है। पढ़िए खोजी न्यूज़ की खबर।
इलेक्शन कमीशन ने वैसे तो बीते दिनों गुजरात में चुनाव का आधिकारिक ऐलान कर दिया है लेकिन भारतीय जनता पार्टी गुजरात चुनाव को लेकर काफी गंभीर है। इस बार भाजपा संगठन ने गुजरात के चुनाव में एक बड़ी जीत हासिल करने के लिए अपने उन भरोसेमंद नेताओं को चुनावी नैया पार करने की जिम्मेदारी सौंपी है , जो कहीं ना कहीं संगठन के भरोसेमंद नेता है। उत्तर प्रदेश से छह नेताओं पर भाजपा ने भरोसा जताया है। उनमें से निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, गन्ना मंत्री रहे और भाजपा के फायर ब्रांड नेता सुरेश राणा, राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेई, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर और विजय पाल सिंह तोमर की जिम्मेदारी लगाई है।
दरअसल स्वतंत्र देव सिंह पूरी तरह से भाजपा संगठन में रचे बसे नेता हैं। संगठन पर उनकी पकड़ को देखते हुए पहले उत्तर प्रदेश में उन्हें महामंत्री तो बाद में प्रदेश अध्यक्ष जैसी भारी-भरकम जिम्मेदारी भी दी गई थी। स्वतंत्र देव सिंह अपनी जिम्मेदारी में हमेशा खरे उतरते हैं। कार्यकर्ताओं के बीच जिस तरह से वह संवाद बनाकर रखते हैं, उससे कार्यकर्ताओं में उनकी लोकप्रियता बरकरार रहती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से मिल रही कड़ी टक्कर के बीच स्वतंत्र देव सिंह ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए योगी सरकार की वापसी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी। गुजरात चुनाव में भाजपा ने स्वतंत्र स्वतंत्र देव सिंह को कच्छ जिले की जिम्मेदारी सौंपी है।
इसके साथ ही शामली जनपद की थानाभवन विधानसभा से लगातार दो बार जीत का रिकॉर्ड बनाने वाले पूर्व मंत्री सुरेश राणा को भी भाजपा ने जिम्मेदारी सौंपी है। सुरेश राणा भाजपा के फायर ब्रांड नेता के तौर पर जाने जाते हैं। 2013 के दंगों से पहले शामली में एक युवती से बलात्कार के मामले में बाबू हुकुम सिंह और सुरेश राणा ने ही हिंदुत्व के नारे को धार दी थी। शामली के तत्कालीन एसपी अब्दुल हमीद से हिंदुत्व के मुद्दे पर सुरेश राणा अड़ गए थे। इसी बीच मुजफ्फरनगर दंगा हुआ तो समाजवादी पार्टी की सरकार के खिलाफ हिंदुत्व के मुद्दे पर सुरेश राणा ही सबसे मुख्य नेता के तौर पर काम कर रहे थे। सुरेश राणा की मुखरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अखिलेश यादव सरकार ने उनको रासुका के तहत जेल में बंद कर दिया था लेकिन सुरेश राणा ने हिंदुत्व के मुद्दे को कमजोर नहीं होने दिया। यही वजह रही कि 2013 के दंगों के बाद पूरे देश में नरेंद्र मोदी के चेहरे की ऐसी लहर निकल पड़ी कि भाजपा ने सभी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया था। थानाभवन विधानसभा सीट पर वैसे तो कई नेता दो बार विधायक रहे हैं लेकिन सुरेश राणा अकेले से विधायक हैं। जिन्होंने लगातार दो बार थानाभवन विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है। अगर 1993 में जगत सिंह की भाजपा के टिकट पर जीत को छोड़ दिया जाए तो थानाभवन विधानसभा सीट पर सुरेश राणा के अलावा कोई भी भाजपा का कैंडिडेट चुनाव नहीं जीत पाया है। सुरेश राणा को भाजपा ने द्वारका और पोरबंदर 2 जिलों की जिम्मेदारी दी हुई है
इसके साथ ही वर्तमान में राज्यसभा सांसद एंव मेरठ के मूल निवासी लक्ष्मीकांत वाजपेई को भी भाजपा ने गुजरात में जिम्मेदारी दी है। लक्ष्मीकांत वाजपेई भी पुराने खांटी भाजपाई हैं। भाजपा से उनका गहरा लगाव इसी से जाहिर होता है कि वह संगठन में रहकर लगातार काम करते रहे, जिस कारण 2012 में उन्हें भाजपा ने उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया था। लक्ष्मीकांत वाजपेई को 2014 में भाजपा को अपने इतिहास की सर्वाधिक सीट उनके अध्यक्ष के कार्यकाल में जीतने का श्रेय भी जाता है। सादगी पूर्ण जीवन जीने वाले लक्ष्मीकांत वाजपेई अब गुजरात के जूनागढ़ जिले में अपने सांगठनिक कौशल के बलबूते भाजपा को जीत दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहने वाले जेपीएस राठौर वर्तमान में योगी सरकार में सहकारिता मंत्री हैं। छात्र संघ से जुड़े जेपीएस राठौर उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं। अब भाजपा ने जेपीएस राठौर को महिसागर जिले में चुनावी रणनीति के तहत भेजा है। उन पर भी भाजपा का भरोसा कायम रखने की जिम्मेदारी आ पड़ी है।