जस्टिस चंद्रचूड़ के लिए कठिन चुनौती
जस्टिस यूयू ललित ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कुछ ऐसे मामले उठाए हैं जो देशहित में तो हैं लेकिन भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के लिए कठिन चुनौती भी पेश कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीट पर रोक लगाने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इसी प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों का ब्योरा तलब किया है। अभी ये कदम मौजूदा सीजेआई जस्टिस यूयू ललित ने उठाए हैं लेकिन इन कदमों को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने का दायित्व जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को संभालना होगा। मौजूदा सीजेआई का कार्यकाल इसी साल 9 नवम्बर को समाप्त हो रहा है। जस्टिस यूयू ललित ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के सीधे-सीधे निशाने पर इस समय विधायिका है और भावी सीजेआई को ही 2024 के लोकसभा चुनाव तक न्याय व्यवस्था को देखना है।
देश के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के वारंट जारी करने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर को 50वें मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ लेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ का सीजेआई के रूप में कार्यकाल 2 साल का होगा। सीजेआई यूयू ललित का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित ने सुप्रीम कोर्ट जजों की बैठक में अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश की। सीजेआई ललित की सिफारिश को एक पत्र के रूप में कानून मंत्रालय को भेज दिया गया।
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 7 अक्टूबर को सीजेआई यू यू ललित को उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने के लिए लिखा था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए थे। इससे पहले वो 31 अक्टूबर 2013 से इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। उससे पहले 29 मार्च 2000 को वो बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बनाए गए थे। उन्हें 1998 में भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था।
जून 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा डी वाई चंद्रचूड़ को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल, यूएसए से एलएलएम की डिग्री और न्यायिक विज्ञान (एसजेडी) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए किया है और दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ देश के पूर्व सीजेआई वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं, जो सबसे लंबे समय यानी 22 फरवरी 1978 से लेकर 11 जुलाई 1985 तक देश के मुख्य न्यायाधीश थे।
उनकी कर्मठता को देखा जाए तो देश के भावी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 10 अक्टूबर को सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। पीठ ने रात करीब सवा नौ बजे तक सुनवाई की। लगभग 75 मामलों की सुनवाई हुई। आम दिनों में शाम चार से पांच बजे तक न्यायिक कार्यवाही समाप्त हो जाती है जबकि दुर्गापूजा विजयादशमी की छुट्टियों से ऐन पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने रात 9.10 बजे तक सुनवाई की। मामले की सुनवाई खत्म होने के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सभी स्टाफ को धन्यवाद भी दिया। इस पीठ ने दस घंटे 40 मिनट तक मुकदमों की सुनवाई की।
इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को सांसदों-विधायकों के खिलाफ पांच साल से अधिक समय से लंबित आपराधिक मामलों और उनके शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए कदमों समेत पूरा विवरण उपलब्ध कराने को कहा है न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 10 अगस्त 2021 को दिए गए न्यायालय के आदेश में संशोधन कर दिया, जिसमें यह कहा गया था कि न्यायिक अधिकारियों, जो सांसदों-विधायकों के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे हैं, को अदालत की पूर्व मंजूरी के बिना बदला नहीं जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया की दलील को संज्ञान में लेते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन दायर किए गए हैं, जिसमें विशेष अदालत के प्रभार से मुक्त करने की अनुमति देने की मांग की गई है, क्योंकि या तो उनकी प्रोन्नति हो गई है या फिर स्थानांतरण हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी हाई कोर्ट को चार सप्ताह के अंदर एक हलफनामा दाखिल करके सांसद-विधायक के खिलाफ पांच साल से अधिक समय से लंबित आपराधिक मामलों की संख्या
और उनके शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताना होगा।
हेट स्पीच पर लगाम लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की तरफ से हेट स्पीच पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं, एक अलग केस में सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर को उत्तराखंड और दिल्ली सरकारों से जवाब मांगा कि पिछले साल राज्य और राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरा भाषण देने वालों के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की है। बेंच ने कहा कि हेट स्पीच के चलते माहौल खराब हो रहा है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इसपर लगाम लगाने की जरूरत है। हेट स्पीच को लेकर याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का बयान देने के लिए नफरती भाषा का प्रयोग किया गया। बेंच ने टिप्पणी की, आप सही कह रहे हैं कि इन नफरत भरे भाषणों से पूरा माहौल खराब हो रहा है और इसे रोकने की जरूरत है। (हिफी)