योगी का ध्यान अब ब्लैक फंगस पर

महामारी को इसीलिए शायद आपदा कहा जाता है क्योंकि उसका क्रूरतम चेहरा बदलता रहता है।;

Update: 2021-05-18 05:44 GMT

लखनऊ। महामारी को इसीलिए शायद आपदा कहा जाता है क्योंकि उसका क्रूरतम चेहरा बदलता रहता है। सार्स कोविड-19 ने दूसरी लहर में कई चेहरे बदले हैं। इनमें सबसे भयंकर ब्लैक फंगस माना जा रहा है। इससे आंखों की रोशनी चली जाती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसीलिए कोरोना के वैक्सीनेशन, उपचार और होम क्वारंटाइन के साथ ब्लैक फंगस पर सबसे ज्यादा जोर दिया है। यूपी आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां स्वास्थ्य सुविधाएं महामारी के दौर में कम पड़ जाना स्वाभाविक है। इसीलिए गोवा में पेड़ों के नीचे भी कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है। देश भर में 36 लाख से ज्यादा कोरोना पीड़ितों का इलाज हो रहा है। इसलिए थोड़ा धैर्य रखने की भी जरूरत है। वैक्सीनेशन पूरा होने पर संक्रमण की दर कम होने की उम्मीद की जा रही है।

उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बचाव और इलाज की प्रभावी व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं। वहीं इसकी चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार ने संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की 12 सदस्यीय म्यूकोर्मियोकोसिस मैनेजमेंट टीम का गठन किया है। सीएम योगी ने कहा कि कोविड संक्रमण के मुक्त हो जाने के बाद कुछ लोगों में ब्लैक फंगस की बीमारी के मामले सामने में आए हैं, इसको देखते हुए सीएम ने आदेश दिया है कि सभी जिलों में इसके इलाज के लिए जरूरी दवाओं की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। उन्होंने मुख्य सचिव को इस सम्बन्ध में भारत सरकार और चिकित्सा संस्थानों से जरूरी समन्वय किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस के कारणों, बचाव के उपायों और इलाज के सम्बन्ध में परामर्श जारी कर व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। ब्लैक फंगस के उपचार के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री द्वारा स्वास्थ्य विभाग एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को मेडिकल विशेषज्ञों की सलाहकार समिति से विचार-विमर्श करते हुए लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तय करने तथा संक्रमण से बचाव के सम्बन्ध में परामर्श जारी करने के निर्देश दिए गए थे। ब्लैक फंगस के उपचार हेतु लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तय कर दिशा निर्देश जारी कर दी गयी है और इस सम्बन्ध में परामर्श भी जारी कर दी गयी है। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ब्लैक फंगस के उपचार आदि के सम्बन्ध में संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा जिलों एवं मेडिकल कॉलेजों के सम्बन्धित चिकित्सकों का डिजिटल माध्यम से प्रशिक्षण भी कराया गया। एक बयान के अनुसार विशेषज्ञों की टीम में डॉ आमिर केसरी नोडल अधिकारी और सदस्य प्रोफेसर आलोक नाथ, प्रोफेसर शांतनु पांडे, प्रो विकास कन्नौजिया, प्रोफेसर रूंगमी मारक, डॉ सुभाष यादव, डॉ अरुण श्रीवास्तव डॉ पवन कुमार वर्मा, डॉ सुजीत कुमार गौतम, डॉ चेतना शमशेरी, डॉ विनीता मणि और डॉ कुलदीप विश्वकर्मा को शामिल किया गया है।

इस प्रकार कोविड के इलाज की यथासंभव व्यवस्था की गयी है। इसके बाद भी कुछ न कुछ कमियां हैं। दिल्ली से महज 80 किलोमीटर दूर ग्रेटर नोएडा के मेवला गोपालगढ़ गांव की। अस्पताल में जगह नहीं लिहाजा यहां नीम के पेड़ के नीचे टहनियों से बांध कर ड्रिप लगाकर मरीजों को दवा दी जा रही है। 67 साल के हरदीप सिंह के फेफड़ो में इंफेक्शन है। कोरोना पॉजिटिव हैं और यहां इस तरह इलाज करवा रहे हैं। उनका कहना है कि अस्पताल में हालत और भी खराब है। यहां उन्हें ठीक लगता है। अस्पताल की हालत को देखते हुए गांव के लोगों ने मरीजों के लिए घरों में ही ऑक्सीजन सिलिंडर लगा लिये हैं। गांव में कोई डॉक्टर आने को तैयार नहीं है। अस्पताल में भर्ती नहीं कर सकते फिर किसी से पूछकर काम चला रहे हैं। गांव में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीज ना दिखें।

यहां एक हफ्ते के भीतर पांच लोगों की मौत हो गई है। जेवर इलाके के स्वास्थ्य अधिकारी मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज डॉक्टर पवन का दावा है कि इस इलाके में हर रोज करीब 800 रैपिड एंटीजन और 600 आरटीपीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं। हालांकि आसपास के 38 गांवों को लिये ये टेस्टिंग भी काफी कम है। ये हालत ग्रेटर नोएडा के जेवर के मेवला गोपालगढ़ गां की ही नहीं, आसपास के तमाम गांवों में ऐसे ही हालात हैं। कहते हैं भारत गांवों का देश है।

देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 36 लाख 18 हजार 458 रह गई है, जो कुल मामलों का करीब 15 फीसदी है। देश में कोरोना की संक्रमण दर भी 16.98 प्रतिशत है। देश में कोरोना के सक्रिय मरीजों की तादाद संक्रमण के कुल मामलों का 14.66 प्रतिशत है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 74.69 प्रतिशत इलाज करा रहे मरीज 10 राज्यों में हैं। इनमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। संक्रमण दर भी 3 मई को 24.47 प्रतिशत थी, जो 16 मई को घटकर 16.98 प्रतिशत हो गई है। देश में पिछले 24 घंटे में 3 लाख 62 हजार 437 मरीज कोरोना से उबरे हैं। कोरोना से अब तक 2,07,95,335 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक पिछले 24 घंटे में कोरोना के 3,11,170 केस सामने आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 41,664 मामले कर्नाटक से आए हैं। वहीं महाराष्ट्र से 34,848 और तमिलनाडु से 33,658 मामले आए हैं। कोरोना की राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दर 1.09 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में 4077 मरीजों की मौत हो गई। इनमें महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 960 और कर्नाटक में 349 मरीजों की मौत हो गई। देश में वैक्सीनेशन अभियान के तहत रविवार तक कोविड-19 रोधी टीके की 18.22 करोड़ खुराकें दी गई हैं। रविवार को सुबह 7 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक 26,55,003 सत्र के दौरान 18,22,20,164 खुराकें दी गईं। टीकाकरण अभियान के तहत 66.76 प्रतिशत खुराकें 10 राज्यों में दी गई है। इनमें आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान 18-44 आयु वर्ग में 5,62,130 खुराकें दी गई हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान 17 लाख से ज्यादा खुराकें दी गई हैं। टीकाकरण अभियान के 120 वें दिन (15 मई को) 17,33,232 खुराकें दी गई हैं। कुल 16,027 सत्र में 11,30,928 लोगों को पहली खुराक और 6,02,304 लोगों को दूसरी खुराक दी गई। (हिफी)

Tags:    

Similar News