गजब-हारने के लिए चुनाव लड़ने वाला फिर मैदान में-शतक की तमन्ना

उत्तर प्रदेश में आज से विधानसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिसके चलते भाजपा, सपा एवं अन्य दलों की

Update: 2022-01-14 06:53 GMT

आगरा। उत्तर प्रदेश में आज से विधानसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिसके चलते भाजपा, सपा एवं अन्य दलों की ओर से अपने उम्मीदवार निर्धारित कर उनके नामों के ऐलान की उल्टी गिनती शुरू कर दी गई है। कई दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित भी कर दिए हैं, जबकि कई दल अपने उम्मीदवार घोषित करने के मुहाने पर खड़े हुए हैं। सभी उम्मीदवार जीत का जज्बा लेकर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। लेकिन एक ऐसा उम्मीदवार जो केवल हारने के लिए लड़ता है, इस बार भी वह पूरे मंसूबों के साथ चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है। हारने का शतक बनाने की तमन्ना के साथ चुनाव लड़ने में लगे 75 वर्षीय उम्मीदवार का अभी तक हौसला कम नहीं हुआ है। लगातार मिल रही हार का भी इस उम्मीदवार को जरा सा मलाल नहीं है। दरअसल आगरा के खेरागढ़ तहसील के गांव नगला दूल्हा के रहने वाले हस्नूराम अंबेडकरी अभी तक 93 चुनाव लड़ चुके हैं। अलग-अलग चुनाव लड़ चुके 75 वर्षीय हस्नूराम को 36 साल पहले एक बड़ी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ाने का आश्वासन दिया गया था। मगर बाद में जब पार्टी की ओर से अपने उम्मीदवार घोषित किए गए तो टिकट पाने वालों की सूची में हस्नूराम का नाम नहीं था। टिकट नहीं देने के पीछे जो कारण हस्नूराम को बताया गया कि उसे सुनकर उनके मन के भीतर एक अजीब सी चुभन हो गई और उन्होंने प्रत्येक चुनाव लड़ने की बात अपने मन के भीतर ठान ली। उसी समय से हस्नूराम जीतने के बजाय सबसे ज्यादा मर्तबा हारने का रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं। हस्नूराम राजस्व विभाग में अमीन के पद पर तैनात थे। उस समय वह बामसेफ के सक्रिय सदस्य थे। वर्ष 1985 के दौरान हस्नूराम को एक क्षेत्रीय दल की ओर से विधानसभा का चुनाव लड़ाने का भरोसा दिया गया। जिसके चलते उनसे कहा गया कि वह अपनी नौकरी छोड़कर चुनाव की तैयारी करें। राजनीतिक दल की ओर से मिले आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। मगर चुनाव के दौरान पार्टी ने उन्हें टिकट देने से किनारा कर लिया। हालांकि नौकरी छोड़ चुके हस्नूराम ने पार्टी पदाधिकारियों से मिलकर विरोध भी जताया तो पदाधिकारियों ने उन्हें पहचानने से ही इंकार कर दिया और कहा कि तुम्हे तो पडौसी तक नही जानते है। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की ठान ली और फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरकर तकरीबन 17711 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। उसी समय से हस्नूराम लगातार चुनाव लड़ते हुए आ रहे हैं। अभी तक हस्नूराम 93 चुनाव लड़ चुके हैं और उनकी तमन्ना हार का शतक लगाने की है।



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