कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह को राहत, सदस्यता रद्द करने की याचिका खारिज

कांग्रेस का आरोप है कि अदिति सिंह ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए 2 अक्टूबर 2019 को योगी सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र में हिस्सा लिया।;

Update: 2020-07-14 09:59 GMT

लखनऊ रायबरेली सदर से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह की सदस्यता रद्द करने की याचिका सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने खारिज कर दिया। सोमवार को उन्होंने यह निर्णय सुनाया। इसके साथ कांग्रेस के एक अन्य विधायक राकेश सिंह की सदस्यता रद्द करने की याचिका भी खारिज कर दी गई। वहीं हरदोई से भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितिन अग्रवाल पर फैसला सुरक्षित रखा। विधायक अदिति सिंह रायबरेली के सदर से कांग्रेस की विधायक हैं और हर मौके पर कांग्रेस विरोधी रुख अपनाती रहीं हैं। इस निर्णय से कांग्रेस पार्टी को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि कांग्रेस विरोधी रुख अपनाने के बाद विधायक अदिति सिंह की सदस्यता रद्द करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने याचिका दाखिल की थी।

आपको बता दें कि कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने विधायक अदिति सिंह की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 26 नवंबर 2019 को एक याचिका दाखिल की थी। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि अदिति सिंह ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए 2 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री योगी सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र में हिस्सा लिया। जबकि पार्टी ने गांधी जयंती पर सरकार के इस विशेष सत्र का बहिष्कार करते हुए विधायकों के लिए व्हिप जारी किया था।

इससे पहले 31 मई 2019 को कांग्रेस ने अपने एक और विधायक राकेश सिंह की सदस्यता रद्द करने के लिए याचिका की थी। हरचंदपुर विधायक राकेश सिंह ने रायबरेली सीट पर लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी का विरोध किया था। दोनों ही मामले में लंबे समय तक फैसला न होने की स्थिति में कांग्रेस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली थी। अब हाईकोर्ट ने 16 जुलाई तक फैसला लेने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के आधार पर कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष फैसला ले सकते हैं।

गौरतलब है कि सूबे में योगी की सरकार बनने के बाद से ही अदिति सिंह का झुकाव भारतीय जनता पार्टी की तरफ देखने को मिला है। विधायक अदिति सिंह कई बार केंद्र व योगी सरकार के पक्ष में भी बोलती नजर आई। इतना ही नहीं गांधी जयंती के विशेष सत्र में हिस्सा लेने पर भी उन्होंने कहा था कि यह उनका निर्णय था। वो इस अहम सत्र का हिस्सा बनकर लोगों की बात रखने के लिए गई थीं।

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