खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलना ओछी मानसिकता का द्योतक: कांग्रेस

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की ओझी मानसिकता का परिचायक बताया है।

Update: 2021-08-06 14:38 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम करने को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की ओछी मानसिकता का परिचायक बताया है।

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कृष्णकांत पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शहादत का अपमान करना है जिसने नौजवानों को मताधिकार, दूर संचार क्रान्ति, सूचना क्रांति जैसे महान अधिकार देकर युवाओं को विश्व प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया। देश के महापुरूषों की बिरासत एवं शहादत का अपमान करने के बजाय केन्द्र सरकार मेजर ध्यानचंद के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा करती तो पूरा देश इसका स्वागत करता।

उन्होने कहा कि स्वर्गीय राजीव गांधी और मेजर ध्यानचंद दोनों ही उत्तर प्रदेश से आते हैं। दोनों का राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नाम एवं कद है। मेजर ध्यानचंद का सम्मान बढ़ाने के लिए सरकार की मांशा साफ होती तो उनके नाम पर बड़े-बड़े प्रतिष्ठान, संस्थान खोलकर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा सकता था, लेकिन ऐसा न कर सरकार ने अपने घृणित मानसिकता को दर्शाया है।

प्रवक्ता ने कहा कि जिसने इस देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में, राष्ट्र निर्माण में कभी नाखून न कटाया हो वह शहादत का मूल्य कैसे समझ सकता है। वह तो नाम बदलने एवं संस्थाओं को बेचने को ही देश का विकास एवं अपना राष्ट्रीय कर्तव्य समझता है। राजीव गांधी का खेल से अविस्मरणीय नाता रहा है। 1982 में दिल्ली में हुए ऐशियार्ड गेम्स की आर्गनाजिंग कमेटी के सदस्य के रूप में राजीव गांधी ने काम किया, उनकी देख-रेख में विशाल जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम और इंडोर स्टेडियम, खेलगांव, सीरीफोर्ट आडिटोरियम, करणी सिंह शूटिंग रेंज बना और यह सब दो वर्ष में बन कर तैयार हो गया।


वार्ता

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