नौकरी दिलवाने के नाम पर दिये 54 लाख, स्टाॅम्प पेपर हुआ वायरल
नौकरी दिलवाने के नाम पर 6 लोगों द्वारा कुल 54 लाख रुपये स्टाॅम्प पेपर पर लिखवाकर दिये गये थे।
मिर्जापुर। नौकरी दिलवाने के नाम पर 6 लोगों द्वारा कुल 54 लाख रुपये स्टाॅम्प पेपर पर लिखवाकर दिये गये थे। उक्त स्टाॅम्प पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद रिश्वत देने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। मामला के प्रकाश में आने के बाद पुलिस-प्रशासन में भी हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। यह मामला मुख्यमंत्री के दरबार में भी पहुंच गया है, जिसके बाद दोषियों पर गाज गिरना भी तय माना जा रहा है।
सरकार नौकरी दिलाने के नाम पर 54 लाख रुपये के लेन-देन का मामला प्रकाश में आया है, जो मुख्यमंत्री के दरबार तक भी पहुंच गया है। नौकरी दिलाने के नाम पर 54 लाख रुपये के लेन-देन का स्टाॅम्प पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह मामला खुला। 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर 6 लोगों द्वारा 54 लाख रुपये की रकम सरकारी नौकरी के नाम पर दिये जाने की बात अंकित है। इस स्टाॅम्प पेपर के वायरल होने के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जहां प्रदेश सरकार निष्पक्ष रूप से भर्ती का दावा करती है, वहां कोई कैसे रुपयों के बल पर किसी को सरकारी नौकरी दिला सकता है।
वहीं दूसरी बात यह है कि जिन लोगों ने नौकरी पाने के नाम पर 54 लाख रुपये दिये हैं, वे सभी सरकारी नौकरी करने वालों के परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। स्टाॅम्प पर जहां नौकरी के नाम पर लाखों रुपये देने वालों के नाम व पते अंकित हैं, वहीं रुपये लेने वाले ने भी अपना नाम लिखा है। सवाल यह उठता है कि इतनी मोटी धनराशि जो कि नौकरी लगवाने के नाम पर दी गई, वह नम्बर एक की थी या नहीं। या फिर ब्लैक मनी को रिश्वत के रूप में दिया गया था। भ्रष्टाचार का यह बड़ा मामला सामने आने के बाद अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद दुबे ने मुख्यमंत्री व आयकर विभाग को मामले की जांच कराने के लिए पत्र भेजा है। मुख्यमंत्री के दरबार में मामला पहुंचने के बाद अब क्या-क्या कार्रवाई होगी, यह तो वक्त ही बतायेगा, लेकिन इस तरह के मामले से सरकारी महकमे की पारदर्शिता पर सवाल अवश्य ही खड़े होते हैं। स्टाॅम्प में यह भी साफ रूप से लिखा गया है कि यदि नौकरी नहीं मिली, तो रुपये वापिस कर दिये जायेंगे।
रिपोर्टः प्रवीण गर्ग