शक्तिगाथा- किस्सा झांसी की रानी का- महिलाओं को किया जागरूक
लखनऊ पुलिस, 112-यूपी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्त रुप से संचालित किस्सागोई अभियान ‘शक्तिगाथा’ का गोमती नदी के किनारे कुड़िया घाट पर समापन किया गया।
लखनऊ। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'मिशन शक्ति' के अन्तर्गत लखनऊ पुलिस, 112-यूपी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्त रुप से संचालित किस्सागोई अभियान 'शक्तिगाथा' का गोमती नदी के किनारे कुड़िया घाट पर समापन किया गया।
कार्यक्रम में मशहूर किस्सागो हिमांशु वाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर केन्द्रित किस्सागोई की अंतिम प्रस्तुति दी। इस मौके पर सदस्य उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड एडीजी रेणुका मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुईं। महिला सशक्तिकरण के लिए शहर के अन्य महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों बटलर पार्क, कंपनी बाग, रिफा-ए-आम क्लब और झंडेवाला पार्क में शक्तिगाथा कार्यक्रम का आयोजन कराया गया।
मनु कैसे बनी लक्ष्मी बाई
किस्सागोई की शुरुआत करते ही हिमांशु बाजपेयी व प्रज्ञा शर्मा ने रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का जिक्र किया। घुड़सवारी में नाना साहब के घायल हो जाने पर 13 वर्ष की आयु में मनु बड़े नाना साहब को कैसे घोड़े पर बिठा के कोठी तक लाती हैं और अपने पिता और घायल नाना को ढांढस बंधाती हैं। मनु का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव से होती है और वहीं उन्हें लक्ष्मीबाई नाम मिलता है। झांसी पहुंचते ही रानी ने राजमहल में कार्यरत महिला कर्मियों को न सिर्फ अपनी सहेली बनाया, बल्कि उनको कुश्ती, मलखंभ और घुड़सवारी, तलवारबाजी जैसी युद्ध कला में पारंगत भी किया। रानी राजनैतिक दृष्टीकोण से काफी दूरदर्शी थीं। उनको पता था कि अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति को रोकने में उनकी सहेलियां मददगार साबित होंगीं।
रानी ने झांसी अंग्रेजों को देने से इंकार किया
राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद लार्ड डलहौजी झांसी को हड़पने का आदेश जारी करता है। रानी इस आदेश को मानने से इंकार करती हैं और घोषणा करती हैं कि मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी। 23 मार्च 1858 को अंग्रेज कमांडर जनरल हयूरोज झांसी पर हमला कर देता है। रानी अपने साथियों गुलाम गौस खां, रघुनाथ सिंह, जवाहर सिंह, सुन्दर और मुन्दर के साथ बहादुरी से लड़ती हैं। रानी को सुरक्षित किले से निकालने के लिए झलकारी बाई अपना बलिदान देती हैं। ग्वालियर में अंग्रेजों के साथ रानी की आखिरी जंग होती है। रानी बहादुरी से लड़ते हुए घायल हो जाती हैं। उन्होंने अपने साथियों से अनुरोध किया था कि उनके शरीर को अंग्रेज स्पर्श न कर सकें, इसलिए रानी के साथी उन्हे बाबा गंगादास की कुटिया में ले गए, जहां रानी ने अंतिम साँस ली और वीरगति को प्राप्त हुई।
महिलाओं को जागरूक किया
मिशन शक्ति योजना के तहत हुए कार्यक्रम में अधिकारियों ने पुलिस विभाग और 112-यूपी द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गयी योजनाओं से परिचित कराया। 112-यूपी द्वारा महिलाओं के लिए पूरे प्रदेश में 300 से अधिक महिला पीआरवी संचालित की जा रही हैं। घरेलू हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए पीड़ित महिलाओं का पंजीकरण किया जा रहा है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर पीड़ित महिला को तत्काल पुलिस सहायता मिल सके। बुजुर्ग महिलाओं का सवेरा योजना के अंतर्गत पंजीकरण किया जा रहा है। कार्यक्रम में एडीजी, 112-यूपी असीम अरुण ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर पुलिस आयुक्त लखनऊ डी.के. ठाकुर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के डीजीएम नीलेश द्विवेदी, एडिशनल डीसीपी दिगंबर कुशवाहा, अपर पुलिस अधीक्षक 112-यूपी अरविन्द कुमार पाण्डे सहित भरी संख्या में लोग उपस्थित हुए।