पी. विजयन ने रचा इतिहास
वामपंथियों के एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ मोर्चे को बारी-बारी से जनता सत्ता सौंपती थी।
नई दिल्ली। केरल में वामपंथियों के एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ मोर्चे को बारी-बारी से जनता सत्ता सौंपती थी। लगभग दो साल पहले सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सफलता भी मिली थी। राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में अमेठी से चुनाव हार गये थे लेकिन केरल के वाडनार से ही वे संसद में पहुंच पाए। इसके बावजूद केरल की जनता ने विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पिनराई विजयन को सत्ता सौंपी है और राहुल गांधी ने पूरी ताकत लगाने के बाद भी कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे को सत्ता तक नहीं पहुंचा पाए।
वाममोर्चे ने पी विजयन को ही इस जीत का श्रेय देते हुए फिर से सीएम बनाया है। गत 20 मई को पिनराई ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उनके मंत्रिमंडल में इस बार सभी नये चेहरे हैं। यह एक प्रयोग है लेकिन इसी प्रयोग में उनके दामाद भी मंत्री बने हैं जिसे भाई-भतीजावाद के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि यह भी कहा जा सकता है कि उनके दामाद को मंत्री क्यों नहीं बनाया जा सकता, भले ही वे काफी योग्य हैं, तो यह भी गलत है। बहरहाल, पी। विजयन लगातार दूसरी बार सरकार बनाकर वहां इतिहास रच रहे हैं।
पिनराई विजयन ने 20 मई को दोबारा केरल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। तिरुवनंतपुरम में आयोजित कार्यक्रम में पिनराई विजयन को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। पिनराई के साथ 21 कैबिनेट के सदस्यों ने भी मंत्रीपद की शपथ ली। ध्यान रहे 6 अप्रैल को केरल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद दो मई को आए नतीजों में एलडीएफ को जीत मिली थी। एलडीएफ ने केरल में अपने प्रतिद्वंद्वियों-कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और एनडीए को हराकर 99 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी है, जबकि यूडीएफ केवल 41 सीटों पर जीत हासिल कर सका, बीजेपी एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सकी।
विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का 21 सदस्यीय नया मंत्रिमंडल तैयार है। विजयन ने चुनाव से पहले के वादे के मुताबिक, इस बार कैबिनेट में सभी नए चेहरों को जगह दी है। सभी मंत्रियों ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद अपना कार्यभार संभाल लिया। कार्यक्रम के बाद ही मंत्रियों के पदों की घोषणा की। मंत्रियों के विभागों को पहले ही तय कर लिया गया था।
सीएम विजयन गृह, सतर्कता, पर्यावरण और आईटी समेत कई विभाग अपने पास ही रखेंगे। उन्होंने अपने दामाद पीए मोहम्मद रियाज को सामाजिक कार्य और पर्यटन विभाग सौंपा है। रियाज पहली बार विधायक बने हैं। खबर है कि उनके मंत्री पद के चलते भी राज्य में कुछ चिंता है। इनके अलावा पत्रकार रहीं वीणा जॉर्ज को नया स्वास्थ्य मंत्री बनाए जाने की संभावना है। जबकि, पूर्व राज्य सभा सदस्य केएन बालागोपाल राज्य के नए वित्त मंत्री होंगे। पूर्व राज्य सभा सदस्य पी राजीव नए उद्योग और कानून मंत्री बनाए गये हैं। पार्टी के राज्य सचिव और एलडीएफ संयोजक ए विजयराघवन की पत्नी को उच्च शिक्षा मंत्री बनाया गया। वहीं, वी शिवकुट्टी लोक शिक्षा और श्रम विभाग संभालेंगे। पार्टी के केंद्रीय कमेटी के सदस्य एमवी गोविंदन को स्थानीय स्वशासन और एक्साइज विभाग मिला है। राज्य में स्वास्थ्य मंत्री का कर्तव्य निभा चुकी केके शैलजा को इस बार मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली है। पद नहीं मिलने के कारण केरल सरकार की काफी आलोचना हो रही थी। राज्य में कोरोना प्रबंधन को लेकर शैलजा की काफी तारीफ हुई थी।
मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर केके शैलजा ने कहा कि यह पार्टी की आम राय है। वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था, नई टीम आगे अच्छा काम करेगी। व्यक्ति नहीं बल्कि सिस्टम जरूरी है। सोशल मीडिया पर जारी आलोचना को लेकर उन्होंने कहा, इन बातों को लेकर भावनात्मक होने की जरूरत नहीं है। नए कैबिनेट में पूर्व पत्रकार वीणा जॉर्ज समेत तीन महिलाएं हैं।
केरल विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चे की लगातार दूसरी बार जीत का श्रेय कई राजनीतिक टिप्पणीकारों की तरफ से भले ही मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को दिया जा रहा हो, लेकिन माकपा के मुखपत्र 'पीपुल्स डेली' के संपादकीय में कहा गया है कि 'व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास' से यह ऐतिहासिक विजय मिली है। मुखपत्र के संपादक और माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात इस संपादकीय में विजयन को 'सुप्रीम लीडर' (सर्वोच्च नेता) या 'स्ट्रांग मैन' (सशक्त व्यक्ति) कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए प्रतीत होते हैं। केरल में माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) ने राज्य विधानसभा की 140 में से 99 सीटें हासिल करके चार दशक से चली आ रही हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन की परिपाटी को भी ध्वस्त कर दिया।
इस प्रचंड जीत के साथ विजयन केरल में तीसरे ऐसे मुख्यमंत्री हो गए हैं जिनकी अगुवाई में लगातार दो चुनाव जीते गए तथा वह राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्हें पांच साल का एक कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरा कार्यकाल मिला है। संपादकीय में कहा गया है, ''मीडिया के एक हिस्से और कुछ राजनीतिक टिप्पणीकारों द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि इस ऐतिहासिक जीत को व्यक्तित्व और पिनराई विजयन की भूमिका तक सीमित कर दिया जाए। उनके मुताबिक, एक 'सुप्रीम लीडर' या 'स्ट्रांग मैन' का उदय ही एलडीएफ की सफलता का मुख्य कारण है। वे दावा करते हैं कि सरकार और पार्टी में एक व्यक्ति का वर्चस्व है।'' इसमें आगे कहा गया है, ''इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुख्यमंत्री के रूप में पिनराई विजयन ने नए मानदंड स्थापित किए हैं। बहरहाल, यह जीत व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास का परिणाम है।'' केरल विधानसभा चुनाव में कम से कम 35 सीटें जीतने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अपनी एकमात्र नेमोम सीट भी नहीं बचा पाया और 'मेट्रोमैन' के नाम से प्रसिद्ध ई श्रीधरन और पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के सुरेंद्रन समेत उसके सभी बड़े उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। इसे पिनराई विजयन का जादू कहा जा सकता है।
राज्य की राजधानी स्थित नेमोम सीट पर भाजपा की पुनः जीत हासिल करने की जिम्मेदारी मिजोरम के पूर्व राज्यपाल कुमानम राजशेखरन के कंधों पर थी, लेकिन वह 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले पार्टी नेता ओ राजागोपाल की तरह जादू चलाने में नाकाम रहे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) उम्मीदवार वी सिवनकुट्टी ने 3,949 मतों के अंतर से राजशेखरन को हराया। इससे पहले 2016 में सिवनकुट्टी को राजागोपाल ने मात दी थी। नेमोम सीट पर जीत बरकरार रखना भगवा दल के लिए प्रतिष्ठा की बात थी, क्योंकि सत्तारूढ़ माकपा ने 140 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को पैर जमाने से रोकने से कोई कसर नहीं छोड़ी।
चुनाव से मात्र एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि माकपा राज्य में भाजपा की एकमात्र सीट को भी इस बार छीन लेगी। इसे भी उन्होंने सच में तब्दील कर दिया। (हिफी)