सियासी दुश्मनी को भूले सिंधिया

राजनीतिक पाला बदलने का खेल इतनी तेजी से चलता है कि चार दिन बाद ही उसी से हाथ मिलाने पड़ते हैं

Update: 2020-07-08 12:45 GMT

लखनऊ। राजनीति में वैसे भी कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। अब तो राजनीतिक पाला बदलने का खेल इतनी तेजी से चलता है कि चार दिन बाद ही उसी से हाथ मिलाने पड़ते हैं, जिससे राजनीति के मैदान में दो-दो हाथ कर रहे थे। मध्य प्रदेश में सात महीने के अंदर ही कांग्रेस की सरकार गिर गयी। इससे पूर्व लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने गुना क्षेत्र से जिस भाजपा प्रत्याशी से पराजित हुए थे आज उनसे ही वे हाथ मिलाने को मजबूर हैं। गुना के सांसद केपी यादव ने ग्वालियर के महाराज का फिर भी सम्मान किया और कहा कि वे उनके सानिध्य में काम करते रहेंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सांसद केपी यादव की भरपूर सराहना की। ज्योतिरादित्य भी अब सांसद हैं। भाजपा ने उन्ही राज्यसभा में भेजा है। मध्य प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं और ये उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें 22 सीटें तो कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से रिक्त हुई हैं। इन विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ दी। विधानसभा उपचुनाव की सीटें ज्यादातर ग्वालियर संभाग की हैं जहां के सांसद केपी यादव हैं। इसलिए भी सिंधिया को उनके साथ चुनाव की कमान संभालनी होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार किया है और उसमें सिंधिया के समर्थकों को भरपूर जगह दी गयी। इसी के बाद सिंधिया ने ट्वीट किया था कि टाइगर अभी जिन्दा है क्योंकि कांग्रेस नेता उन पर आरोप लगाने लगे थे कि सिंधिया को भाजपा में तरजीह नहीं मिल रही है।

मध्य प्रदेश की सियासत में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद से पार्टी सांसद केपी यादव हाशिए पर चल रहे थे। गत दिनों मूंगावली की रैली में दोनों नेता एक साथ नजर नहीं आए थे, जिसके बाद से कई सवाल खड़े हो रहे थे। अब सिंधिया और केपी यादव 7 जुलाई को ढाई साल के बाद पहली बार एक साथ एक मंच पर नजर आए, जिसके जरिए पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की जा रही है। अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र की वर्चुअल रैली के जरिए राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी सांसद केपी यादव एक साथ जुड़े। इस दौरान बीजेपी के दोनों नेताओं ने कार्यकर्ताओं को संबोधित ही नहीं किया बल्कि अपने पुराने संबंध को भी याद किया। सिंधिया ने केपी यादव को सराहा तो केपी यादव ने सिंधिया के सानिध्य में आगे काम करने की बात कही।

दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना-शिवपुरी सीट पर बीजेपी ने केपी यादव को उतारकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को करारी मात दी थी। हालांकि, एक दौर में केपी यादव मूंगावली जिला पंचायत में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे। मूंगावली सीट पर 2018 के उपचुनाव में केपी यादव ने सिंधिया से टिकट की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस ने केपी यादव के बजाय बृजेन्द्र यादव को प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद केपी यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया और इसके बाद से केपी यादव ने सिंधिया के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सिंधिया के खिलाफ केपी यादव पर दांव लगाया और वो सफल रहा।

मध्य प्रदेश का सियासी समीकरण एक बार फिर बदला और सिंधिया ने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। सिंधिया की बीजेपी में एंट्री होने के बाद से सांसद केपी यादव की सियासी ताकत कमजोर हुई है और वो साइलेंट मोड में चले गए थे। सिंधिया राजनीतिक तौर पर काफी मजबूत स्थिति में हैं। उन्होंने मूंगावली में अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने के लिए बृजेंद्र यादव को आगे बढ़ाया और शिवराज सरकार में राज्यमंत्री बनवाने में कामयाब रहे। इसे केपी यादव को सियासी तौर पर कमजोर करने का दांव भी माना गया। यही कारण रहा बीजेपी की मूंगावली और बमोरी में वर्चुअल रैली में केपी यादव नहीं जुड़े, जिसे लेकर तमाम सवाल खड़े हुए थे। ऐसे में अशोकनगर की वर्चुअल रैली में दोनों नेता एक साथ नजर आ गए। सिंधिया और केपी यादव वर्चुअल रैली में जुड़े तो एक दूसरे को सराहा, जिससे दोनों नेताओं के बीच तल्खियां कम होती दिखीं। इस दौरान राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने केपी यादव का नाम लेकर कहा कि लंबे समय एक दूसरे के साथ काम करते रहे हैं। साथ ही सिंधिया ने कोरोना संकट के दौरान केपी यादव के द्वारा किए कामों को सराहा। वहीं, केपी यादव ने ज्योतिरादित्य के साथ अपने पुराने संबंध को याद करते हुए कहा कि लंबे समय उनके साथ काम करने का अनुभव रहा है। केपी यादव ने कहा कि सिंधिया के मार्गदर्शन में आगे भी काम करते रहेंगे।

ध्यान देने की बात है कि मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की बिसात बिछाई जाने लगी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया एक्टिव हो गए हैं और 6 जुलाई को उन्होंने वर्चुअल रैली के जरिए चुनावी बिगुल फूंक दिया है। वहीं, कांग्रेस में अभी भी मंथन का दौर जारी है और पार्टी नेता साइलेंट मोड में नजर आ रहे हैं। हालांकि, कमलनाथ ने उपचुनाव वाली सीटों पर प्रभारी नियुक्त किए हैं, लेकिन बीजेपी जैसी सक्रियता नहीं दिख रही है। सूबे में कुल 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में 22 सीटें कांग्रेस विधायकों द्वारा इस्तीफे देने से रिक्त हुई हैं जबकि 2 सीटे विधायकों के निधन के चलते खाली हुई हैं। कांग्रेस को इन 22 विधानसभा क्षेत्रों में नए तरीके से पार्टी खड़ी करनी है। ये वही विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां के कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा है और उसके बाद प्रदेश में शिवराज के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने के बाद ग्वालियर-चंबल इलाके में कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा चरमरा गया है। ऐसे में कांग्रेस के लिए सिंधिया के गढ़ में नए सिरे से पार्टी को खड़ा करना चुनौती बन गया है। ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, जिसे देखते हुए शिवराज कैबिनेट में इलाके से अच्छा खासा प्रतिनिधित्व दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उपचुनाव वाले क्षेत्रों में वर्चुअल रैली के जरिए सियासी माहौल बनाना शुरू कर दिया है।

उपचुनाव की तैयारियों के सिलसिले में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक भोपाल में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ग्वालियर-चंबल संभाग के नेताओं से वन-टू-वन चर्चा की है। कमलनाथ व वासनिक ने प्रभारियों से पूछा कि सत्ता में वापसी के लिए पार्टी को सभी सीटों पर होने वाला उपचुनाव जीतना होगा, इसलिए इन सीटों पर अबतक की चुनाव तैयारी क्या है? इसका सीधा जवाब न मिल पाने से उनसे कहा गया कि मंडल और सेक्टर पर संगठन को मजबूत बनाएं। कांग्रेस में सिंधिया के जाने के बाद भी गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस विधायक ने बताया कि उपचुनाव को लेकर पार्टी में किसी तरह की कोई सक्रियता नहीं है। कांग्रेस ने भले ही विधानसभा सीटों पर प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं, लेकिन उनके काम पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के द्वारा नहीं बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे कांग्रेसी नेता हैं जो पूरे चुनाव को अपने हाथों में रखना चाहते हैं। उधर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं को चुनाव लड़ा रही है, जिनमें से 14 लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद केपी यादव के एक साथ आने से उपचुनावों पर काफी असर पड़ सकता है।

 (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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