कमलनाथ की प्रासंगिकता
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के टूटने का प्रमुख कारण कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की हठधर्मिता रही है।
भोपाल। मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भितरघात करने वाले कथित कांग्रेसियों की पहचान कर ली गयी है। इसके बाद करीब एक दर्जन कांग्रेस नेताओं पर निष्कासन की तलवार लटक रही है। कांग्रेस को पार्टी उम्मीदवारों और सीट प्रभारियों की शिकायती रिपोर्ट मिल चुकी है। दरअसल 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 9 सीटों पर जीत हासिल हुई है। कई सीटों पर पार्टी मामूली वोट के अंतर से हार गई। उन इलाकों से सबसे ज्यादा भितरघात की शिकायतें मिली हैं। कांग्रेस को ग्वालियर चंबल संभाग के अलावा सागर और मालवा निमाड़ से भी शिकायतें मिली हैं। रिपोर्ट के बाद कांग्रेस इस बात की पड़ताल कर रही है कि जो तथ्य शिकायतों के साथ पेश हुए हैं, उनमें कितनी सच्चाई है और कौन से मामले गंभीर अनुशासनहीनता के दायरे में आते हैं। उसके बाद पार्टी ऐसे कांग्रेसियों की पहचान कर उन्हें पार्टी से निकाल बाहर करेगी। इसका एक मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि राज्य की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रासंगिकता बरकरार है जबकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के टूटने का प्रमुख कारण कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की हठधर्मिता रही है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा है हाल ही में सम्पन्न हुए उपचुनाव में 9 विधानसभा सीटों पर भितरघात करने वाले नेताओं की शिकायत मिली है। इसमें प्रमाण भी शामिल हैं। कुछ उम्मीदवार और विधानसभा प्रभारियों ने ऑडियो वीडियो और सोशल मीडिया की इमेज प्रमाण के तौर पर पेश की हैं। उनका अध्ययन पीसीसी स्तर पर हो रहा है। उसके बाद गंभीर अनुशासनहीनता वाले मामलों पर पीसीसी चीफ कमलनाथ एक्शन लेंगे। जिन नेताओं ने चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचाया है उन नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक से लेकर 6 साल पार्टी से निष्कासन तक की कार्रवाई की जाएगी। शुरुआती तौर पर कांग्रेस के तकरीबन बारह छोटे बड़े नेताओं के खिलाफ पार्टी को शिकायतें मिली हैं। इसके अलावा मंडल और ब्लॉक स्तर पर भी भितरघात करने वालों के नाम पीसीसी को मिले हैं। पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने भी मांग की है कि पार्टी को जल्द से जल्द गड़बड़ करने वाले भितरघाती कांग्रेसियों की पहचान कर उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए। पार्टी को अनुशासन के नाम पर एक बड़ा संदेश देते हुए नगरीय निकाय चुनाव से पहले कड़ी कार्रवाई करना चाहिए ताकि भितरघाती संभल जाएं।
उप चुनाव के बाद कांग्रेस में मचे अंतर कलह को लेकर बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में है। प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने कहा-यह कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है। कांग्रेस के अंदर ये परंपरा आम बात है। इससे यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस में जो कलह चल रही है, उसपर भाजपा की निगाह है।भाजपा ने ज्योतिरादित्य परसभी बहुत दिनों तक निगाह टिकाकर ही अंततोगत्वा सफलता प्राप्त की ।
कांग्रेस राज्य में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव से पहले पुराने फॉर्मूले को आजमाने की कोशिश में जुट गई है। 2018- 2019 और उसके बाद 2020 के 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस ने सर्वे के आधार पर उम्मीदवारों को टिकट दिया था। 2018 के चुनाव में कांग्रेस का यह फॉर्मूला सफल साबित हुआ था। लेकिन उसके बाद 2019 और 2020 के उपचुनाव में बीजेपी की प्लानिंग भारी पड़ गयी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र एक सीट और 2020 में 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में सिर्फ 9 सीट पर ही जीत हासिल हो सकी, फिर भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ पुराना फॉर्मूला ही नगरीय निकाय चुनाव में आजमाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस पार्टी ने नगरीय निकाय चुनाव में उम्मीदवारों की तलाश में सर्वे शुरू कर दिया है। सिर्फ पार्टी निजी एजेंसियों से ही नहीं बल्कि पार्टी स्तर पर भी सर्वे करा रही है। साथ ही पर्यवेक्षकों को नगरीय निकाय में भेज कर वहां के स्थानीय मुद्दों और जिताऊ उम्मीदवार की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी सर्वे के आधार पर ही उम्मीदवार तय करेगी। सर्वे शुरू हो चुका है।
भाजपा की नजर कांग्रेस की हर गतिविधि पर है। सामरिक रणनीति में अपनी तैयारी के साथ दुश्मन की तैयारी पर भी नजर रखनी पड़ती है। बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कांग्रेस का 2019 और 2020 के उपचुनाव का सर्वे सबके सामने है। हर चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जनता ने नकारा है। अब नगरीय निकाय चुनाव में भी सर्वे का सच सामने आएगा। बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा चुनावों में हार का ठीकरा अब तक ईवीएम पर फोड़ रही कांग्रेस अब सर्वे एजेंसी के ऊपर फोड़ने की तैयारी में है। छोटे शहरों के चुनाव में बड़ी जीत की उम्मीद लगाकर बैठी कांग्रेस को अपने सर्वे पर भरोसा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ नगरीय निकाय चुनाव को भी पूरी गंभीरता से लेते हुए हर स्तर की तैयारी अभी से पूरी कर लेना चाहते हैं। यही कारण है कि पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति पर अभी से चर्चा होने लगी है लेकिन पार्टी के लिए मुश्किल नगरीय निकाय चुनाव में जिताऊ चेहरे की है। यही कारण है कि एक बार फिर कांग्रेस सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ती नजर आ रही है।
कांग्रेस संगठन को भी मजबूत करना चाहती है। लंबे समय बाद यूथ कांग्रेस के मध्य प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है। चुनाव से पहले कांग्रेस के अंदर सियासी माहौल गर्म हो उठा है। सात साल तक युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने वाले कुणाल चैधरी की जगह अब नया अध्यक्ष चुना जाना है। इसके लिए चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कांग्रेस के 2 विधायकों, नेता पुत्रों सहित कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसका 15 दिसंबर को ऑनलाइन चुनाव होगा। एमपी यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल चेहरों पर नजर डालें तो कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू के बेटे अजीत, संजय यादव, विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा, विधायक विपिन वानखेड़े,वंदना बेन विक्रांत भूरिया और विवेक त्रिपाठी शामिल हैं।उपचुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस अपनी यूथ ब्रिगेड में जान फूंकने की तैयारी में है। यही कारण है कि लंबे समय से अटका यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कराने की उसने पूरी तैयारी कर ली है। 12 उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए हैं और 15 दिसंबर को होने वाले चुनाव की प्रक्रिया कोरोना के कारण ऑनलाइन होगी। यूथ कांग्रेस के सदस्य मोबाइल नंबर पर ओटीपी के जरिए मतदान की प्रक्रिया में शामिल होंगे। दिसंबर के आखिरी तक नतीजों का ऐलान हो जाएगा। (हिफी)