घाटों पर नहाती महिलाओं की वीडियो बनाने से नाराज हाईकोर्ट की पुलिस....
सरकार के प्रमुख सचिव से जवाब मांगते हुए 12 सितंबर तक बंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभिन्न घाटों पर स्नान करती महिलाओं की वीडियो बनाए जाने पर गहरी नाराजगी जताते हुए पुलिस को कडी लताड़ लगाई है। हाई कोर्ट ने बंद लिफाफे में प्रमुख सचिव से जवाब मांगते हुए 12 सितंबर तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित गंग नहर घाट पर शनि मंदिर के बाहर बने चेंजिंग रूम के ऊपर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से घाट पर नहाती महिलाओं की वीडियो बनाए जाने के मामले की सुनवाई करते हुए इस तरह के मामलों पर गहरी नाराजगी जताते हुए पुलिस को कड़ी लताड़ लगाई है। जस्टिस विक्रम डी चौहान इस मामले में पुलिस की जांच में सबूत छुपा कर हलफनामा दाखिल करने की कारगुजारी से बुरी तरह से नाराज हुए हैं और उन्होंने इस मामले में दरोगा की भूमिका को लेकर गाजियाबाद के पुलिस उपायुक्त से हलफनामे की डिमांड की है।
जस्टिस विक्रम डी चौहान का कहना है कि घाट पर नहाती महिलाओं के वीडियो बनाने के मामले में पुलिस द्वारा ठोस सबूत छिपा लिए गए हैं। उन्होंने पूछा है कि महिला आयोग की चिट्ठी और न्यूज़ रिपोर्ट किस तरह से आरोपी के खिलाफ सबूत माने जाएंगे? हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव से जवाब मांगते हुए 12 सितंबर तक बंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि इसी साल की 21 मई को गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित गंग नहर घाट पर शनि मंदिर के बाहर बने चेंजिंग रूम के ऊपर सीसीटीवी कैमरा लगाकर घाट पर नहाती महिलाओं की वीडियो बनाने के मामले का भंडाफोड़ हुआ था। छानबीन किए जाने पर चेंजिंग रूम के ऊपर लगाएं गए सीसीटीवी कैमरे की लाइव फीड मंदिर के महंत मुकेश गिरी के मोबाइल पर होना मिली थी। पुलिस को सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर से महिलाओं के कपड़े बदलते हुए कुछ क्लिप भी बरामद हुई थी।