हाई कोर्ट ने खारिज़ की मुख़्तार अंसारी की गैंगस्टर एक्ट की जमानत याचिका
एम्बुलेंस खरीदने और आपराधिक कृत्यों में इस्तेमाल के मामले में माफिया गैंगस्टर एक्ट के तहत जमानत याचिका को खारिज किया।
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए एम्बुलेंस खरीदने और आपराधिक कृत्यों में उसके इस्तेमाल के मामले में माफिया मुख्तार अंसारी की गैंगस्टर एक्ट के तहत जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी और 12 साथियों पर बाराबंकी एम्बुलेंस कांड को लेकर गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। मुख्तार अंसारी पर आरोप था कि उसने फर्जी पते पर एम्बुलेंस का परिवहन विभाग में पंजीकरण कराया था और उस एम्बुलेंस का इस्तेमाल पंजाब की कोर्ट में पेशी के दौरान करता था।
मुख्तार अंसारी पर बाराबंकी पुलिस इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें जमानत को लेकर मुख्तार अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जमानत याचिका डाली थी।
इसी मामले को लेकर लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने मुख्तार अंसारी की जमानत याचिका पर जमानत रद्द करने का आदेश किया। इस जमानत याचिका का विरोध करते हुए, यूपी सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने दलील दी कि 21 दिसम्बर 2013 को डॉ. अल्का राय के नाम से बाराबंकी के परिवहन विभाग में एक एम्बुलेंस का फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण कराया गया।
मामले का खुलासा होने पर जब जांच की गई तो डॉ. अल्का राय ने स्वीकार किया कि मुख्तार अंसारी के आदमी उनके पास कुछ दस्तावेज लेकर आए थे, जिस पर उन्होने डर और दबाव में दस्तखत कर दिए थे। मामला का खुलासा होने पर उन पर यह भी दबाव डाला गया कि वह कहें कि मुख्तार की पत्नी अफ्सा अंसारी 4-5 दिन के लिए एम्बुलेंस को किराए पर पंजाब ले गई थी।