HC की लताड़- मंदिर निर्माण सरकारी जमीन कब्जाने का आसान तरीका

सिंगल जज की अदालत में याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट की बेंच के सामने अपनी अपील दायर की।

Update: 2024-03-01 05:11 GMT

अहमदाबाद। शहरी विकास योजना के अंतर्गत सड़क पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रुकवाने को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि भारत में सरकारी जमीन पर मंदिर निर्माण भूमि कब्जाने का सबसे आसान तरीका है। मंदिर निर्माण के नाम पर लोग सभी को इमोशनल ब्लैकमेल करते हैं।

दरअसल अहमदाबाद में टाऊन प्लानिंग स्कीम के अंतर्गत एक सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। चांदलोडिया के 93 परिवार इस सड़क निर्माण का विरोध करते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को रुकवाने के लिए स्थानीय अदालत में पहुंचे थे। सिंगल जज की अदालत में याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट की बेंच के सामने अपनी अपील दायर की।

अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की तरफ से यह आश्वासन दिए जाने के बावजूद कि किसी भी व्यक्ति का घर नहीं तोड़ा जाएगा, फिर भी याचिकाकर्ताओं ने एक मंदिर को प्रस्तावित सड़क से बचा लेने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि पूरे समुदाय की भावनाएं इससे जुड़ी हुई है और सब ने इस मंदिर को बनाने में अपना योगदान दिया है। याचिका कर्ताओं की इस दलील पर चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने कहा कि मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि आप इस तरह दूसरों को इमोशनल ब्लैकमेल करते हैं।

आप सरकारी संपत्ति पर कब्जा कर रहे हैं और यह पूरे देश में हो रहा है। जस्टिस ने कहा है कि जिस जमीन पर मंदिर है उस पर याचिका कर्ताओं का मालिकाना हक नहीं है। जस्टिस ने कहा कि यह कहकर कि मंदिर को हटा दिया जाएगा, आप भावनाओं का फायदा उठाना चाहते हैं।

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