HC की दो टूक- शादीशुदा मुस्लिम महिला का लाइव इन में रहना हराम

न्यायालय ने कहा है कि महिला के आपराधिक कृत्य को न्यायालय द्वारा समर्थन और संरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

Update: 2024-03-02 11:37 GMT

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लीव इन रिलेशन में शादीशुदा मुस्लिम महिला के रहने को हराम करार देते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट का कहना है कि मुस्लिम लॉ के मुताबिक मुस्लिम महिला का किसी के साथ लीव इन में रहना इस्लाम में हराम बताया गया है।

शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के ओर से दिए गए एक बड़े फैसले में न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की पीठ ने एक विवाहित मुस्लिम महिला और उसके हिंदू लीव इन पार्टनर द्वारा अपने पिता और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ अपनी जान को खतरा होने की आशंका की बाबत याचिका दायर करते हुए न्यायालय से गुहार लगाई थी। न्यायालय ने कहा है कि महिला के आपराधिक कृत्य को न्यायालय द्वारा समर्थन और संरक्षण नहीं दिया जा सकता है।  

अदालत का कहना है कि मुस्लिम कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए याचिका करता नंबर दो के साथ रह रही है। जिसमें कानूनी रूप से विवाहित पत्नी बाहर जाकर शादी नहीं कर सकती है और मुस्लिम महिलाओं के इस कृत्य को जिना और हराम के रूप में परिभाषित किया गया है।    

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