आखिर क्यों की हरीश रावत ने सीएम त्रिवेंद्र रावत की तारीफ
राज्य सरकार ने कोरोना संकट के चलते राज्य में पटरी से उतरी पर्यटन उद्योग की गाड़ी को दौड़ाने के लिए अहम निर्णय लिया।
देहरादून । पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने एक बार फिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसलों की तारीफ की। साथ ही इन फैसलों पर उन्होंने सरकार को कुछ सुझाव और नसीहत भी दी है। हरीश रावत ने पिछली कैबिनेट में उपनल के माध्यम से भर्तियों और पर्यटकों को आकर्षित करने के संबंध में लिए गए फैसलों को त्रिवेंद्र सरकार का अच्छा कदम बताया। दरअसल, राज्य सरकार ने कोरोना संकट के चलते राज्य में पटरी से उतरी पर्यटन उद्योग की गाड़ी को दौड़ाने के लिए अहम निर्णय लिया।
सैलानियों को लुभाने के लिए पर्यटक प्रोत्साहन कूपन योजना को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इसके तहत राज्य में आने वाले पर्यटकों को कोविड के नियमों का पालन करते हुए होटल या होम स्टे में तीन दिन ठहरने पर अधिकतम एक हजार रुपये या प्रतिदिन 25 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। होटल और होम स्टे स्वामियों को इसकी प्रतिपूर्ति मुख्यमंत्री राहत कोष से की जाएगी। इस पर सोशल मीडिया में की गई पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि इस छूट को 33 प्रतिशत तक किया जाए और होटल मालिकों को 17 प्रतिशत छूट या सब्सिडी दी जाए।
साथ ही इस पैकेज में ऑक्सीजन रिचार्जिंग के लिए जंगलों में कुछ स्थानों को चिह्नित किया जाए, जहां लोगों को कुछ वक्त के लिए ले जाया जाए। इससे कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए लोग बड़ी संख्या में उत्तराखंड का रुख करेंगे। उपनल के जरिये भर्ती में सरकार को भाई-भतीजावाद से बचने की नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के मामले में इसका डर रहता है। उन्होंने जौनसार भाबर में वर्ग तीन और चार की जमीनों के नियमितीकरण के फैसले को भी सराहा।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कोरोना संकट के चलते उपजी परिस्थितियों और कोरोना संक्रमितों के उपचार समेत अन्य मसलों को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। साथ ही सुझाव दिया कि राज्य सरकार को कोरोना के संदर्भ में ठोस रणनीति बनानी चाहिए और उस पर कड़ाई से अमल भी होना चाहिए। सोशल मीडिया में अपनी पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि वर्तमान में कोरोना संक्रमित होना ऐसा लगता है, जैसे कोई सामाजिक अपराध हो गया है।
अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों को भर्ती नहीं किया जा रहा। आखिर इस तरीके के हालात कब तक चलेंगे। जिस परिवार के सदस्य आइसोलेशन में हैं, उनकी देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना से इतना डर रही है कि रिस्क लेना तो छोड़िये, वह दूर-दूर से झाक भी नहीं रही। उन्होंने सामाजिक कार्यकत्र्ताओं और कांग्रेसजनों से अपील की कि वे कोरोना संक्रमित परिवारों से मोबाइल पर संवाद बनाएं।