रामदेव के चक्कर में उत्तराखंड के अफसर भी सुप्रीम कोर्ट के लपेटे में आए
बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण के साथ उत्तराखंड के अफसरों की गर्दन भी सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में फंस गई है।
नई दिल्ली। पतंजलि की दवाइयों एवं अन्य उत्पादों को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हुए भ्रामक विज्ञापन देने के मामले में बुरी तरह से फंसे बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण के साथ उत्तराखंड के अफसरों की गर्दन भी सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में फंस गई है। अदालत ने वर्ष 2018 से उत्तराखंड के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के अधिकारियों एवं जिला आयुर्वेदिक अधिकारियों से भी जवाब मांगा है।
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई हिदायत के बाद भी कंपनी के विज्ञापन प्रकाशित करने वाले बाबा रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण को अदालत द्वारा तगड़ी फटकार लगाते हुए दोनों के नए माफीनामे को अस्वीकार कर दिया गया है।
हाईकोर्ट के जस्टिस हिमा कोहली एवं जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की दो सदस्यीय बेंच ने अगली सुनवाई 16 अप्रैल को निर्धारित करते हुए वर्ष 2018 से उत्तराखंड के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के अधिकारियों एवं जिला आयुर्वेदिक अधिकारियों से भी जवाब मांगा है कि गुमराह करने वालों के खिलाफ उनके द्वारा शिकायतों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट में मौजूद उत्तराखंड के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के संयुक्त निदेशक डॉ मिथिलेश कुमार ने सुनवाई के दौरान एक समय हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हुए माफी मांगी और कहा मीलोर्ड कृपया मुझे बख्श दीजिए। क्योंकि मैं जून 2023 में इस पद पर आया हूं, यह सब कुछ मेरे आने से पहले हुआ था।