अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए ठोस योजना तैयार करे सरकार- हाईकोर्ट
सरकार को मौखिक तौर पर अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए शपथपत्र के माध्यम से ठोस योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नदियों में निकर्षण (ड्रेजिंंग) पर लगी रोक को हटाने के मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मौखिक तौर पर अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए शपथपत्र के माध्यम से ठोस योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
अदालत ने कहा कि पहले ठोस योजना प्रस्तुत करें। उसके बाद ही पूर्व के आदेश पर विचार किया जा सकेगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की युगलपीठ में सरकार की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई।
पूर्व में युगलपीठ ने अवैध खनन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खनन पर रोक लगा दी थी। साथ ही 'एंटी माइनिंग फोर्स' गठित करने के निर्देश भी दिये थे।
यही नहीं अदालत ने नदियों में सरकारी एजेंसियों के माध्यम से ही ड्रेजिंग की अनुमति दी थी। अदालत ने ड्रेजिंग के दौरान निकलने वाली खनन सामग्री के परिवहन पर भी रोक लगा दी थी।
राज्य सरकार की ओर से पेश प्रार्थना पत्र में पुराने आदेश में संशोधन की मांग की गयी। पत्र में कहा गया कि ड्रेजिंग सामग्री के परिवहन पर रोक लगने से सरकार को प्रत्येक वर्ष 500 करोड़ का नुकसान हो रहा है और विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
दूसरी ओर न्यायमित्र अधिवक्ता आलोक मेहरा की ओर से अदालत के समक्ष जांच रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया कि अवैध खनन से नदी तट प्रभावित हुए हैं।
वार्ता