मंगल गीतों से महिलाएं मौसम का करती हैं स्वागत- जयवीर सिंह

सांस्कृतिक कार्यक्रम विभिन्न मौसम में हमारे देश एवं प्रदेश के कलाकारों द्वारा किया जाता है

Update: 2023-08-25 14:30 GMT

लखनऊ। बरसात के मौसम प्रकृति का दृश्य पूरी तरह से हरा-भरा नजर आता है। सभी के चेहरे पर मुस्कान रहती है। जल के महत्व को देखते हुए इसे जल देवता की उपाधि दी गयी है। समय पर वर्षा हो जाय, तो किसानों का मन प्रसन्न्न हो जाता है एवं उनके जीवन पर इसका बहुत अधिक प्रभाव रहता है। संगीत से जुड़ा होेने के कारण विभाग का सम्बंध वर्षा से है। प्रदेश में बहुत सी सांस्कृतिक गतिविधियां वर्षा से जुड़ी है, जैसे-कजरी का आयोजन फसल की बुआई के समय मुख्य तौर से होता है। इसी प्रकार बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम विभिन्न मौसम में हमारे देश एवं प्रदेश के कलाकारों द्वारा किया जाता है। महिलाएं मंगल गीतों के माध्यम से मौसम का स्वागत करती हैं।

यह बातें पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने उ0प्र0 लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान एवं भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वर्षा मंगल कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर जब जल की फुहारें पड़ती है तो मिट्टी की सोंधी खुशबू लोगों को आनंदित कर देती हैं। यह वह समय होता है जब हमारे अन्नदाता किसान धान की रोपाई करते है और इसके लिए वर्षा का इंतज़ार करते है। वर्षा होने पर मंगल गीत गाये जाते हैं। लोग झूमते नाचते हैं। आकाश भी सप्तरंगों इंद्रधनुष लिए प्रकृति को और भी खूबसूरत बना देता है। पेड़ पौधों में नई हरी पत्तियां खूबसूरत हरियाली कर देती है।

सर्वप्रथम कार्यक्रम में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा कहाँ से आवे बदरा, कहाँ से आवे बुंदिया और डॉ० कमलेश दुबे द्वारा लिखित चला चली सावन के बहारे जैसे वर्षा गीतों से कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद छात्रों द्वारा गगन गरजत दमकत दामिनी पर कथक नृत्य की प्रस्तुति की गई। लखनऊ की लोकगायिका श्रीमती अंजली खन्ना एवं दल द्वारा सावन आयो सुघड़ सुहावनो, हरी मेहंदी के हरे हरे पात व नन्ही नन्ही बुंदिया रे जैसे वर्षा गीतों तथा नृत्य की प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में विभिन्न रंगों की छटा बिखेर कर दर्शकों को आत्मविभोर कर दिया। जवाबी कजरी अवध में बहुत प्रचलित रही है, अधिकतर पुरुषों द्वारा इस जवाबी कजरी की प्रथा रही है। अधर की कजरी, ककहरा, बंदिश, छंद, बंद जैसे कई कजरी के प्रकार है। पहली बार भातखण्डे विश्वविद्यालय का मंच इस जवाबी कजरी का गवाह रहा। इस कार्यक्रम में मिर्ज़ापुर से पधारी प्रसिद्ध लोकगायिका श्रीमती उर्मिला श्रीवास्तव व प्रयागराज से पधारी लोकगायिका श्रीमती आश्रया द्विवेदी के बीच जवाबी कजरी का आयोजन हुआ। जवाबी कजरी के इस कार्यक्रम ने दर्शकों को आनन्दित कर दिया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ० सीमा भरद्वाज ने किया।

कार्यक्रम में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० मांडवी सिंह द्वारा माननीय मंत्री, पर्यटन एवं संस्कृति श्री जयवीर सिंह जी का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में विशेष सचिव श्री अमरनाथ उपाध्याय, भातखण्डे की कुलसचिव डॉ० सृष्टि धवन उपस्थित रहीं।

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