यह नीति 5 वर्ष अथवा सरकार द्वारा नई नीति लागू करने तक रहेगी प्रभावी
आगामी 05 वर्षों में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह नई नीति जारी की गयी है
लखनऊ। राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति-2022 को प्रख्यापित कर दिया गया है। आगामी 05 वर्षों में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह नई नीति जारी की गयी है। यह नीति 05 वर्ष अथवा सरकार द्वारा नई नीति लागू करने तक प्रभावी रहेगी।
इस नीति के अंतर्गत पात्र निवेश की अवधि की गणना नीति के लागू होने की तिथि के बाद से की जायेगी। नीति के अंतर्गत सूक्ष्म इकाइयों के पात्र निवेश की अवधि आवेदन करने के 02 वर्ष तक होगी। यह अवधि लघु एवं मध्यम उद्यमों हेतु क्रमशः 03 एवं 04 वर्ष होगी। पात्र निवेश की अवधि में ही इकाइयों को वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करना होगा। नीति की प्रभावी अवधि में किये गये निवेश को ही पात्र स्थायी पूंजी निवेश के रूप में माना जायेगा। यह नीति तम्बाकू उत्पादन, गुटखा, पान मसाला, अल्कोहल, वातयुक्त पेय पदार्थ, कार्बोनेटेड उत्पाद, पटाखों का विनिर्माण, प्लास्टिक कैरीबैग (40 माइक्रॉन से कम) अथवा राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर प्रतिनिषिद्ध श्रेणी में वर्गीकृत मोटाई के प्लास्टिक बैग तथा समय-समय पर प्रतिषिद्ध श्रेणी सूची में श्रेणीकृत उत्पादों के निवेश प्रस्तावों पर लागू नहीं होगी।
उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान ने बताया कि राज्य में अधिकत्म निवेश आकर्षित करने एवं अन्य प्रदेशों के सापेक्ष प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाये रखने के लिए प्रदेश सरकार कुछ नियम एवं शर्तों के अधीन छूट, अनुदान एवं वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। सूक्ष्म, एवं लघु उद्योगों के लिए 02 करोड़ तक के कोलेटरल फ्री ऋण हेतु बैंकों द्वारा क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एण्ड स्माल इंटरप्राइजेज हेतु लिए जाने वाले वन टाइम गारंटी फीस का भुगतान सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। नई नीति के अन्तर्गत स्थापित होने वाले नवीन एम0एस0एम0ई0 उद्यमों को पूँजीगत उपादान के रूप में 10 प्रतिशत से 25 प्रतिशत का उपादान उपलब्ध कराया जाएगा। बुन्देलखण्ड एवं पूर्वान्चल क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों हेतु उपादान की सीमा क्रमशः 25 प्रतिशत, 20 प्रतिशत एवं 15 प्रतिशत होगी। इसी प्रकार मध्यान्चल एवं पश्चिमान्चल में उपादान की सीमा क्रमशः 20 प्रतिशत, 15 प्रतिशत एवं 10 प्रतिशत होगी। अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिला उद्यमियों को 02 प्रतिशत अतिरिक्त निवेश प्रोत्साहन सहायता प्रदान की जायेगी। निवेश प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा 04 करोड़ रुपये प्रति इकाई होगी।
मंत्री राकेश सचान ने बताया कि प्रदेश में स्थापित होने वाले नये सूक्ष्म उद्योग हेतु पूंजीगत ब्याज उपादान के सम्बन्ध में ऋण पर देय वार्षिक ब्याज का 50 प्रतिशत, अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति इकाई 05 वर्षों के लिए दिया जायेगा। अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिला उद्यमियों को यह ब्याज उपादान 60 प्रतिशत दिया जायेगा। प्रदेश की एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को अधिक से अधिक स्रोतों से क्रेडिट उपलब्ध कराने हेतु स्टॉक एक्सचेंजेस पर लिस्टिंग हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा। ऐसी सभी इकाइयों को लिस्टिंग के व्यय का 20 प्रतिशत (अधिकतम 05 लाख रुपये) की प्रतिपूर्ति की जाएगी। प्रदेश में फ्लैटेड फैक्ट्रीज की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा। पांच करोड़ रुपये अथवा इससे अधिक की मशीनरी एवं संयंत्र वाली सभी नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कच्चे माल की खरीद पर पांच वर्ष के लिए मण्डी शुल्क से छूट की व्यवस्था मण्डी अधिनियम के अनुसार प्रदान की जायेगी।
मंत्री राकेश सचान ने बताया कि प्रदेश में 10 एकड़ से अधिक के एम0एस0एम0ई0 पार्क/औद्योगिक एस्टेट/फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्पलेक्स स्थापित करने हेतु भूमि क्रय पर 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क में छूट एवं लिये गये ऋण पर 07 वर्षों तक 50 प्रतिशत ब्याज उपादान (अधिकतम 02 करोड़ रुपये) उपलब्ध कराया जाएगा। विभाग के औद्योगिक आस्थानों में भूखण्डों/शेडों के आवंटन की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जायेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से 05 एकड़ अथवा उससे अधिक की ग्राम सभा की भूमि पुनर्ग्रहीत कर निःशुल्क उद्योग निदेशालय को स्थानान्तरित की जाएगी। इसी प्रकार एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर 05 किलोमीटर की दूरी के अन्तर्गत औद्योगिक आस्थानों के विकास के माध्यम से एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को प्रोत्साहित किया जायेगा। प्रदेश के विभिन्न परम्परागत औद्योगिक क्लस्टरों में एफ्लुएण्ट ट्रीटमेंट की समस्या को समझते हुए प्रस्तावित पॉलिसी में सी0ई0टी0पी0 को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस हेतु अधिकतम 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
मंत्री राकेश सचान ने बताया कि विभिन्न गुणवत्ता मानक यथा जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट (जेड0ई0डी0), डब्ल्यू0एच0ओ0 जी0एम0पी0, हॉलमार्क इत्यादि प्राप्त करने हेतु कुल लागत का 75 प्रतिशत (अधिकतम 05 लाख रुपये) की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। भौगोलिक संकेतक (जी0आई0 रजिस्ट्रेशन)/पेटेन्ट आदि प्राप्त करने हेतु 02 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। क्लीन एवं ग्रीन तकनीक को अपनाने हेतु एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को अधिकतम 20 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। उद्यमिता विकास संस्थान को सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करते हुए उद्यमिता के पाठ्यक्रमों के आधार पर प्रदेश के युवाओं में उद्यमिता का प्रसार किया जाएगा।