15 लाख बिजली कर्मचारियों का प्रदर्शन

लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और इंजीनियरों ने विरोध प्रदर्शन किया।

Update: 2020-12-08 10:29 GMT

लखनऊ। कृषि कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल की वापसी की मांग को लेकर पिछले 13 दिनों से संघर्षरत किसानों के समर्थन में आज देश भर में लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और इंजीनियरों ने विरोध प्रदर्शन किया।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि देश भर में सभी प्रांतों में बिजली कर्मचारियों ने भोजनावकाश के दौरान प्रदर्शन कर किसानों के साथ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल का ड्राफ्ट जारी होते ही बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। बिल में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली नही दी जाए।

यद्यपि कि बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दे सकती है किंतु इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि किसान संयुक्त मोर्चा के आवाहन पर चल रहे आंदोलन में कृषि कानूनों की वापसी के साथ किसानों की यह एक प्रमुख मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल वापस लिया जाए| किसानों का मानना है की इससे बिजली का निजीकरण करने की योजना है जिससे बिजली निजी घरानों के पास चली जाएगी। निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम करते हैं जिससे बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी।

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