एआरटीओ राजीव बंसल की मुहिम, ई-रिक्शाओं के पंजीकरण से जुटाया 3 करोड़ 20 लाख का राजस्व
एआरटीओ प्रशासन राजीव कुमार बंसल की इस कार्यवाही का इतना असर हुआ कि प्रत्येक माह औसतन दो सौ ई-रिक्शाओं का प्रत्येक माह पंजीकरण होने लगा।;
मुजफ्फरनगर। जनपद में जिला प्रशासन के निर्देश पर सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी राजीव कुमार बंसल ने आम के आम गुठलियों के दाम वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए सड़कों पर दौड़ रही ई-रिक्शाओं को पंजीकृत करने की मुहिम चलाकर एक ओर जहां विभाग के राजस्व में वृद्धि की है, वहीं किसी भी सम्भावित दुघर्टना के बाद होने वाली परेशानी से पुलिस-प्रशासन को निजात दिलाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
जनपद के सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन राजीव कुमार बंसल की माने तो जनपद में अब तक लगभग 4 हजार ई-रिक्शाओं को पंजीकृत किया जा चुका है
जनपद के सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन राजीव कुमार बंसल की माने तो जनपद में अब तक लगभग 4 हजार ई-रिक्शाओं को पंजीकृत किया जा चुका है, जिनसे प्रति ई-रिक्शा दो साल का रोड टैक्स 4800 रूपये, हाॅयर-परचेज शुल्क 1500 रूपये, पंजीकरण शुल्क एक हजार रूपये तथा फिटनेस शुल्क 600 वसूल कर अब तक विभाग को लगभग 3 करोड़ 20 लाख का राजस्व प्राप्त करा चुके हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार जनपद में अब तक 98 प्रतिशत ई-रिक्शाओं को पंजीकृत किया जा चुका है, जबकि सूबे के अन्य जनपदों में अधिकतम 50 से 60 प्रतिशत ई-रिक्शाएं ही पंजीकृत की जा सकी हैं। अगर अलीगढ़ की बात करें तो वहां पर ई-रिक्शाओं के पंजीकरण का प्रतिशत शून्य है।
सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन राजीव कुमार बंसल ने बताया कि वर्ष 2017 में केवल 49 ई-रिक्शाएं ही पंजीकृत थी
सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन राजीव कुमार बंसल ने बताया कि वर्ष 2017 में केवल 49 ई-रिक्शाएं ही पंजीकृत थी। इसके बाद उन्होंने जिला प्रशासन के निर्देश पर पुलिस के सहयोग से जबरदस्त चैकिंग अभियान चलाया और अपंजीकृत ई-रिक्शाओं को चालकों सहित पकड़कर पुलिस लाइन में पहुंचा दिया था। पुलिस और परिवहन विभाग ने मानवता का परिचय देते हुए ई-रिक्शा संचालकों की गरीबी के मद्देनजर कोई भी कानूनी कार्यवाही किये बिना ही ई-रिक्शा संचालकों पर दबाव बनाया कि वे अपनी-अपनी ई-रिक्शाओं को एआरटीओ कार्यालय में पंजीकृत करायें।
एआरटीओ प्रशासन राजीव कुमार बंसल की इस कार्यवाही का इतना असर हुआ कि प्रत्येक माह औसतन दो सौ ई-रिक्शाओं का प्रत्येक माह पंजीकरण होने लगा। काफी दिनों तक यही सिलसिला चला बाद में जनवरी 2018 से दिसम्बर 2018 तक प्रत्येक माह औसतन 100 ई-रिक्शाओं का पंजीकरण हुआ। अब भी स्थिति ये है कि प्रत्येक माह 10 से 15 ई-रिक्शाएं पंजीकृत की जा रही हैं। सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन की मानें तो जनपद की 98 प्रतिशत ई-रिक्शाएं पंजीकृत की जा चुकी हैं।
जानकारों की मानें तो अगर इस आधार पर सूबे में कभी रैंकिंग हुई तो निश्चित रूप से मुजफ्फरनगर जनपद को प्रथम स्थान प्राप्त होगा। उनके अनुसार ई-रिक्शाओं को पंजीकरण कराने की योजना से एक तीर से दो निशानें साध लिए गये हैं। पहला तो ई-रिक्शाओं के पंजीकरण के नाम पर लिए जाने वाले शुल्क से विभाग की आमदनी में ईजाफा हुआ है और दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये हुआ है कि ई-रिक्शाओं के माध्यम से अपराधिक घटनाओं एवं दुर्घटना के होने पर बिना पंजीकरण वाहन व उसके चालक या संचालक की पहचान कर पाना पुलिस प्रशासन के लिए टेड़ी खीर साबित हो सकती थी, लेकिन पंजीकरण होने के बाद अन्य पंजीकृत वाहनों की तरह ई-रिक्शाओं की पहचान करने सहित उसके संचालक (मालिक) व चालक तक पहुंचने में पुलिस को आसानी हो गयी हैं। इसके साथ ही ई-रिक्शाओं के गुम होने या चोरी होने की दशा में पंजीकरण के बाद पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करके मामले की जांच करने में आसानी हो गयी है। इसके साथ जिला प्रशासन के पास इस बात का आंकडा भी आसानी से प्राप्त हो गया है कि जनपद की सड़कों पर कितनी ई-रिक्शाएं दौड़ रही हैं।