कर्ज के दबाव में आये किसान ने कर ली आत्महत्या-धान ना बिकने से था परेशान
किसान ने कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया। अस्पताल में भर्ती कराए गए किसान ने 2 दिनों तक मौत से संघर्ष करते हुए
नई दिल्ली। पहले फसल खराब होने और उसके बाद तैयार हुई फसल के कम कीमत पर बिकने से बिगड़ी आर्थिक स्थिति से परेशान होकर किसान ने कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया। अस्पताल में भर्ती कराए गए किसान ने 2 दिनों तक मौत से संघर्ष करते हुए आखिर में हार मान ली और उसकी मौत हो गई।
पश्चिमी उड़ीसा के संबलपुर जिले में एक 45 वर्षीय किसान ने कथित तौर पर आत्महत्या करते हुए मौत को गले लगा लिया है। पीड़ित परिवारजनों का कहना है कि पहले तो खेतों में बोई गई फसल खराब हो गई थी। उसके बाद जो फसल तैयार हुई वह भी बाजार में कम कीमतों पर बिकी। जिसके चलते संबलपुर जिले के कूड़ागुंदरपुर गांव का 45 वर्षीय किसान कैबल्लिया रोहिदास बुरी तरह से मानसिक तनाव में पहुंच गया था। बताया जा रहा है है कि किसान ने पिछले रबी के सीजन में तकरीबन 2 कुंटल धान का उत्पादन किया था। लेकिन वह अपनी उपज का केवल 45 किलोग्राम धान ही एमएसपी के आधार पर बेच सका था। मृतक किसान के बेटे दशरथ रोहिदास ने आरोप लगाया है कि समूची धान की फसल एमएसपी पर ना बिकने से उन्हें डेढ़ लाख रुपए का भारी नुकसान हुआ है। क्योंकि उन्हें धान का बचा हुआ स्टॉक बहुत सस्ते दामों पर बेचना पड़ा। जिससे उन्हें भारी परेशानी हुई। बेटे ने बताया कि फसल में हुए नुकसान की वजह से पिता का तनाव और अधिक बढ़ गया था क्योंकि उन्हें एक सहकारी समिति से पावर टीलर खरीदने के लिए लिया गया कम से कम 72000 का बकाया कर्ज वापस करना था। किसान की मौत के बाद भाजपा के विधायक नूरी नायक ने मृतक किसान के घर का दौरा किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनका बकाया ऋण माफ कर दिया जाएगा और परिवार को कम से कम 1000000 रूपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा।