एन0सी0आर0 हटाओ मुजफ्फरनगर के उद्योग बचाओं - अंकित संगल
फेडरेशन ऑफ मुजफ्फरनगर कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री की एक अति आवश्यक बैठक फेडरेशन कार्यालय पर आयोजित हुई।
मुजफ्फरनगर। फेडरेशन ऑफ मुजफ्फरनगर कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री की एक अति आवश्यक बैठक फेडरेशन कार्यालय पर आयोजित हुई। बैठक में मुजफ्फरनगर में एन. सी. आर. लागू होने से उद्योगों को आ रही समस्याओं के बारे में अवगत कराया।
एन.जी.टी. सेन्ट्रल पोल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के आदेशों का पालन करती है सेन्ट्रल पोल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के अन्तर्गत यदि दिल्ली का एक्यू.आई. 200 से ऊपर आता है तो वह ग्रेप-2 में आता है इसमें डीजल जनरेटर चलाना बेन है क्योंकि जनरेटर से हवा की गुणवत्ता खराब होती है। प्रदूषण विभाग के अधिकारी ने बताया कि दिल्ली का ए.क्यू.आई. ही पूरा एन.सी.आर पर लागू होगा जबकि यह सरासर अनुचित है क्योंकि दिल्ली में अक्टूबर माह से फरवरी माह तक पोल्यूशन बहुत अधिक रहता है जिसमें कि ग्रेप-2 लागू रहेगा क्योंकि दिल्ली में रोजाना लाखों गाडियो का आवागमन होता है। इसलिये इसको एन.सी.आर. के अन्य जिलों पर लागू करना अनुचित होगा मुजफ्फरनगर में ना तो कोई ज्यादा पोल्यूशन करने वाला उद्योग स्थापित है न ही कोई एग्रीकल्चर वेस्ट जलाया जाता है।
आम तौर पर अक्टूबर से फरवरी में यहाँ की वायु गुणवत्ता साफ दिखाई देती है। इसलिये मुजफ्फरनगर को दिल्ली के ए.क्यू.आई. से न नापा जाये डीजल जनरेटर बेन होने के कारण गैस के जनरेटर चलाने की अनुमति है जो कि अत्यधिक महगे है। जिनकी कीमत 8 से 10 लाख रूपये से शुरू होती है। जिसको खरीदना एक छोटे उद्यमी के लिए कठिन है इसको चलाने के लिये जिस गैस की आवश्यकता है उस सी०एन०जी० गैस का कनेक्शन देने के लिए आई०जी०एल० कम्पनी अधिकृत है। जो कि गैस के कनेक्शन देने में अत्यधिक विलम्ब कर रही है। ऐसे में उद्यमी जाये तो जाये कहाँ? विद्युत आपूर्ति निर्बाध उपलब्ध नहीं है तथा गैस जनरेटर चलाने के लिए गैस उपलब्ध नहीं है। अतः उद्योग बन्दी की कगार पर आ गये है। यही स्थिति रही तो सभी उद्योगपति सडकों पर उतर आयेंगे और अपने उद्योग बन्द कर देंगे, जिससे सरकार को वित्तीय हॉनि तो होगी ही साथ ही बेरोजगारी भी बढ़ेगी। यदि मुजफ्फरनगर को एन. सी. आर. से बाहर न निकाला गया तो उद्यमी अपना उद्योग दूसरे जिले में प्लायन करने के लिए मजबूर हो जायेंगे। कभी पॉल्यूशन की मार तो कभी एन०जी०टी० के तुगलकी फरमान आने से उत्पादन कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है (ईकाईया बंदी के कगार पर पहुंच गई है। इस सम्बन्ध में कुछ बिन्दुओं से अवगत कराया गया जैसे ए.क्यू.आई. मशीन प्रदूषण विभाग द्वारा एसडी कॉलेज की छत पर लगाई गई है जिसके चारों ओर घने पेड़ है और यहीं से ही नगर का एक्यूआई लिया जाता जिससे कि हवा का स्तर व गुणवत्ता का सही आंकलन लिया जाता है जो उचित प्रतीत नहीं होता है। हमारी मांग है कि एक ए.क्यू.आई. हमारे फेडरेशन भवन की छत पर लगाई जाए इन दोनो मशीन का ए.क्यू.आई. का मिलान किया जाए तब हवा का स्तर और गुणवंता की जांच की जाए। उन्होंने आगे कहा कि जिले में ए.क्यू.आई. की कम से कम चार मशीनें होनी चाहिए जो अलग-अलग क्षेत्रों का एक ए.क्यू. आई नाप सके जिससे कि हवा की गुणवत्ता का पता चल सकें।
अंकित संगल. अध्यक्ष ने कहा कि एनसीआर में आने से इकाईयां को चलाना दूभर हो गया है क्योंकि रोज नए नए कानून आते हैं। एनसीआर में आने के खामियाजे इंडस्ट्रीज को भुगतने पड़ रहे हैं। अतः हम सरकार से यह मॉग करते हैं कि मुजफ्फरनगर को एन०सी०आर० से बाहर निकाला जाये जिससे उद्यमियों का शोषण होने से बचाया जा सके।