खनिज एवं पर्यावरण विभाग मेहरबान तो क्रैशर संचालक पहलवान
क्रेशर संचालक विभाग की बजाय अपने बनाए हुए नियम के आधार पर अपना क्रेशर संचालित करते हैं
नौरोजाबाद। खनिज एवं पर्यावरण विभाग की ओर से कदम कदम पर दिखाई जा रही मेहरबानी और दरियादिली की वजह से क्रेशर संचालकों की जमकर को पौबारह हो रही है। नियमों के मुताबिक व्यवस्था नहीं किए जाने से उस पर खर्च होने वाला पैसा क्रेशर संचालकों की जेब को भारी कर रहा है।
दरअसल उमरिया जिले के नौरोजाबाद क्षेत्र मे बड़े पैमाने पर खनन का कार्य किया जाता है। क्षेत्र में कोयला खदानों के साथ-साथ क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में कई क्रेशर प्लांट वर्षो से संचालित हो रहे है। क्रेशर प्लांट को संचालित करने के लिए खनिज विभाग की गाइड लाइन पालन करना क्रैशर संचालकों के नियम और शर्तो मे शामिल रहता है। परंतु नौरोज़ाबाद क्षेत्र में क्रेशर संचालकों द्वारा खनिज विभाग के नियमों को धता बताते हुए क्रेशर संचालित किए जा रहे हैं। क्रेशर संचालक विभाग की बजाय अपने बनाए हुए नियम के आधार पर अपना क्रेशर संचालित करते हैं
सुरक्षा मानकों की अनदेखी
नौरोजाबाद क्षेत्र के क्रेशर संचालकों द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। क्रेशर संचालकों को पत्थर खनन के लिए खनिज विभाग के द्वारा जिस रकबे की लीज दी जाती है, उसी रकबे में तो पत्थर खनन करना लाजमी होता है। लेकिन इस नियम विपरीत भी नौरोजाबाद क्षेत्र के क्रेशर संचालकों के द्वारा लीज रकबे से हटकर भी पत्थरों का जमकर अवैध उत्खनन किया जाता है और खनिज विभाग को लाखों रुपए राजस्व की हानि पहुंचाई जाती है। इतना ही नहीं इसके अलावा भी क्रेशर संचालकों के द्वारा जिस लीज रकबे पर पत्थर का उत्खनन किया जाता है, उस क्षेत्र में चारों तरफ तार की फेंसिंग करानी पड़ती है, लेकिन अधिकतर क्रेशर संचालकों के द्वारा खनन क्षेत्र में तार फेंसिंग मे केवल खानापूर्ति की जाती है। हालात ऐसे हैं कि नियत स्थान से हटकर क्रेशर संचालकों द्वारा पत्थर का खनन कर उस स्थान को उसी रूप में छोड़ दिया जाता है, जिसमें हमेशा दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। पत्थर का खनन भी क्रेशर संचालकों के द्वारा स्टेप बाय स्टेप करना चाहिए, लेकिन उनके द्वारा एक तरफ से ही पत्थर खनन किया जाता है जिस कारण हमेशा ही खदान ढहने का अंदेशा बना रहता है।
बेखबर है खनिज विभाग
नौरोजाबाद क्षेत्र में बड़े पैमाने पर क्रेशर संचालित होने कारण प्रदूषण फैल रहा है। क्रैशरो से निकलने वाले डस्ट रूपी प्रदूषण से ग्रामीण क्षेत्र के रहवासी काफी परेशान रहते है, जिस कारण उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियों के सामना करना पड़ता है। वही संबंधित खनिज विभाग को इन सब बातों में कोई रूचि नहीं रहती है
ये है मानक सुरक्षा के निर्देश
ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार क्रेशर संचालकों को संचालन के दौरान विशेष ऐतिहात बरतनी पड़ती है। वातावरण प्रदूषित न हो इसके लिए क्रेशर प्लांट के पास हरे भरे वृक्षों के लिए पौधारोपण करना चाहिए और लोगों को धूल से बचाव के लिए समय-समय पर पानी का छिड़काव करना चाहिए, क्रेशर में कार्यरत मजदूरों की स्वास्थ्य संबंधित जांच समय-समय पर कराते रहना चाहिए, क्रेशर प्लांट में सुरक्षा के दृष्टिकोण से माकूल इंतजाम रखना चाहिए। लेकिन नौरोजाबाद क्षेत्र में क्रेशर संचालकों के द्वारा शासन के मानकों का गंभीरता से पालन नहीं किया जाता है।
रिपोर्ट- चंदन श्रीवास मध्य प्रदेश