प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध- मिनिस्टर
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है, कहीं किसी भी जनपद में उर्वरक की कोई कमी नहीं है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्रदेश में खरीफ-2021 सीजन हेतु निर्धारित लक्ष्य 57.00 लाख मी0टन के सापेक्ष जून माह तक 31.18 लाख मी0टन उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है और कहीं किसी भी जनपद में उर्वरक की कोई कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि किसानों को उनकी आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तायुक्त उर्वरक उपलब्ध कराई जा रही है।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि यूरिया हेतु माह जून 2021 के लिए निर्धारित लक्ष्य 16.50 लाख मी0टन के सापेक्ष 21.81लाख मी0टन की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गयी है,जिसके सापेक्ष 9.05 लाख मी0टन यूरिया की बिक्री की जा चुकी है और वर्तमान में 12.76 लाख मी0टन यूरिया उपलब्ध है। इसी प्रकार डी0ए0पी0 के लिए निर्धारित लक्ष्य 7.25 लाख मी0टन के सापेक्ष 5.36 लाख मी0टन की उपलब्धता कर ली गयी है और 1.34 लाख मी0टन डी0ए0पी0 की बिक्री की जा चुकी है। वर्तमान में 4.02 लाख मी0टन डी0ए0पी0 उपलब्ध है।
सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि इसी प्रकार एन0पी0के0 हेतु निर्धारित लक्ष्य 4.00 लाख मी0टन के सापेक्ष 2.84 लाख मी0टन की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गयी है, जिसके सापेक्ष 0.81 लाख मी0टन की बिक्री की जा चुकी है और वर्तमान में 2.03 लाख मी0टन एन0पी0के0 उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि एम0ओ0पी0 हेतु निर्धारित लक्ष्य 2.00 लाख मी0टन के सापेक्ष जून माह तक 1.17 लाख मी0टन की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गयी है। 0.23 लाख मी0टन एम0ओ0पी0 की बिक्री की जा चुकी है और 0.94 लाख मी0टन एम0ओ0पी0 उपलब्ध है।
प्रदेश मेंयूरिया (नीम कोटेड) के 45 कि0ग्रा0 के बैग की दर 266.50 रुपये एवं डी0ए0पी0 (18ः46) के 50 कि0ग्रा0 के बैग की दर 1200.00 रुपये निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि उर्वरक विक्रेताओं को पी0ओ0एस0 मशीन के माध्यम से ही उर्वरक की बिक्री करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को उच्च गुणवत्तायुक्त बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक उपलब्ध कराने का ही परिणाम है कि वर्तमान सरकार के 04 वर्ष के कार्यकाल में रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ है। प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादकता 22.71 कुतल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर अब 30.84 कुंतल प्रति हेक्टेयर हो गयी है।