अमर्त्य सेन पर आरोप
नोबेल विजेता अमर्त्य सेन ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के भूमि विवाद में समर्थन को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आभार जताया है
नई दिल्ली। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की अमूल्य धरोहर शांतिनिकेतन (स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय) ने लोगों को शांति दी है, ज्ञान दिया है और राष्ट्रप्रेम का पाठ पढ़ाया है। इसी संस्था के 100 वर्ष पूरे होने पर अब एक विवाद ने देश भर की निगाहें इसकी तरफ कर दी है। इसी संस्थान की भूमि पर कब्जा करने का आरोप नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर लगाया गया है। अमर्त्य सेन ने इसी वर्ष मार्च में एक कार्यक्रम के दौरान केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ भाषण दिया था। सेन ने दिल्ली में दंगे को लेकर कहा था कि मैं बहुत चिंतित हूं कि यह जहां हुआ, वह देश की राजधानी है और केन्द्र द्वारा शासित है। अगर अल्पसंख्यकों को वहां प्रताडित किया जाता है और पुलिस विफल या अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहती है तो यह गंभीर चिंता का विषय है। आज जब अमत्र्यसेन पर शांतिनिकेतन की भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगा तो इस भाषण की भी याद आ रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस कार्यक्रम में शामिल भी नहीं हुईं थीं। उनका आरोप था कि उन्हें पीएम के कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र ही नहीं भेजा गया। बहरहाल, अपने ऊपर लगे आरोपों का जहां सेन ने विरोध किया, वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उनके समर्थन में मजबूती से खड़ी हैं।
नोबेल विजेता अमर्त्य सेन ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के भूमि विवाद में समर्थन को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आभार जताया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 100 साल पुराने इस विश्वविद्यालय में 87 साल के अमर्त्य सेन समेत कई लोगों पर जमीन कब्जाने के आरोप लगे हैं। बुद्धिजीवियों ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की जमीन पर कथित कब्जे के मामले में नोबेल अमर्त्य सेन के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। बुद्धिजीवियों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा सेन के साथ व्यवहार को तानाशाही एवं निरंकुश करार दिया था। कवि जॉय गोस्वामी एवं सुबोध सरकार, गायक कबीर सुमन, चित्रकार जोगेन चैधरी और रंगमंच से राजनीति में आए ब्रत्या बसु समेत अन्य कई हस्तियां ललित कला अकादमी के परिसर में एकत्र हुईं। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती परिसर में पट्टे की जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने की व्यवस्था करने में व्यस्त हैं। सेन का नाम भी कब्जा करने वालों की सूची में रखा गया है। सेन ने कहा है कि शांति निकेतन में उनके अधिकार वाली जमीन रिकॉर्ड में दर्ज है और पूरी तरह से लंबी अवधि के लिए पट्टे पर है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को पत्र लिखकर उनके प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया अमर्त्य सेन का नाम विश्व भारती यूनिवर्सिटी के अवैध भूंखड धारकों की विवादित सूची में आया है बंगाल की मुख्यमंत्री ने अमत्र्य दा को लिखे पत्र में कहा, "कुछ नए-नए घुसपैठियों ने निराधार और हैरत भरे आरोप लगाए हैं। आश्चर्य और पीड़ा व्यक्त करते हुए, ममता बनर्जी ने रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय के घर शांति निकेतन के साथ प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के गहरे संबंधों के बारे में बात की। उन्होंने लिखा, "विश्वभारती के कुछ नए-नए घुसपैठियों ने आपकी पैतृक संपत्तियों को लेकर हैरत भरे और निराधार आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। मुझे इससे गहरा दुख पहुंचा है। इस देश में बहुसंख्यकवादियों के हठ के खिलाफ इस लड़ाई में मैं आपके साथ हूं। ये लड़ाई, जिसने आपको असत्य की इन ताकतों का दुश्मन बना दिया हैं।
पत्र में लिखा है, हम सभी शांति निकेतन के साथ आपके परिवार के गहरे और जैविक संबंधों से अवगत हैं। आपके नाना श्रद्धेय विद्वान क्षितिजमोहन सेन शांतिनिकेतन में शुरुआती अग्रणी लोगों में से एक थे, जबकि आपके पिता आशुतोष सेन, जो कि एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और लोक प्रशासक थे, आठ दशक पहले शांति निकेतन में निर्मित उनका प्रसिद्ध घर प्रातीची था आपका परिवार शांति निकेतन की संस्कृति और ताना-बाना में बुना गया है।
ममता बनर्जी ने अमर्त्य सेन से आग्रह किया कि असहिष्णुता और अधिनायकवाद के खिलाफ युद्ध में मुझे अपनी बहन और दोस्त के रूप में गिनें आइए हम इन झूठे आरोपों और अनुचित हमलों से भयभीत न हों, हम इस पर जीत हासिल करेंगे। पत्र को अमर्त्य सेन के शांतिनिकेतन के पते पर भेजा गया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले को राज्य की चुनावी राजनीति से जोड़ दिया है। ममता बनर्जी ने अमर्त्य सेन का बचाव किया, जिसमें कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि विश्व भारती विश्वविद्यालय में अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा करने वालों की लिस्ट में उनका नाम है। ममता ने कहा था कि हम सभी अमर्त्य सेन को सैल्यूट करते हैं, बस क्योंकि वो बीजेपी की विचारधारा से सहानुभूति नहीं रखते हैं, इसलिए उनके खिलाफ ये आरोप लगाए जा रहे हैं। गत दिनों कुछ मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थीं, जिनमें बताया गया है कि ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित विश्व भारती विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को एक चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया कि अच्छी-खासी मात्रा में उसकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा जमाया गया था। उसने ऐसे लोगों की एक लिस्ट भी दी है, जिसमें अमत्र्य सेन का भी नाम है।
दिल्ली में फरवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने शनिवार को कहा था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और लोगों को धार्मिक आधार पर बांटा नहीं जा सकता उन्होंने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि क्या पुलिस अक्षम है या हिंसा से निपटने के लिए सरकार की तरफ से प्रयासों में कमी थी। प्रतीचि ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अमर्त्य सेन ने कहा, मैं बहुत चिंतित हूँ कि यह जहां हुई वह देश की राजधानी है और केंद्र द्वारा शासित है अगर अल्पसंख्यकों को वहां प्रताड़ित किया जाता है और पुलिस विफल या अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहती है तो यह गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, ऐसी खबर है कि जो लोग मारे गए या जिन्हें प्रताड़ित किया गया उनमें अधिकतर मुसलमान हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, हम हिंदू और मुसलमानों को बांट नहीं सकते। एक भारतीय नागरिक के तौर पर मैं चिंता होने के अलावा कुछ और नहीं कर सकता। सेन ने हालांकि कहा कि वह पूरे मामले का विश्लेषण किये बगैर कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति एस मुरलीधर का दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट पर सवाल उठना स्वाभाविक है। अमर्त्य सेन ने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से उन्हें जानता हूँ सवाल उठने स्वाभाविक हैं लेकिन मैं कोई फैसला नहीं सुना सकता। (हिफी)