रमेश ने चीन मुद्दे पर विदेश मंत्री से किए ये चार सवाल

रमेश अपने वक्तव्य में कहा कि हम भारत के विदेश मंत्री के इस कथन से पूर्णतया सहमत हैं कि हमारे जवानों का ‘सम्मान,

Update: 2022-12-20 11:42 GMT

अलवर। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा के दौरान चीन मुद्दे को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर से आज चार सवाल किए।

रमेश अपने वक्तव्य में कहा कि हम भारत के विदेश मंत्री के इस कथन से पूर्णतया सहमत हैं कि हमारे जवानों का 'सम्मान, सराहना और सत्कार' किया जाना चाहिए, क्योंकि वे हमारे प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ डटकर खड़े हैं; लेकिन क्या यह वही सम्मान की भावना थी, जिसने प्रधानमंत्री मोदी को 19 जून 2020 की उस घटना के बाद, जिसमें हमारी सीमाओं की रक्षा करते हुए हमारे 20 जवानों ने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया, यह कहने के लिए उत्प्रेरित किया, "न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है"। उन्होंने दूसरा सवाल किया कि विदेश मंत्री का यह दावा है कि चीन के साथ हमारे संबंध "सामान्य नहीं" हैं। फिर हमने चीनी राजदूत को बुलाकर आपत्ति पत्र क्यों नहीं थमाया, जैसा हम पाकिस्तान के उच्चायुक्त के साथ करते हैं? 2021-22 में 95 बिलियन डॉलर के आयात और 74 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे के साथ चीन पर हमारी व्यापार निर्भरता रिकॉर्ड उच्च स्तर पर क्यों पहुंच गई है। गत सितंबर में रूस के वोस्तोक-22 अभ्यास में हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों के साथ सैन्य अभ्यास क्यों किया।

इसी प्रकार उन्होंने तीसरा सवाल किया कि विदेश मंत्री का कहना है कि हम चीन को एलएसी की स्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं करने देंगे, लेकिन क्या चीनी सैनिकों ने पिछले दो सालों से डेपसांग में 18 किलोमीटर अंदर आकर यथास्थिति नहीं बदली है। क्या यह स्थिति इस वास्तविकता के मद्देनजर बदल नहीं जाती है कि हमारे सैनिक पूर्वी लद्दाख में ऐसे एक हजार वर्ग किमी क्षेत्र तक गश्त करने में असमर्थ हैं, जहां वे पहले गश्त करते थे। क्या यह स्थिति इस वास्तविकता के मद्देनजर नहीं बदल जाती कि हम ऐसे बफर जोन निर्धारण पर सहमत हो गए हैं, जो हमारे गश्ती दल को उन क्षेत्रों में जाने से रोकता है, जहां वे पहले जा सकते थे। विदेश मंत्री कब स्पष्ट शब्दों में यह घोषित करेंगे कि 2020 से पहले की यथास्थिति की बहाली ही हमारा उद्देश्य है। रमेश ने चौथा सवाल किया कि विदेश मंत्री ने कहा "हम चीन पर दबाव बना रहे हैं"। फिर हमारा दृष्टिकोण विशुद्ध प्रतिक्रियात्मक क्यों हैं। वर्ष 2020 से पहले की यथास्थिति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित किए बिना हम कैलाश पर्वत श्रेणी में अपनी सामरिक रूप से लाभप्रद स्थिति से पीछे क्यों हट गए। हम अधिक आक्रामक क्यों नहीं हुए और चीनियों को पीछे हटने को मजबूर करने के लिए जवाबी कार्रवाई क्यों नहीं की, जैसा कि हमने वर्ष 1986 और 2013 में किया था। हम अपना दावा पुरजोर ढंग से पेश करने की बजाए चीनी घुसपैठ को "अवधारणा का अंतर" बताकर उसे वैध ठहराना कब बंद करेंगे। 

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