अनुराग से अनुशासन तक
सुशासन में अनुराग और अनुशासन दोनों की जरूरत रहती है। बीते दिनों उत्तर प्रदेश में सामान्य से कहीं अधिक बारिश हो गयी।
नई दिल्ली। सुशासन में अनुराग और अनुशासन दोनों की जरूरत रहती है। बीते दिनों उत्तर प्रदेश में सामान्य से कहीं अधिक बारिश हो गयी। उससे पहले 60 से ऊपर जिलों में कम बारिश हुई थी और सूखे जैसे हालात पैदा हो गये। बहरहाल, मौसम में यह परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बताया जा रहा है और इस संदर्भ में ज्यादा कहना विषयांतर हो जाएगा। हम इस समय उत्तर प्रदेश की जनता को बारिश की वजह से हो रही परेशानी की तरफ ध्यान दिलाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले सूखा प्रभावित जिलों का सर्वे कराकर जनता को राहत देने का प्रयास किया था और अब वे स्वयं बाढ़ पीड़ितों की परेशानी को देख रहे हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री बलरामपुर जिले के दौरे पर थे। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को स्वयं राहत सामग्री प्रदान की। इसी बीच एक बच्चा उनकी तरफ टकटकी लगाकर देख रहा था। क्या कहना चाहता था, यह तो वही जानता होगा लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अनुराग की भाषा को पढ़ लिया और लपककर उस बच्चे को गोद में उठा लिया। बच्चा उनके सीने से चिपक गया। मुख्यमंत्री भी इस सुख की अनुभूति मुस्कराते हुए कर रहे थे जो राजनीति में बिरले ही लोगों को मिलती है। अनुराग के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अनुशासन पर भी बहुत ध्यान देते हैं। बाढ़ राहत मंत्रियों के जिम्मे कर दी गयी है और बाढ़ से हुए नुकसान की रिपोर्ट जिलाधिकारियों से मांगी गयी है। इसमें कोताही करने वालों को सजा भी मिलेगी, यह अफसर और मंत्री बीते दिनों देख भी चुके हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ पिछले दिनों शुक्रवार को अपने एक दिवसीय दौरे पर बलरामपुर पहुंचे। जिले के तुलसीपुर में भवनियापुर हेलीपैड पर सीएम योगी का हेलीकॉप्टर उतरा जिसके बाद सीएम योगी शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने सबसे पहले मां पाटेश्वरी देवी का दर्शन और पूजन किया। इसके बाद सीएम योगी ने मंदिर परिसर में ही स्थापित काल भैरव की पूजा अर्चना की। सीएम योगी ने शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर में डीआईजी, कमिश्नर और डीएम एसपी सहित जिले के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने अपने विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों से भी मुलाकात की और जिले के विकास पर चर्चा की। पूरे कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी से मिलकर लौटे तुलसीपुर विधानसभा सीट से विधायक कैलाश नाथ शुक्ला ने बताया कि सीएम योगी ने अधिकारियों के साथ जिले के विकास पर चर्चा की है। साथ ही बाढ़ के संबंध में भी सचेत रहने को कहा है। उनका कहना है कि बाढ़ कभी भी आ सकती है। नाव की पर्याप्त व्यवस्था रखें। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण सतर्कता बेहद जरूरी है।
सीएम योगी ने पीड़ितों से कहा कि इस आपदा में सरकार आपके साथ है और आपकी हर संभव मदद करेगी। उन्होंने बताया कि बाढ़ के हालात और राहत व बचाव कार्यों को लेकर मंत्री समूह को सभी जनपदों में भेजा गया है। साथ ही साथ बाढ़ प्रभावित जनपदों का खुद उनके द्वारा दौरा भी किया जा रहा है।
सीएम योगी की छवि सख्त प्रशासक की है लेकिन बच्चों के बीच वह भी बच्चे हो जाते हैं। एक और बच्चे को गोद में उठाकर वह उसे दुलराने लगे तो वह बच्चा उनकी गोद में ऊंघने लगा। सीएम योगी ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि पहले बाढ़ अगस्त और सितंबर महीने के बीच में आती थी। इस बार हम लोग यह मानकर चल रहे थे कि बाढ़ नहीं आएगी। पिछले 3-4 वर्षों में नदियों पर बहुत कार्य हुआ है, जिससे बाढ़ काफी हद तक रुक गई थी, लेकिन इस बार अक्टूबर माह में विजयदशमी के बाद आई यह बाढ़ अप्रत्याशित है। योगी ने कहा, पिछले दस दिनों में भारी बारिश हुई है। पहले सूखे के कारण किसान परेशान था और जब बरसात आई है तो खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि सूखा और बाढ़ की वजह से जिन किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है उनके सर्वे का आदेश दिया गया है। रिपोर्ट आते ही हम सभी पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएंगे।
मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ लेने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ का एक्शन भी शुरू हो गया। दरअसल राज्य के भ्रष्ट अधिकारियों पर लगातार गाज गिर रही है। पहले सोनभद्र जिले के जिलाधिकारी टीके शिबू को सस्पेंड कर दिया गया वहीं बाद में गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पवन कुमार को निलंबित कर दिया गया।
सोनभद्र के जिलाधिकारी को खनन व निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार और चुनाव के दौरान ठीक से काम न करने के कारण निलंबित किया गया था, जबकि गाजियाबाद के एसएसपी को अपराध न रोक पाने और कर्तव्यों का पालन नहीं करने के कारण निलंबित किया गया। सीएम योगी द्वारा एक ही दिन में दो प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई से सूबे के अधिकारियों में हड़कंप मच गया था। इस कार्रवाई से सीएम ने सख्त संदेश दिया कि भ्रष्टाचार और कार्य में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी भले ही ऐसा करने वाले बड़े से बड़े अधिकारी ही क्यों न हो। (हिफी)