बर्थडे- SP माधव का पब्लिक से प्रेम और बदमाशों को भेजते हैं कारागार

खोजी न्यूज ने उनके जन्मदिन पर विशेष स्टोरी कवर की। पेश है बर्थडे स्पेशल पर आईपीएस सुकीर्ति माधव से बातचीत के कुछ अंश-;

Update: 2022-02-28 23:00 GMT

शामली। जॉब होने के बाद भी पिता के पास नौकरी नहीं थी। इसके कारण जीवन में कई अभाव रहे। लेकिन माता-पिता ने कभी भी अपने अभाव का प्रभाव बच्चों की जिंदगी पर नहीं पड़ने दिया। पिता ने कृषि करके सुकीर्ति और उनकी बहन ऋचा को पढ़ाया। परिवार का ही सपोर्ट रहा कि दोनों भाई-बहन कामयाब हो गये। सिविल सर्विसेज में जाने की कभी सोची नहीं थी। एमबीए के बाद कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर जॉब मिल गई थी। सेलरी भी अच्छी थी और जॉब में भी मन लग रहा था। कभी नहीं सोचा था कि आईपीएस बनकर जनता की सेवा करने का मौका मिलेगा। फिर अचानक माता-पिता ने उन्हें सिविल सर्विसेज में जाने के लिए प्रेरित किया। माता-पिता की आज्ञा को शिरोधार्य कर जॉब करते-करते सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। पहले ही अटेम्प्ट में परीक्षा को क्लीयर कर लिया और आईआरएस मिला।

सुकीर्ति माधव ने आईआरएस को छोड़ दिया और फिर से वर्ष 2015 में परीक्षा दी, जिसमे उन्हें आईपीएस का कैडर मिला। उसके बाद से आज तक वे अपने पद की गरिमा को बनाते हुए कर्तव्य के पथ पर चल रहे हैं। आईपीएस सुकीर्ति को कविता लिखने का भी बहुत शौक है। उनकी कविता श्मैं खाकी हूंश् बहुत प्रसिद्ध हो चुकी है। अब तक जहां भी रहे, अपनी विशिष्ट कार्यशैली का जलवा दिखाते हुए अपराधियों की कमर तोड़ी है। वे कितने सरल व्यक्तित्व के धनी हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि उन्होंने अपनी एक सोशल आईडी पर अपने बारे में लिखा है- एक बिहारी, एक यात्री, एक साधक, एक लोक सेवक। वहीं दूसरी सोशल आईडी पर खुद के बारे में जानकारी देते हुए लिखा है वे यूपी कैडर 2015 के आईपीएस, शौकिया फोटोग्राफर, सामयिक लेखक भी हैं। इससे ही पता चलता है कि वे कितने सरल व्यक्तित्व के स्वामी हैं। आईपीएस ने बताया कि वे 1 मार्च को अपना जन्मदिन ईश्वर की आराधना के साथ मनाएंगे। खोजी न्यूज ने उनके जन्मदिन पर विशेष स्टोरी कवर की। पेश है बर्थडे स्पेशल पर आईपीएस सुकीर्ति माधव से बातचीत के कुछ अंश-


आईपीएस सुकीर्ति माधव का जन्म बिहार के जमुई जनपद के गांव मलयपुर में 1 मार्च 1988 को हुआ था। आईपीएस सुकीर्ति माधव को उनके परिवार में चंदन के नाम से बुलाया जाता है। उनके पिता का नाम कृष्ण कांत मिश्रा और उनकी माता का नाम कविता मिश्रा है। आईपीएस सुकीर्ति माधव के पिता जूनियर हाईस्कूल में अध्यापक हैं और उनकी माता हाउसवाइफ है। उनकी एक बहन भी है, जिनका नाम ऋचा मिश्रा है। उनकी प्राथमिक और हाईस्कूल की शिक्षा मलई गांव में ही हुई है। उसके बाद उन्होंने भुवनेश्वर यूनिवर्सिटी से बेचलर ऑफ टूरिस्म मैनेजमेंट किया है।

वर्ष 2010 में एमएनआईटी दुर्गापुर में जब उनका एमबीए का आखिरी वर्ष था, तो उस वक्त कैंपस सलेक्शन के दौरान आईडीबीआई बैंक के लोगों ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। रिजेक्ट होने पर वह काफी परेशान हो गये थे, लेकिन बाद में परिजनों और अध्यापकों ने उन्हें समझाया। जब उन्होंने वर्ष 2010 में एमबीए की डिग्री हासिल की, तो उसी वर्ष आईपीएस सुकीर्ति माधव को कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर जॉब मिल गई थी।


आईपीएस सुकीर्ति माधव के परिवार में एक साथ दो खुशियां आई थी। एक तो थी सुकीर्ति माधव को नौकरी मिलने की खुशी और दूसरी खुशी यह थी कि उनके पिता को 22 साल के संघर्ष के बाद नौकरी मिल गई थी। पिता-पुत्र को एक साथ नौकरी मिलने से दोहरी खुशियां घर में आई थी। आईपीएस सुकीर्ति माधव के पिताजी की जो भर्ती थी, उसे वर्ष 1987-88 में पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की पहल पर निरस्त कर दिया गया था। इससे हजारों शिक्षक बेरोजगार हो गये थे। उनका यह मुद्दा कोर्ट में चल रहा था। लगभग 22 वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद 2010 में ही उनके पिताजी को न्याय मिला और उन्हें दोबारा नियुक्ति मिल गई थी। उनके पिताजी को रूका हुआ पूरा भुगतान कर दिया गया था।

आईपीएस सुकीर्ति माधव का कहना है कि इन 22 सालों में उनके माता-पिता ने बहुत से अभाव देखे, लेकिन कभी भी उन्होंने अपने बच्चों को इसका अहसास तक नहीं होने दिया। खेती के बूते ही उन्होंने दीदी ऋचा मिश्रा को एमए और बीएड कराया और सुकीर्ति माधव को एमबीए कराया। जब आईपीएस सुकीर्ति माधव और उनके पिताजी को नौकरी मिली, तो उन्होंने सबसे पहले जो काम किया, वह था अपनी बहन ऋचा मिश्रा की शादी करना। 2011 में उन्होंने अपनी बहन की शादी की। आईपीएस सुकीर्ति माधव के बहनोई नौसेना में हैं।


आईपीएस सुकीर्ति माधव के जहन में सिविल सर्विसेज को लेकर कोई सवाल नहीं था। वह कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी के मैनेजर के पद पर ही संतुष्ट थे। उन्हें उस वक्त साल के 15 लाख रुपये मिलते थे। उनकी बहन की शादी के बाद आईपीएस सुकीर्ति माधव को उनके माता-पिता ने बुलाकर कहा कि बेटा अगर आप चाहो तो सिविल सर्विसेज में ट्राई कर सकते हो। इससे आम आदमी से जुड़ने के साथ-साथ उनकी सेवा करने का भी मौका मिलेगा, जो पैसे से कहीं ज्यादा अच्छा होता है। तब तक उनकी नौकरी के दो वर्ष पूरे हो चुके थे।

इसके बाद उन्होंने नौकरी करते हुए सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। आईपीएसस सुकीर्ति माधव वर्ष 2012 में सिविल सर्विसेज की तैयारी करने में जुट गये थे। वह सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक अपने ऑफिस का काम निपटाते थे। इसके बाद रात्रि में 9-10 बजे से लेकर रात 1-2 बजे तक पढते थे। पढ़ाई के लिए कोई एक समय उन्होंने कभी फिक्स नहीं किया। वर्ष 2014 में उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी और पहले ही अटेम्पट में उनका सेलेक्शन हो गया। उन्होंने पहले अटेम्पट में आईआरएस मिला, जिसे उन्होंने छोड़ दिया था, क्योंकि उन्हें तो अपनी माता-पिता का सपने का साकार करना था। साल 2015 में फिर उन्होंने दोबारा परीक्षा दी, जिसमें उन्हें आईपीएस कैडर मिल गया था।


आईपीएस सुकीर्ति माधव की पहली पोस्टिंग जनपद मेरठ में हुई थी। मेरठ में अंडर ट्रैनी के रूप में थाना कंकरखेड़ा में कार्य कर रहे थे, तो उसी दौरान उन्होंने मैं खाकी हूं कविता लिखी थी। उनकी यह कविता काफी सराही गई थी। लॉकडाउन में भी सुकीर्ति माधव द्वारा लिखी गई कविता को पुलिस विभाग के साथ-साथ पब्लिक ने सराहा था। उनकी कविता को जम्मू कश्मीर के पुलिस अधिकारी इम्तियाज हुसैन ने अपने ट्वीटर हैंडल पर पोस्ट किया था। आईपीएस सुकीर्ति माधव ने लिखा था कि मेरी ये कविता हर उस व्यक्ति को समर्पित है, जो ऐसे कठिन समय में देश के लिये कुछ कर पा रहा है।

दिन हूं रात हूं,

सांझ वाली बाती हूं,

मैं खाकी हूं।

आंधी में, तूफान में, होली में, रमजान में, देश के सम्मान में,

अडिग कर्तव्यों की, अविचल परिपाटी हूं, मैं खाकी हूं।।

तैयार हूं मैं हमेशा ही, तेज धूप और बारिश,

हंस के सह जाने को, सारे त्यौहार सड़कों पे,

भीड़ के साथ मनाने को, पत्थर और गोली भी खाने को,

मैं बनी एक दूजी माटी हूं, मैं खाकी हूं।

विघ्न विकट सब सह कर भी, सुशोभित सज्जित भाती हूं,

मुस्काती हूं, इठलाती हूं, वर्दी का गौरव पाती हूं,

मैं खाकी हूं।

तम में प्रकाश हूं, कठिन वक्त में आस हूं,

हर वक्त मैं तुम्हारे पास हूं, बुलाओ, मैं दौड़ी चली आती है, मैं खाकी हूँ।।

भूख और थकान की वो बात ही क्या,

कभी आहत हूं, कभी चोटिल हूं,

और कभी तिरंगे में लिपटी, रोती सिसकती छाती हूं, मैं खाकी हूँ।।

शब्द कह पाया कुछ ही, आत्मकथा में बाकी हूं, मैं खाकी है।



खाकी पर लिखी उनके द्वारा लिखी गई कविता को आईपीएस आदित्य ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बैच की पासिंग आउट परेड के दौरान सुनाई थी। यह उनके लिए बहुत बड़ा सम्मान है कि एक आईपीएस उनकी कविता को स्वयं प्रधानमंत्री को सुना रहे हैं।


पुलिस विभाग के साथ-साथ उन्होंने अपनी माता के लिये भी कविता लिखी है।

उंगली पकड़ कर चलना सिखाती,

उंच नीच दिखाती, सही गलत बताती,

जब-जब स्नेह का सद्भाव आया,

मां, तुमको खुद के सबसे करीब पाया,

तुम्हारा खुद को रखना सबसे पीछे,

देखा है मां, मैने सब, आंखें नीचे,

रोने पे दुलारना, पुचकारना,

घुमाना, टहलाना, कुछ बातें बनाना,

प्यार से गुस्साना,

खिलाने के लिये वो सारे लालच दिलाना,

जो न दे पाई कुछ कभी अगर,

चुपचाप अकेले में जा आंसू बहाना,

क्या चाहिए और मुझे,

मां, मैंने तुम्हारा प्यार है पाया?

छिपाया चाहे कितना भी,

तुम्हारी लाल आंखों ने सब था बताया,

चाहे था मैं कितना भी परेशान,

कर बात तुमसे, आई नींद पूरी रात,

चाहे होऊं मैं किसी शीर्ष पे, मुझको हैं सारी बातें ये याद,

है कर्ज इतना बड़ा तुम्हारा, कभी ना पाउंगा उतार,

दैविक कोई रूप हो तुम, अतुलनीय है तेरा प्यार..

मां, अतुलनीय है तेरा प्यार।।

मेरठ के बाद इलाहाबाद में उनकी पोस्टिंग हुई। इसके बाद वे वाराणसी में एसपी सुरक्षा के पद पर तैनात रहे। वाराणसी से उन्हें शामली का पुलिस कप्तान बनाकर भेजा गया। युवा आईपीएस का आगमन जनपद शामली में हुआ था, तो उस समय कहीं न कहीं बदमाशों के मन में था कि जिले में नये कप्तान आये हैं। यह सोचते हुए उन्होंने नये पुलिस कप्तान का खौफ ना मानते हुए एक साथ ताबड़तोड़ कई वारदातों को अंजाम दिया था लेकिन पुलिस कप्तान सुकीर्ति माधव की एक्टिव पुलिसिंग के आगे बदमाशों का पकड़ा जाना तय था। लूट की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों को सुकीर्ति माधव अपनी टीम को लेकर खुद पकड़ने के लिये पहुंच गये थे। इसी बीच मुठभेड़ हो गई कप्तान ने अपनी जान की परवाह ने करते हुए बदमाशों से डटकर मुकाबला किया और जवाबी कार्रवाई में सीएम योगी के महाभियान के तहत बदमाशों को मुठभेड़ में पुलिस की गोली का स्वाद चखाने का कार्य किया। इतना ही नहीं बल्कि पुलिस कप्तान सुकीर्ति माधव बदमाशों को अरेस्ट करने खुद टीम को लेकर पहुंच जाते हैं। गिरफ्तार करने गये एसपी सुकीर्ति माधव की बदमाशों के संग कई बार मुठभेड़ हुई परंतु हर बार बदमाशों को उनके आगे घुटने टेकने पड़े।


जब संकट के दौर में मदद के लिये गूंजा सोशल मीडिया पर सुकीर्ति माधव का नाम

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत हुई तो संक्रमित मरीज को बेड नहीं मिल रहे थे। महामारी का लोगों में इतना भय है कि लोग चाहकर भी एक-दूसरे की मदद करने में भी कतरा रहे थे लेकिन इस संकट के दौर में आईपीएस अफसर सुकीर्ति माधव पीडितों की मदद के लिये सोशल मीडिया पर एक्टिव मोड़ में नजर आ रहे थे। सोशल मीडिया पर मदद के लिये एसएसपी सुकीर्ति माधव का नाम ही गूंज रहा था और वह एसएसपी सुकीर्ति माधव अपनी जान की परवाह न करते हुए आगे आकर लोगों की सहायता की। यही वजह थी कि सोशल मीडिया पर मदद के लिये सुकीर्ति माधव का नाम ही गूंज रहा था।

एक ट्वीट पर बालिका को पहुंचाई पुस्तक



आईपीएस सुकीर्ति माधव समय-समय पर जरूरतमंदों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। उनका मदद करने का तरीका भी कुछ अलग ही है जहां कुछ लोग किसी की थोड़ी सी मदद करने पर भी स्वयं को गौरवान्वित महसूस करने लगते हैं। वहीं एसपी सुकीर्ति माधव किसी जरूरतमंद की मदद को करने के बाद भूल ही जाते हैं। कुछ माह पूर्व ट्विटर के माध्यम से एक बालिका ने उनसे पुस्तक मांगी थी, जिसके बाद उन्होंने अपने हमराह के माध्यम से वह पुस्तक बाजार से मुहैया की और बालिका को भिजवा दी। उनके ट्वीट को देखकर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने इसे हंसकर टालते हुए कहा कि किसी की मदद करके उसे याद रखना जरूरी नहीं बल्कि जरूरत इस बात की है कि आगे मदद मांगने वाले व्यक्ति की सहायता की जाए। जिंदगी का सफर बहुत लंबा है समाज के सभी लोग एक जैसे नहीं है, जिसके चलते संपन्न वर्ग के लोगों को जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए अग्रसर रहना चाहिए। रुपया पैसा कमाना एक अलग बात है लेकिन जो कमाई किसी की मदद करके होती है। उसका एक अलग ही प्रतिफल होता है।।

रियल कप्तान- भीगी आंखों से आया- लौटा तो चेहरे पर थी मुस्कान



आईपीएस सुकीर्ति माधव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर पर एक फोटो अपलोड किया था। यह फोटो एक बुजुर्ग का है, जो सफेद कुर्ता, सिर पर सफेद टोपी और हाथ में एक लाठी लिये थाना दिवस पर शिकायत लेकर आये थे। इस तस्वीर में बुजुर्ग बाबा काफी खुश और उनकी आंखों में पानी भी दिखाई दे रहा है। उनकी यह तस्वीर बयां कर रही है कि जब बुजुर्ग बाबा आये होंगे तो उनके दिल में काफी दर्द होगा और पुलिस अधीक्षक सुकीर्ति माधव के प्रयास से उनके चेहरे पर भरपूर खुशी और आंखों में पानी आ गया।

पिछले बर्थडे से एक दिन पूर्व दिया था उपहार




युवाओं के नाम SP सुकीर्ति का संदेश

एसपी सुकीर्ति ने अपने बर्थडे पर युवाओं को संदेश दिया है कि वे नशे की दलदल से दूर रहें। हमेशा सकारात्मक विचारों को ग्रहण करें और किसी भी तरह की नकारात्मकता से दूर रहें। उन्होंने कहा कि बच्चे वक्त पर खेलें और वक्त पर पढ़ें। जीवन में टाईम मैनेजमेंट अति आवश्यक है। अच्छी सोसायटी में रहें। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात हैं, युवा अपने परिजनों को समय दें। परिजनों से जो अनुभव मिलता है, वह कहीं ओर नहीं मिलता। इसलिए परिजनों के पास बैठें, उन्हें वक्त दें। अगर कोई भी प्राब्लम है, तो बड़ों के साथ अवश्य शेयर करें।

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