बर्थडे स्पेशल- नवनीत सिकेरा के बुलेट प्रूफ़ ट्रैक्टर से खौफ खाते थे मुजफ्फरनगर के बदमाश

आईपीएस नवनीत सिकेरा सपा सरकार में महिला सुरक्षा के लिए डायल-1090 हेल्पलाइन लेकर आये, जो आज क्रांतिकारी आविष्कार साबित हो रहा है

Update: 2020-10-22 14:11 GMT

लखनऊ। आईपीएस नवनीत सिकेरा किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है। उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस में जिस फिल्मी अंदाज में एक आईपीएस बनकर एंट्री की, वह किसी को भी प्रेरित करने के लिए एक कहानी मात्र नहीं, बल्कि एक संघर्षगाथा है। अपने पिता की थाने में पुलिस कर्मियों द्वारा हुई बेइज्जती एक आईआईटियन बर्दाश्त नहीं कर पाया और कम्प्यूटर का मास्टर अपने जज्बे व दृढ़ संकल्प से यूपी पुलिस का वह चेहरा बन गया, जिसे आने वाली यूपी पुलिस फोर्स की नई पीढ़ी सदियों तक याद करेगी। आईपीएस नवनीत सिकेरा ने उस दौर में यूपी पुलिस को एक ऐसा तकनीकी मुखबिर देने का काम किया था, जब पुलिस विभाग में कम्प्यूटरीकरण का नामोनिशान नहीं था। यही अफसर पुलिस के लिए सर्विलांस जैसा मुखबिर लेकर आये और इसका प्रयोग करते हुए मुजफ्फरनगर में बदमाशों के खौफ के गढ़ को ढहाने का काम किया। इस क्राईम केपिटल में एसएसपी रहते हुए नवनीत सिकेरा ने करीब 55 बड़े एनकाउंटर किये। उनका बुलेट प्रुफ ट्रैक्टर बदमाशों के भयंकर अंजाम का कारण बनता था। इस ट्रैक्टर का बदमाशों पर काफी खौफ बना था। आज जंगल में घुसकर बदमाशों से लोहा ले रही यूपी पुलिस उस दौर में जंगल में कांबिंग करने में बदमाशों से पिछड़ जाती थी, इसी का तोड़ इस आईपीएस ने अपने इस ट्रैक्टर ने निकाला था, जिस पर वह एके-47 लेकर सवार होते और जंगलों में छिपे बदमाशों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाता था। इसके बाद वह सपा सरकार में महिला सुरक्षा के लिए डायल-1090 हेल्पलाइन लेकर आये, जो आज क्रांतिकारी आविष्कार साबित हो रहा है। इतना ही नहीं उनकी पुलिस सर्विस के जौहर का 'भौकाल' हम पर्दे पर भी देख रहे हैं। आज वह पुलिस मुख्यालय लखनऊ में आईजी के रूप में कार्यरत हैं। पेश है उनके बर्थ-डे पर खोजी न्यूज की एक स्पेशल रिपोर्ट....


नवनीत सिकेरा ने उत्तर प्रदेश के जनपद एटा में किसान मनमोहन सिंह के परिवार में जन्म लिया था। उनकी हाईस्कूल की शिक्षा एटा जिले के एक आल-बाॅयज सरकारी स्कूल से हुई थी। नवनीत सिकेरा का छोटे गांव से होने के कारण उनकी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ नहीं थी। चूंकि उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई हिंदी मीडियम स्कूल से की। नवनीत सिकेरा 12वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद दिल्ली हंसराज काॅलेज में बी.एससी में प्रवेश के लिये गये। उसी दौरान कॉलेज में नवनीत सिकेरा को अंग्रेजी ना आने के कारण एडमिशन फॉर्म नहीं दिया गया। फार्म ना मिलने पर नवनीत सिकेरा ने हार नहीं मानी और खुद से किताबें खरीद कर पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पहली बार में आईआईटी जैसा एग्जाम क्रैक कर दिखाया। आईआईटी रूड़की से कम्पूटर सांइस एंड इंजीनियरिंग से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। नवनीत सिकेरा का लक्ष्य था कि वो एक साॅफ्टवेयर इंजीनियर बनें और लगातार वह अपने लक्ष्य पर चल रहे थे। स्नातक की पढाई पूरी करने के पश्चात दिल्ली आईआईटी में एमटेक में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई शुरू कर दी थी। एमटेक की पढ़ाई के दौरान ही नवनीत सिकेरा के पिता मनमोहन के पास कुछ धमकी भरे फोन आ रहे थे। उनके पिता इसकी शिकायत करने के लिये थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने कार्यवाही न कर उनके पिता मनमोहन सिकेरा को ही बेइज्जत कर पुलिस स्टेशन से निकाल दिया था। इस दुर्घटना का नवनीत सिकेरा पर इतना प्रभाव पढ़ा उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करने वाली पढ़ाई एमटेका को छोड़कर आईपीएस बनने का लक्ष्य बना लिया था। नवनीत सिकेरा ने यपीएससी परीक्षा को अपने पहली ही प्रयास में पास कर दिया था। उनकी रैंक इतनी अच्छी थी कि वो एक आईएएस अफसर बन सकते थे, लेकिन नवनीत सिकेरा का लक्ष्य एक आईपीएस बनने का था। उन्होंने आईपीएस को चुना और 1996 बैच के आईपीएस अफसर बन गये थे। हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में दो साल की गहन टैªनिंग पूरी की। आईपीएस नवनीत सिकेरा को पहली पोस्टिंग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में एएसपी के पद पर मिली थी। शासन ने वहां से तबादला कर आईपीएस नवनीत सिकेरा को मेरठ में स्थानांतिरत कर दिया था। उसके बाद ेआईपीएस नवनीत सिकेरा जनपद मुरादाबाद में एसपी रेलवे के पद पर कार्यरत रहे। मुरादाबाद से टेक्निकल सर्विसेज में एसपी रहे। सन् 2001 में आईपीएस नवनीत सिकेरा को जीपीएस-जीआईएस आधारित ऑटोमैटिक व्हीकल लोकेशन सिस्टम विकसित करने के लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने 5 लाख के पुरूस्कार से सम्मानित किया था।


आईपीस नवनीत सिकेरा ने जनपद मुजफ्फरनगर में एसएसपी के पद रहते हुए मुठभेड़ में लगभग 55 बड़े अपराधियों को ढेर कर यमलोक पहुंचाने का काम किया था। आईपीएस नवनीत सिकेरा ने तब सर्विलांस के जरिए अपराधियों का खात्मा कर जिले के लोगों को बड़ी राहत दिलाई थी। थानाभवन में बिट्टू कैल का एनकाउंटर करने पर तत्कालीन डीआईजी चंद्रिका राय ने उन्हें सिकेरा के बजाए नवनीत 'शिकारी' कह कर संबोधित किया था। इन बदमाशों में 20 हजार का इनामी शौकीन, पूर्वांचल का शातिर शैलेश पाठक, बिजनौर का छोटा नवाब, रोहताश गुर्जर, मेरठ का शातिर अंजार, पुष्पेंद्र, संदीप उर्फ नीटू कैल, नरेंद्र उर्फ बिट्टू कैल आदि कुख्यात बदमाश शामिल थे। वर्ष 2004 में तत्कालीन उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत शुकतीर्थ में कारगिल स्मारक पर विजय टैंक का लोकार्पण करने आए थे। तब उन्होंने शुकदेव आश्रम में एसएसपी सिकेरा से पूछा था कि यहां पर अपराध क्यों है, इस बारे में जानकारी मांगी थी। सिकेरा ने दिल्ली जाकर इस संबंध में तत्कालीन उप राष्ट्रपति को पूरी जानकारी दी थी। आईपीएस नवनीत सिकेरा ने 14 साल भारतीय पुलिस सेवा में कार्य करने के बाद अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिये फैसला किया था। उन्होंने अपने आप को भारतीय बिजनेश में एडमिशन लेने के लिये जीमैट परीक्षा को पास किया जहां आईपीएस नवनीत सिकेरा ने वित्त, रणनीति और नेतृत्व में एमबीए किया था।


जब 2004 में यूपी में समाजवादी पार्टी सत्ता में थी, तो मुख्यमंत्री मुलायम यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य में अपराध के बढ़ते स्तर पर अंकुश लगाना था। विशेषकर, इसकी राजधानी लखनऊ में जो तब एक अपराध की लहर की चपेट में थी। तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने जनपद मुजफ्फरनगर से आईपीएस नवनीत सिकेरा को लखनऊ के एसएसपी के पद की कमान सौंपी थी। रमेश कालिया एक बार राज्य के सबसे खूंखार माफियाओं में से एक खूंखार बदमाश बन गया था। बदमाश रमेश कालिया सहित कई अपराधी यूपी सरकार के लिए सिरदर्द बन गए थे। आम जनता के बीच कालिया का आतंक इतना अधिक था कि, किसी ने भी उसके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत नहीं की। सितंबर 2004 में, कालिया कथित रूप से समाजवादी पार्टी के एमएलसी, अजीत सिंह की जन्मदिन की पार्टी में शामिल थे। समाचार ने राज्य को झटका दिया, इसके नागरिकों की सुरक्षा और सुरक्षा के लिए सरकार के मानकों के बारे में सवाल उठाए गए थे। यह घटना फरवरी 2005 की है, जब कालिया ने एक स्थानीय बिल्डर से पांच लाख रुपये की जबरन वसूली की मांग की थी और उसे लखनऊ के नीलमथा इलाके में एक निर्माणाधीन घर में बुलाया था। कालिया ने जगह-जगह अपने गुंडों को खड़ा कर दिया था। आईपीएस नवनीत सिकेरा बदमाश रमेश कालिया तक पहुँचने के लिए एक अनोखे चाल का सहारा लेना पड़ा था। आईपीएस नवनीत सिकेरा ने पुलिस की पटकथा तैयार की, जो एक विवाह बारात के रूप में प्रच्छन्न थी जब उसके आधार तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं था। चाल के अनुसार, एक महिला कॉन्स्टेबल को दुल्हन के रूप में तैयार किया गया था और डोली में बैठने के लिए बनाया गया था, जबकि एक इंस्पेक्टर को दूल्हे के रूप में प्रच्छन्न किया गया था। निरीक्षकों के साथ सशस्त्र पुलिसकर्मियों का एक दल जुलूस का हिस्सा था। बैंड-बाजा के साथ, जुलूस निलमथा में रमेश कालिया के अड्डे पर पहुंचा। लगभग 20 मिनट तक चले इस ऑपरेशन में, पुलिस और कालिया गिरोह के बीच 50 से अधिक गोलियों का आदान-प्रदान हुआ था। जिसमें पुलिस ने खूंखार गैंगस्टर रमेश कालिया को ढेर कर दिया था। आईपीएस नवनीत सिकेरा ने अपने पूरे कार्यकाल में लगभग 60 बदमाशों को ढेर कर यमलोक पहुंचाने का काम किया है। आईपीएस नवनीत सिकेरा को सन् 2005 में विशिष्ट सेवा के लिये राष्ट्रपति का पुलिस पदक मिला था।


मुजफ्फरनगर और लखनऊ के अलावा आईपीएस नवनीत सिकेरा ने जनपद वाराणसी में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद कार्यरत रहे। उसके बाद आईपीएस नवनीत सिकेरा ने जनपद मेरठ के एसएसपी के पद पर कार्यभार ग्रहण किया था। इन जनपदों में एसएसपी के पद कमान संभालकर एक अच्छी पारी खेली थी। आइपीएस नवनीत सिकेरा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी एसएसपी के पद पर तैनात रहे। जहां आईपीएस नवनीत सिकेरा की पोस्टिंग रही वहां अपराधियों में खौफ बरकरार रहता था। उसके बाद आईपीएस नवनीत सिकेरा का सन् 2012 में डीआईजी के पद पर प्रमोशन हो गया था। सन् 2013 में आईपीएस नवनीत सिकेरा को मेघावी सेवा हेतु राष्ट्रपति का पुलिस पदक से नवाजा गया था। उन्होंने 2 साल तक डीआईजी रहकर कार्य किया। उसके बाद सन् 2014 में आईपीएस नवनीत सिकेरा को इंस्पेक्टर जनरल आॅफ पुलिस के पद पर प्रमोशन मिल गया था। सन् 2015 में पुलिस महानिदेशक द्वारा रजत पदक दिया गया था। उसके बाद 2018 में पुलिस महानिदेशक द्वारा ही स्वर्ण पदक से नवाजा गया था। आईपीएस नवनीत सिकेरा उत्तर प्रदेश पुलिस हेडक्वार्टर में महानिरीक्षक के पद तैनात है।


'सुपर कॉप' बन कर उभरे आईपीएस नवनीत सिकेरा के उस दौर में हुए बदमाशों के खात्मे की कहानी को वेब सीरीज भौकाल में दिखाया गया है। इस फिल्म में नवनीत सिकेरा के किरदार का नाम नवीन सिकेरा है, कुछ अन्य किरदार के नाम भी बदले गए हैं। यह सीरीज नवनीत सिकेरा के उस समय के कार्यकाल पर आधारित है जब वो यूपी के मुजफ्फरनगर में बतौर एसएसपी तैनात हुए। उस वक्त वहां के लोगों में स्थानीय गैंग का डर हुआ करता था। रंगदारी, किडनैपिंग और मर्डर आम हुआ करते थे। नवनीत सिकेरा की तैनाती के बाद स्थानीय गैंग का खात्मा हो गया था और क्राइम डिस्ट्रिक्ट के तौर से पहचान बना चुका मुजफ्फरनगर एक शांत जिले में बदल गयाा था। इस वेब सीरीज की सारी शूटिंग लखनऊ बाराबंकी व आस पास के क्षेत्रों में की गई है। जिसमें बाराबंकी को मेरठ, मुजफ्फरनगर के रूप में दिखाया गया है। इसके अलावा हजरतगंज, क्रिश्चियन कॉलेज, चैक, कैसरबाग समेत कई जगहों पर शूटिंग की गई है।



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