सदानंद गौड़ा का आश्वासन
पिछले पांच दिन के भीतर विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को कुल मिलाकर 6.69 लाख रेमडेसिवियर इंजेक्शन की शीशियां उपलब्ध कराई गई हैं।
नई दिल्ली। दुनियाभर को कोरोना की वैक्सीन्स देने वाले भारत में ही रेमडेसिवियर इंजेक्शन की किल्लत महसूस की जाने लगी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में तो इस इंजेक्शन को लेकर चिंताजनक हालात देखे जा रहे हैं। राजस्थान जैसे राज्यों ने इसप्रकार की विशेष व्यवस्था की है ताकि इंजेक्शन की कालाबाजारी न हो और जरूरतमंदों को ये इंजेक्शन मिलता भी रहे। ऐसे हालात में केन्द्र सरकार भी कोविड-19 के इलाज में काम आने वाले रेमडेसिवियर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी सभी कदम उठा रही है ताकि देश में इसकी उपलब्धता को बढ़ाया जा सके। गत 16 अप्रैल को रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौडा ने यह आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच दिन के भीतर विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को कुल मिलाकर 6.69 लाख रेमडेसिवियर इंजेक्शन की शीशियां उपलब्ध कराई गई हैं।
गौड़ा ने ट्वीट कर कहा, सरकार रेमडेसिवियर की उत्पादन सुविधाओं का विस्तार करने और उनकी क्षमता और उपलब्धता बढ़ाने के हर जरूरी कदम उठा रही है। इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय तक पिछले 24 घंटे के अंदर देश में रिकॉर्ड 2 लाख 17 हजार 353 लोग संक्रमित पाए गए। पिछले साल कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक एक दिन में मिले संक्रमितों का ये सबसे बड़ा आंकड़ा है। बीते दिन 1लाख 18 हजार 302 लोग ठीक भी हुए, जबकि 1185 मरीजों ने दम तोड़ दिया।
ध्यान देने की बात यह है पिछले कई दिनों से कोरोना संक्रमण में कारगर रेमडेसिवियर इंजेक्शन की कमी को लेकर राज्यों से बहुत शिकायतें आ रही है। महाराष्ट्र में जहां ,सबसे ज्यादा कोरोना का प्रभाव है वहां भी इसकी कमी की बात राज्य सरकार ने कही थी। वहीं मध्यप्रदेश के जबलपुर में तो कुछ लोगों को इसकी कालाबाजारी करते हुए तक गिरफ्तार किया गया था जो रेमडेसिवियर के 4 इंजेक्शन करीब 80 हजार रुपए में देने का सौदा तय कर रहे थे। एक इंजेक्शन की असली कीमत महज 850 रुपये है। कोरोना के इस संकट काल में मरीजों के लिए रेमडेसिवियर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की भारी डिमांड है। कालाबाजारी और मुनाफाखोर इंसान की जिंदगी पर आए इस सबसे जटिल संकट को भी स्वार्थ के अवसर में बदल रहे हैं। रसायन एवं उर्वरक मंत्री गौड़ा ने कहा, सरकार के हस्तक्षेप के बाद रेमडेसिवियर के प्रमुख विनिर्माताओं ने स्वेच्छा से 15 अप्रैल 2021 से इसके दाम को 5,400 रुपये से घटाकर 3,500 रुपये से भी कम कर दिया है। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोविड- 19 के खिलाफ लड़ाई को समर्थन मिलेगा। गौड़ा ने कहा कि औषधि विभाग और राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) रेमडेसिवियर के उत्पादन पर लगातार नजर रखे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह में दवा का उत्पादन 28 लाख शीशियों से बढ़कर प्रति माह 41 लाख शीशियों तक पहुंच गया है। मंत्री गौडा ने यह भी कहाकि रेमडेसिवियर के निर्यात को 11 अप्रैल से रोक वाली श्रेणी में रख दिया गया है। इसकी चार लाख निर्यात की जाने वाली दवा शीशियों को घरेलू जरूरत के लिए जारी कर दिया गया है। ईओयू और सेज भी अब घरेलू बाजार के लिए आपूर्ति करने को पात्र होंगी।
इस बीच महाराष्ट्र के एक राज्य मंत्री ने 16 अप्रैल को आशंका जताई कि राज्य को 12,000 से 15,000 रेमडेसिवियर इंजेक्शन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
पुणे के जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर रेमडेसिवियर इंजेक्शन न मिलने के विरोध में बैठे कोरोना मरीजों के रिश्तेदारों की तस्वीरें चैंकाने वाली है। महाराष्ट्र भर से इस तरीके की अलग-अलग तस्वीरें दिखाई पड़ रही हैं। मुंबई के मंत्रालय में लगातार आ रहे रेमडेसिवियर की डिमांड को लेकर स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे और मंत्री राजेंद्र सिंगणे ने एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक के तुरंत बाद बीजेपी के विधान परिषद के नेता प्रवीण दरेकर रेमडेसिवियर बनाने वाली कंपनी के निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटरों के साथ राजेंद्र सिंगणे से मिलने के लिए उनके बंगले पर पहुंचे और उन्होंने कहा कि रेमडेसिवियर इंजेक्शन देने के लिए कंपनी तैयार है बशर्ते जो कानूनी दांवपेच हैं उसको सरकार तुरंत हल करें साथ ही राजनीतिक बयानबाजी देने की बजाय काम पर ध्यान दें। साफ है कि कोरोना के समय जान बचाने वाली महत्वपूर्ण इंजेक्शन के तौर पर सामने आई रेमडेसिवियर दवा इन दिनों महाराष्ट्र सरकार के लिए चिंता का सबब बनी हुई हैं। सरकार की कोशिश है कि किसी भी तरीके से कोरोना केसेस कम होने तक सप्लाई कम न हो और इसके लिए हर प्रयास सरकार की तरफ से किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि अगले कुछ दिनों में रेमडेसिवियर की किल्लत खत्म हो जाएगी और कंपनियों का बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन शुरू है, तब तक जिसको जरूरत हो वही रेमडेसिवियर इंजेक्शन ले और इसका ध्यान लोकल प्रशासन रखें। रेमडेसिवियर बनाने वाली कंपनी के निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटर दोनों ने भरोसा दिलाया कि वह महाराष्ट्र को रेमडेसिवियर आवश्यकतानुसार देने के लिए तैयार हैं लेकिन जो कानूनी चीजें हैं उसको तुरंत सरकार हल करें। फूड एंड ड्रग्स प्रशासन के मंत्री राजेंद्र सिंगणे ने कहा कि रेमडेसिवियर इंजेक्शन की किल्लत है और इसको लेकर जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह जिसको जरूरत हो उसी को रेमडेसीवियर इंजेक्शन दें और इसकी कालाबाजारी न हो।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बुरी तरह से जकड़े जा चुके राजस्थान में भी इसकी किल्लत है लेकिन गहलोत सरकार ने रेमडेसिवियर इंजेक्शन को लेकर विशेष व्यवस्था की है। सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। इस फैसले के मुताबिक रेमडेसिवियर इंजेक्शन अब ओवर द काउंटर बेचा नहीं जाएगा। इसका सिर्फ सरकारी और सरकार से मान्यता प्राप्त अस्पतालों में ही इस्तेमाल हो सकेगा। निजी अस्पताल इसका सिर्फ दो दिन का ही स्टॉक रख सकेंगे। गहलोत सरकार ने कोरोना उपचार के लिए कारगर बताये जा रहे रेमडेसिवियर और टोसिलीजुमैब इंजेक्शन उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया तय कर दी है। निजी चिकित्सालयों को अपनी मांग निर्धारित सूचना के साथ सीएमएचओ एवं औषधि नियंत्रक को भेजनी होगी। जयपुर के जिला कलक्टर अंतर सिंह नेहरा ने बताया कि कोरोना महामारी उपचार में कारगर बताये जा रहे इन दोनों इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोकने और जरूरतमंद निजी चिकित्सा संस्थानों को दवा उपलब्ध कराए जाने के लिए तात्कालिक रूप से इसकी नई प्रक्रिया निर्धारित कर दी गई है। यह व्यवस्था अगले आदेशों तक लागू रहेगी। नेहरा ने बताया कि वहां से उपलब्धता के अनुसार अधिकतम दो दिवस के उपयोग के लिए इंजेक्शन का स्टॉक जारी किया जाएगा। इसलिए इसमें तो कोई दो राय नहीं कि कोरोना में कारगर माने जा रहे इंजेक्शन की कमी है। रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौडा का इंजेक्शन उपलब्ध कराने का आश्वासन कोरोना संक्रमितों की जिजीविषा को बढाएगा। (हिफी)