फेस मास्क कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य
राजस्थान में सार्वजनिक स्थानों, कार्यालयों और समारोहों में मास्क पहनना अब कानूनी रूप से अनिवार्य हो गया है।
जयपुर। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश के हर नागरिक के लिए चेहरे पर मास्क लगाने का कानून बनाकर पूरे देश में एक नई मिसाल पेश की है। ऐसा करने वाला राजस्थान देश का पहला प्रदेश बन गया है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, देश के सभी चिकित्सक, सभी दलों के राजनेता, सांसद, समाजसेवी देशवासियों से लगातार अपील कर रहे हैं कि जब तक कोरोना की दवाई तैयार नहीं हो जाती तब तक हर व्यक्ति को फेस मास्क लगाना ही कोरोना के बढ़ते प्रसार को रोकने की दिशा में एक कारगर कदम है। ऐसे में राजस्थान सरकार ने उससे भी आगे बढ़कर एक बड़ी पहल की है। जिसकी पूरे देश में सराहना हो रही है।
राजस्थान में सार्वजनिक स्थानों, कार्यालयों और समारोहों में मास्क पहनना अब कानूनी रूप से अनिवार्य हो गया है। इस बाबत विधानसभा में लाए गए राजस्थान महामारी (संशोधन) विधेयक 2020 को विधानसभा में पारित कर दिया गया है। समूचे विश्व के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय के अनुसार मास्क ही इस महामारी के फैलाव को नियंत्रित कर लाखों का जीवन बचा सकता है। इसी विचार से सार्वजनिक स्थान, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, निजी परिवहन, कार्यस्थल या किसी भी सामाजिक, राजनीतिक, आम समारोह में मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। कानून में ऐसे व्यक्तियों के आवागमन को रोकने का प्रावधान किया गया है। जिन्होंने मास्क नहीं पहन रखा है। त्योहारों से पहले एक बार फिर कोरोना के मामले तेजी से आगे बढ़ने लगे हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र और केरल में कोरोना की थर्ड वेव शुरू हो चुकी है। यहां पिछले कुछ दिनो से कोरोना के पॉजिटिव केस की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों ने भी कोरोना के मामले बढ़ने की आशंका जताई है। इसी को देखते हुए राजस्थान सरकार ने यह जनहितकारी फैसला लिया है।
राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने अशोक गहलोत लीक से हटकर फैसला करके अक्सर सभी को चौकातें रहते हैं। इसी श्रंखला में उन्होंने दीपावली के त्यौहार के दिनों में प्रदूषण को रोकने की दिशा में एक सकारात्मक पहल करते हुए राजस्थान में बारूद से बने सभी तरह के पटाखों की बिक्री व उनके उपयोग पर पूर्णतया रोक लगा दी है। इसका उल्लंघन कर पटाखों को बेचने वाले पर दस हजार रूपये व चलाने वाले पर दो हजार रूपये जुर्माने का प्रावधान किया है। सरकार द्वारा इस बार पटाखे बेचने का अस्थाई लाइसेंस भी जारी नहीं करने का निर्णय लिया गया है।
कोरोना संक्रमण के दौर में सबसे अधिक प्रदूषण पटाखे चलाने से फैलता है। जिससे कोरोना संक्रमित व अन्य रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर होता है। पटाखों से निकले जहरीले धुएं की वजह से कोरोना मरीजों को काफी परेशानी हो सकती हैं। यहीं वजह है कि राजस्थान सरकार ने दीपावली पर पटाखों और आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया हैं। ऐसे में पटाखों के उपयोग को रोक कर गहलोत सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार का मानना है कि आतिशबाजी से निकलने वाले धुएं के कारण कोरोना मरीजों के साथ ही श्वास और दिल के मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में दीपावली पर लोग आतिशबाजी से बचें। शादी और अन्य समारोह में भी पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगायी गयी है।
अशोक गहलोत ने पटाखों के साथ ही बिना फिटनेस के धुआं उगलने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के इस चुनौतीपूर्ण समय में प्रदेशवासियों की जीवन की रक्षा सरकार के लिए सर्वोपरि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली व स्पेन जैसे विकसित देशों में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई है। कई देशों को तो पुनः लॉकडाउन लगाने पर मजबूर होना पड़ा है। हमारे यहां भी ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो जाए। इसे देखते हुए हमें भी सावधानी बरतनी होगी।
अशोक गहलोत ने केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ पंजाब के बाद राजस्थान में भी नया विधेयक लाने का ऐलान किया था। उसी के अनुसरण में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्द्धन और सरलीकरण राजस्थान संशोधन विधेयक 2020, कृषक सशक्तिकरण और संरक्षण, कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार राजस्थान संशोधन विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 और सिविल प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 विधानसभा में पास हो गये हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस की सभी प्रदेश सरकारों से कहा था कि कृषि विधेयकों को खारिज करने के लिए वो कानून पर विचार करें। कांग्रेस अध्यक्ष ने कांग्रेस शासित राज्यों को संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत अपने राज्यों में कानून पारित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा था।
राजस्थान विधानसभा के अल्पकालीन सत्र में कुल 5 बिल पास हुए हैं। इनमें केंद्र के कृषि कानूनों को निष्प्रभावी बनाने वाले 3 नए कृषि बिल शामिल हैं। इसके अलावा मास्क अनिवार्य करने और 5 एकड़ तक कृषि भूमि कुर्क न करने का बिल भी पास किया गया। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ कानून लाने वाला राजस्थान पंजाब के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है। नए कृषि बिलों के मुताबिक अगर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे फसल बेचने पर मजबूर किया जाता है, तो 3 से 5 साल तक की जेल व 5 लाख रु. का जुर्माना लगेगा।
केंद्रीय कानून में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट में किसानों और कंपनियों के बीच विवाद होने पर केवल एसडीएम तक ही केस लड़े जाने का प्रावधान है। जबकि राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नए कानून के तहत किसान सिविल कोर्ट में भी जा सकेंगे। गहलोत ने कहा है कि इन नए बिलों से किसानों को सशक्त बनाने और उन्हें सुरक्षा देने में मदद मिलेगी।
इसी प्रकार गहलोत सरकार ने किसानों की पांच एकड़ तक की रहन रखी गयी कृषि भूमि को भी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण नहीं चुकाने पर भी निलाम नहीं कर सकने बाबत कानून बना दिया है। सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020 को लेकर सरकार ने बताया कि सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 (1908 का केन्द्रीय अधिनियम सं. 5) की विद्यमान धारा 60 ऐसी सम्पत्ति जो कि डिक्री के निष्पादन में कुर्क और विक्रय की जा सकेगी के लिए उपबंध करती है। इस धारा का परंतु कतिपय विशिष्ट वस्तुओं, जिन्हें कुर्क या विक्रय नहीं किया जा सकेगा के लिए उपबंध करता है।
राज्य के कृषकों के हितों और उनकी आजीविका का संरक्षण करने के लिए यह सुनिश्चित किया गया है कि यदि पांच एकड़ तक की कृषि भूमि को कुर्क या उसका विक्रय नहीं किया जा सकेगा। सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 की धारा 60 को संशोधित कर सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020 भी विधानसभा में पारित किया गया है। गहलोत सरकार द्धारा किसानों की पांच एकड़ तक की भूमि कुर्क या विक्रय नहीं किये जाने के फैसले से प्रदेश के किसानों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। (हिफी)