अजय माकन कर रहे डैमेज कंट्रोल
अशोक गहलोत ने हाल ही में कहा था कि भाजपा द्वारा एक बार फिर से उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है।
जयपुर। कांग्रेस मध्य प्रदेश की गलती राजस्थान में नहीं दोहराना चाहती है। इसीलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और युवा नेता सचिन पायलट के बीच झगड़े को बहुत ही सलीके से सुलझा लिया गया। इसके बाद अनुभवी नेता अजय माकन को राजस्थान में डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी दी गयी। अजय माकन ने पार्टी संगठन और सरकार में बेहतर तालमेल भी बनाया। इसी का नतीजा है कि राज्य में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिल रही है। अभी 8 दिसम्बर को प्रदेश को 636 जिला परिषद सदस्य और 4371 पंचायत समिति सदस्य मिले हैं। दो दिन बाद जिला प्रमुख, उपजिला प्रमुख, प्रधान और उपप्रधानों के चुनाव होंगे। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने राज्य के झुंझनू क्षेत्र में सफलता का परचम लहराया है। यहां पर भाजपा निर्दलियों से भी पीछे चली गयी है। इसके पीछे अजय माकन की मेहनत मानी जा रही है। हालांकि पंचायत चुनावों में किसानों का मुद्दा फेल हो गया और पंचायत समिति व जिला परिषद में भाजपा कांग्रेस से आगे निकल गयी है।
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने गत् दिनों कहा कि राजस्थान में पार्टी पूरी तरह एकजुट है और इस साल के आखिर तक नयी प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन हो जाएगा। साथ ही 31 जनवरी तक विभिन्न बोर्डों एवं निगमों के अध्यक्षों की नियुक्तियों का काम भी संपन्न हो जाएगा। राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी माकन ने इस बात पर भी जोर दिया कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को कोई खतरा नहीं है उनकी यह टिप्पणी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में कहा था कि भाजपा द्वारा एक बार फिर से उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है। माकन कहते हैं कि गहलोत कांग्रेस के ईमानदार नेता और अनुभवी सिपाही हैं तो सचिन पायलट भी पार्टी के लिए उपयोगी हैं। कुछ महीने पहले पायलट के नेतृत्व में 19 विधायकों के बागी रुख अपनाने के बाद राजस्थान की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई थी, हालांकि पार्टी नेतृत्व और बागियों के बीच लंबी वार्ता के बाद पायलट एवं उनके समर्थक विधायक वापस लौटे। उसी राजनीतिक संकट के दौरान कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। गोविंद सिंह डोटासरा को नया पीसीसी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। माकन ने कहा, ''हमने आगे उठाए जाने वाले कदमों के बारे में विस्तृत रूप रेखा तैयार की है। हमने कुछ समय-सीमा तय की है, जिसके बारे में मुख्यमंत्री, पीसीसी अध्यक्ष, पायलट और अन्य लोगों को अवगत करा दिया गया है।''
ध्यान रहे ''राजस्थान में स्थानीय निकाय के चुनावों का मौजूदा चरण 20 दिसंबर को संपन्न हो जाएगा। इसके तत्काल बाद 10 दिनों के भीतर (महीने के आखिर तक) पीसीसी अध्यक्ष पीसीसी की कार्यकारी इकाई गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए एआईसीसी को भेज देंगे।'' माकन के मुताबिक, बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों की नियुक्तियों के वास्ते कांग्रेस अध्यक्ष की स्वीकृति के लिए 31 जनवरी की समयसीमा तय की गई है। उन्होंने कहा, ''राज्य नेताओं को इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए समूह के स्तर से ऊपर उठकर समुचित हिस्सेदारी और व्यापक विचार-विमर्श का मंत्र दिया गया है।'' कांग्रेस महासचिव ने प्रदेश के सभी नेताओं और विधायकों से मुलाकात की है तथा पायलट के भी संपर्क में हैं।
भाजपा पर सरकार को अस्थिर करने का फिर से प्रयास करने संबंधी गहलोत के आरोप पर माकन ने कहा कि यह पहले देखा जा चुका है कि भाजपा ने जनादेश को पलटने के लिए क्या-क्या किया था। उन्होंने कहा, ''गुजरात और मध्य प्रदेश समेत कई प्रदेशों में अनैतिक और अलोकतांत्रिक तरकीबों का इस्तेमाल करके भाजपा सफल हो गई लेकिन राजस्थान में बुरी तरह विफल रही। इसका कारण यह है कि सरकार के साथ खड़े हमारे 123 विधायकों में कोई भी इनके जाल में नहीं फंसा।'' कांग्रेस नेता का कहना है ''मुझे सरकार को कोई खतरा नहीं दिखाई देता. अगर वो फिर कोशिश करेंगे तो फिर बुरी तरह विफल होंगे। माकन ने कहा, ''हम अपने विधायकों और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को एकजुट रखने में सफल रहे तथा हालिया निकाय चुनावों में यह एकजुटता दिखी जिनमें हमने अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।'' उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने कुछ महीने पहले उनकी सरकार को गिराने का प्रयास किया था और वह यह गेम फिर शुरू कर रही है। हालांकि, भाजपा नेताओं ने गहलोत के आरोपों को मर्यादाहीन बताते हुए खारिज कर दिया था। पायलट से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि पूर्व उप मुख्यमंत्री शुरू से कहते आ रहे हैं कि वह भाजपा में कभी शामिल नहीं होंगे और वह हमेशा से कांग्रेस परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य रहे हैं। पायलट ने हाल के कुछ चुनावों में पार्टी के लिए प्रचार भी किया है।
बहरहाल राजस्थान पंचायत चुनाव में कृषि कानून और किसानों से जुड़ा मुद्दा फेल हो गया है। पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव के परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहा है. राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, बीजेपी ने पंचायत समिति की 1,836 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं, सत्ताधारी दल कांग्रेस ने 1718 सीटों पर कब्जा जमाया है. जिला परिषद की 636 सीटों में से 606 का चुनाव परिणाम भी सामने आ चुका है। बीजेपी को 326 सीटों पर जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस के हिस्से में 250 सीटें गई हैं। इस बीच खबर मिली कि फतेहपुर शेखावाटी के बलोद बड़ी गांव में विवाद के बाद एक शख्स की मौत हो गई। बताया जाता है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत के बाद झगड़ा हुआ। बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि एक शख्स की जान चली गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए गांव में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है। हालात का जायजा लेने एस पी गगनदीप सिंगला भी बलोद गांव पहुंच गए हैं। यह स्थिति गहलोत सरकार के लिए अच्छी नहीं है।
इधर, देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के बीच गहलोत सरकार ने अन्नदाता को बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। किसान संगठनों की ओर से मंगलवार को बुलाये गये भारत बंद की पूर्व संध्या पर गहलोत सरकार ने अहम फैसला करते हुये प्रदेश में डार्क जोन में 2011 से ट्यूबवैल और कुंए खोदने पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया है। अब प्रदेशभर में किसान और आम लोग सहित पांच कैटेगरी में ट्यूबवैल के लिए किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। सीएम अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सीएम के पास डार्क जोन में ट्यूबवेल पर रोक हटाने तथा डार्क जोन में कृषि कनेक्शन जारी करने और ब्लॉक स्तर तक प्रभावी जनसुनवाई का तंत्र विकसित करने के प्रस्ताव भिजवाए थे। कैबिनेट की बैठक में दोनों प्रस्तावों पर फैसला हो गया। इसके बाद अब पेयजल और घरेलू उपयोग के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यक्तिगत घरेलू उपभोक्ता, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं, सशस्त्र बलों के प्रतिष्ठानों, कृषि कार्यकलापों और 10 घन मीटर प्रतिदिन से कम भू-जल निकासी करने वाले सूक्ष्म और लघु उद्योगों को भू-जल निकासी के लिए एनओसी नहीं लेनी होगी। इस बाबत जल्द ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे। गहलोत सरकार को अभी सतर्कता से काम करना है। (हिफी)