संडे स्पेशल - गांव की गलियों से निकलकर इस IPS अफसर ने की गुड पुलिसिंग

तीसरी फिर परीक्षा दी क्योंकि वह युवा एक खाकी वर्दी पहनकर आईपीएस अफसर के रूप में जनसेवा करना चाहता था।

Update: 2024-07-21 14:05 GMT

मेरठ। गांव के एक परिवार में जन्मा बच्चा शिक्षा ग्रहण करने के लायक हुआ तो उस छोटे बच्चे का पिता ने गांव के एक विद्यालय में दाखिला करा दिया। बच्चे ने तीसरी कक्षा पासआउट ही की थी। इसी बीच पिता का देहांत हो गया। नन्हीं-सी उम्र में पहाड़ जैसा दुःख मिल गया। इस दुःख की घड़ी में उनका साथ दिया आईएएस चाचा ने। बचपन से ही पढाई में होनहार बच्चा गुरूकुल में पढ़ने चला गया लेकिन आईपीएस बनने का सपना बच्चे व उसके परिवार के दिल में नहीं था। परिवार में हुए एक फंक्शन से बच्चे से युवा बने की जीवन में सिविल सर्विसेज में जाने के लक्ष्य की एंट्री हो गई थी। जिस युवा को यूपीएससी की परीक्षा क्या होती है, जानता तक भी नहीं था। मां के सपने को रियल बनाने के लिये युवा कड़ी मेहनत के साथ जुटा और दूसरी प्रयास में यूपीएससी क्लियर कर दी लेकिन उस युवा ने तीसरी फिर परीक्षा दी क्योंकि वह युवा एक खाकी वर्दी पहनकर आईपीएस अफसर के रूप में जनसेवा करना चाहता था।

साल 1993 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा को क्रेक कर साल 1994 बैच के आईपीएस अफसर बने युवा ने गांव और जिले का नाम रोशन किया था। यह युवा अब 54 के हो चुके हैं, जिनका नाम है ध्रुव कांत ठाकुर। आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर को शॉर्ट नाम से भी पुकारा जाता है वो नाम है डी.के. ठाकुर। आईपीएस अफसर ध्रुव कांत ठाकुर ने अंडर ट्रेनिंग के दौरान सीएम सिटी गोरखपुर जिले के एक गांव में बहुत बड़ी घटना होने से रोक दिया था अगर वक्त पर निर्णय न लिया जाता तो बहुत सारे लोगों की जान जा चुकी होती। आईपीएस अफसर कभी-भी अपराधियों की कमर तोड़ने में पीछे नहीं रहे। आईपीएस अफसर ध्रुव कांत यूपी के एक दर्जन से अधिक जिलों में पुलिस कप्तान रह चुके हैं। साल 1994 बैच के आईपीएस अफसर व मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक ध्रुव कांत ठाकुर पर पेश है खोजी न्यूज की खास रिपोर्ट....


बिहार के मधेपुरा जिले में निवास करने वाले श्याम नन्दन ठाकुर के यहां पर 1 जनवरी 1970 को एक बच्चे ने जन्म लिया, जिसका परिवार ने नाम रखा ध्रुव कांत ठाकुर। अपने परिवार में ध्रुव कांत ठाकुर सबसे छोटे थे, उनसे बड़ी उनकी दो बहनें हैं। ध्रुव कांत ठाकुर का गांव के ही एक स्कूल में दाखिला कराया गया, जहां से उन्होंने कक्षा 3 तक की शिक्षा ग्रहण की। कक्षा तीन की पढ़ाई पूरी ही हुई थी, इसी बीच ध्रुव कांत ठाकुर और उनके परिवार में दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा क्योंकि उनके पिता का देहांत हो गया था।

पिता के देहांत होने से परिवार पर उसका गहरा प्रभाव पड़ा। अल्पायु में ही पिता का साथ छुट जाने से ध्रुव कांत ठाकुर की शिक्षा कुछ वक्त के लिये रूक गई थी। इसी बीच उनके चाचा, जो बिहार में एक आईएएस थे, उन्होंने अपने भतीजे की जिम्मेदारी ली। उनके चाचा के भी चार पुत्र थे, जो इंग्लिश से शिक्षा ग्रहण कर चुके थे और आईएएस चाचा भी गणित और अंग्रेजी में माहिर थे। ध्रुव कांत के पूरी परिवार में 11 लड़के थे, जिसमें वह सबसे छोटे थे। इसी सफर में आईएएस चाचा का संस्कृत से जुड़ाव हुआ और वह चाहते थे कि उनके परिवार को कोई बच्चा संस्कृत की पढ़ाई करे।


आईएएस चाचा ने ध्रुव कांत ठाकुर को गुरूकुल से शिक्षा ग्रहण कराने का मन बनाया, जिस पर ध्रुव कांत की माता ने मना किया और कहा कि आप भी गणित और अंग्रेजी से पढ़कर आईएएस बने हैं और आपके बेटे भी अंग्रेजी से पढ़े हैं। संस्कृत से अपने बेटों को पढ़ा लिया होता। ध्रुव कांत को कक्षा तीन से आगे की पढ़ाई के लिये गुरूकुल भेज दिया गया था, जहां उन्होंने लगभग 9 साल तक पढ़ाई की। यहां शिक्षा पूर्ण हो जाने के बाद ध्रुव कांत ठाकुर ने दरभंगा के संस्कृत यूनिवर्सिटी से आचार्य की डिग्री हासिल की। उस वक्त तक ध्रुव कांत ठाकुर यूपीएससी यह भी नहीं जानते थे कि यूपीएससी की परीक्षा भी होती है।

ध्रुव कांत ठाकुर के परिवार में एक फंक्शन था, जिसमें मां ने जब रिश्तेदारों से जिक्र किया कि उनका बेटा पढ़ाई बड़ा ही होनहार है और उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर बनना है। इस पर उनकी मां को रिश्तेदारों द्वारा सलाह दी गई कि अगर ध्रुव कांत ठाकुर पढ़ाई में इतना अच्छा है तो वह यूपीएससी की परीक्षा दें, जिससे वह उच्च पदों पर रहकर समाजसेवा कर सकते हैं। उन्होंने यहीं से ही ठान लिया था कि अपने बेटे ध्रुव कांत से यूपीएससी का एग्जाम दिलाकर उसे बड़ा अफसर बनाना है। मां ने जब बेटे ध्रुव को यूपीएससी की तैयारी करने के लिये कहा। यहां से ध्रुव कांत ठाकुर के दिल और दिमाग में यूपीएससी की एंट्री हो गई थी।


ध्रुव कांत ठाकुर यूपीएससी की परीक्षा देने के लिये झिझक रहे थे। इस पर मां ने बेटे का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि बेटा चार अटेम्पट होते हैं, तुम्हारा चयन हो या न हो तुम परीक्षा दो। इसके बाद बेटे ध्रुव कांत ठाकुर का हौंसला बढ़ा और सिविल सर्विसेज के विषय में जानकारी जुटाते हुए तैयारी करने का निर्णय ले लिया था। उस वक्त तक ध्रुव कांत ठाकुर संस्कृत विषय के अलावा कोई और विषय के बारे में नहीं जानते थे। यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्हें कई सारे अलग-अलग विषयों के बारे में पता लगता गया और वह उन्हें बारिकी से पढ़ते गये।

शुरूआती दिनों से पढ़ने का शौंक रखने वाले ध्रुव कांत ठाकुर ने जब पहली बार यूपीएससी का पहली परीक्षा देने के लिये गये तो वहां पर वह स्टैटिक्स के सवालों हेतु कैलकुलेटर नहीं ले गये थे और वहां पर बैठे परीक्षार्थी कैलकुलेटर से कैलकुलेशन कर रहे थे। ध्रुव कांत ठाकुर पहले प्रयास में सफल नहीं हो सके थे। उन्होंने दूसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें उनकी 299वीं रैंक आने पर उन्हें इंडियन रेलव अकाउंट सर्विस में भेज दिया गया था। इसके बाद उन्होंने तीसरी बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी इस बार ध्रुव कांत ठाकुर का चयन आईपीएस में हो गया था। सिविल सर्विसेज की परीक्षा को क्रेक कर ध्रुव कांत ठाकुर साल 1994 बैच के आईपीएस अफसर बन गये थे। मां द्वारा सजाया गया सपना बेटे ने वर्ष 1994 में साकार कर दिया था, जिससे उन्हें और उनकी मां व परिवार को संतुष्टी मिल गई थी कि उनका बेटे ने उनका नाम रोशन कर दिया है।


सीएम सिटी यानी गोरखपुर में आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर की अंडरट्रेनी के रूप में पोस्टिंग हुई थी। आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर चित्रकूट जिले के कप्तान सहित लगभग 13 जिलों के कप्तान रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार के दौरान वह यूपी की राजधानी लखनऊ के एसएसपी थे और लखनऊ में ही आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर डीआईजी का चार्ज भी संभाल चुके हैं। आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर सीबीआई में करीब चार साल तक कार्यरत रहे थे। इनके अलावा आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर उत्तर प्रदेश डायल 100 के एडीजी, एटीएस के एडीजी, लखनऊ के कमिश्नरेट के पुलिस कमिश्नर और पुलिस भर्ती बोर्ड के अपर पुलिस महानिदेशक भी रह चुके हैं। अब आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर वर्तमान में मेरठ जोन में एडीजी का पदभार ग्रहण किये हुए हैं। शासन ने आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर को 1 जनवरी 2024 को सात जिलों वाले (मेरठ, हापुड़, बागपत, बुलंदशहर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली) मेरठ जोन में एडीजी के तौर पर तैनात किया।

आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर की गोरखपुर में अंडरट्रेनी पोस्टिंग थी। इस दौरान जिले के एक थाना क्षेत्र में मर्डर हो गया था। मर्डर की जैसी ही सूचना मिली तो उन्होंने वहां पर पुलिस फोर्स भेज दी थी और खुद चलने ही वाले थे। इसी बीच सूचना आती है कि आरोपियों को पकड़ लिया गया है। फिर दोबारा से खबर आती है कि गांव वालों ने आरोपियों और पुलिस को घेर लिया है। उन्होंने और पुलिस टीम को भेजते हुए खुद भी वह घटनास्थल पर पहुंच रहे थे। घटना जिस गांव में हुई थी वह उनसे काफी दूर था। फिर से सूचना मिली कि गांव वालों ने आरोपियों के घर में आग लगानी शुरू कर दी है। आईपीएस अफसर ध्रुव कांत ठाकुर द्वारा वहां पर फायर बिग्रेड की टीम को आनन-फानन में भिजवाया गया। जैसे ही आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर गांव में पहुंचे तो उन्होंने कुछ धुआं देखा, गांव के बाहरी क्षेत्र में पुलिस और आरोपियों को घेरा हुआ है। पुलिस वाले कम फोर्स होने की वजह से गांव वालों का सामना नहीं कर रहे पा रहे थे। इसी बीच आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर ने आदेश देते हुए खुद भी वह सिर पर हेलमेट लगाकर और हाथों में डंडे लेकर दबंगई कर रहे लोगों के पीछे दौड़ पडे तो वहां से उन लोगों ने भागना शुरू कर दिया। एक घर में एक बुजुर्ग आदमी के ऊपर लकडियां डालकर जला दिया था तो वहीं पर एक युवक की भी भीड़ ने हत्या कर दी थी। अगर आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर और अधिक फोर्स आने की इंतेजार में रहते थे तो वहां पर बड़ी भी कई लोगों की जान जा सकती थी लेकिन उनकी इस कौशल बुद्धि से वहीं पर विराम लग गया था।


गौरतलब है कि शासन ने वर्ष 1998 में आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर को उत्तर प्रदेश के जनपद चित्रकुट के पुलिस कप्तान के कमान सौंपी। इस दौरान चित्रकुट पुलिस का सामना खौफ और आंतक का पर्याय बन चुका ददुआ गैंग से सामने हुआ ओर काफी समय तक मुठभेड़ चली थी। ददुआ गैंग का खत्म करने के लिये आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर ने पुलिस अफसरों के साथ मिलकर उसे खत्म करने की प्लानिंग की थी। चित्रकुट में आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर करीब महीने तक कप्तान रहे। ददुआ गैंग से मुठभेड़ के बाद ददुआ गैंग द्वारा कोई घटना जिले में अंजाम नहीं दी गई थी।

उत्तर प्रदेश के एक जिले के आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर जब पुलिस कप्तान थे तो उस दौरान वह जिला कारागार में चले गये। बड़े डॉन के रूप में पहचान रखने वाले एक अपराधी की जेल में ही उन्होंने किसी बात पर उसकी पिटाई कर दी थी। इस दौरान आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर को उस वक्त जेल में बंद बड़े डॉन ने उन्हें जेल से बाहर आने पर देख लेने की धमकी दी और कहा था कि आज तक उसके किसी ने हाथ तक नहीं लगाया है। आईपीएस अफसर का मनोबल डाउन नहंी और वह लगातार अपराधियों के विरूद्ध निरंतर कार्रवाई करते रहे थे।

आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर की जब उत्तर प्रदेश की राजधानी यानी लखनऊ कमिश्नरेट में पुलिस कमिश्नर के रूप में पोस्टिड थे। इस दौरान एक क्षेत्र में पुलिसकर्मी द्वारा एक व्यक्ति को पीटते हुए वीडियो वायरल हुई थी, जिस पर लखनऊ के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ध्रुव कांत ठाकुर द्वारा संज्ञान लेते हुए जांच बैठाई गई थी लेकिन जांच से संतुष्ट न होने पर आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर ने सभी अफसरों को तलब कर लिया था और कहा था कि पुलिस को किस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है। अगर पुलिस ही आम आदमियों के साथ मारपीट करेगी तो उसका समाज में क्या मैसेज जायेगा। इस पर उन्होंने एक्शन लेते हुए उस पुलिसकर्मी को लाइन हाजिर कर दिया था। इस दौरान आईपीएस ध्रुव कांत ठाकुर ने साफ शब्दों में अधीनस्थों को संदेश दिया था कि मुझे गुडवर्क नहीं चाहिए लेकिन एक भी बेडवर्क न हो। उन्होंने कहा था कि 10 गुडवर्क और एक बेडवर्क बराबर होते हैं।

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