संडे स्पेशल- कांवड़ में एक्टिव मोड़ में नज़र आये ADG डीके ठाकुर
एडीजी, जोन के हर जिलों में बार-बार निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे कहीं कोई कमी न रहे।
मेरठ। सात जिलों वाले मेरठ जोन के समक्ष कांवड़ यात्रा को सकुशल सम्पन्न कराना बड़ी चुनौती थी। यह चुनौती हर वर्ष रहती है। मेरठ जोन के लिये यह सबसे लंबा और बड़ा त्यौहार इसलिए रहता है क्योंकि भारी तादाद में मेरठ जोन के जिलों से होकर कांवडिये अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं। ऐसे में मेरठ जोन के एडीजी डीके ठाकुर, जोन के हर जिलों में बार-बार निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे कि कहीं कोई कमी न रहे।
बड़ी कांवड़ निकालने की व्यवस्था हो, डाक कांवड़ को दुर्घटनामुक्त बनाना हो, उनके लिये सुरक्षा इंतजाम की बात हो, उनके कांवड़ खण्डित हो जाने पर उन्हें गंगाजल उपलब्ध कराना हो, रूट डायवर्जन करने की बात हो, जलाभिषेक कराने की व्यवस्था हो, या फिर कांवड़ियों का वापस लौटने का इंतजाम हो, एडीजी डीके ठाकुर ने किसी भी व्यवस्था में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं एडीजी डीके ठाकुर द्वारा निरीक्षण कर खुद कांवड़ियों से वार्ता कर उनका हालचाल जाना गया और उन्हें जलपान भी कराया गया। 2 अगस्त को जलाभिषेक के दौरान पुरा महादेव पहुंचकर अपनी पुलिस की ड्यूटी करने के साथ-साथ उन्होंने जलाभिषेक भी किया। एडीजी डीके ठाकुर द्वारा व्यवस्था बनाकर सकुशल सम्पन्न कराई कांवड़ यात्रा पर पेश है खोजी न्यूज की संडे स्पेशल रिपोर्ट...
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश सरकार में आने के बाद जो तवज्जों कांवड़ियों को दी है, उससे कांवड़ यात्रा में कांवड़िए प्रसन्न दिखाई देते हैं। इसी का नतीजा भी है कि कांवड़ यात्रा के दौरान पिछले कई वर्षों से एक गाना बजता हुआ नजर आता है, वो गाना है, डीजे बजवा दिया योगी ने...। इसके अलावा कुछ कांवडिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बड़ी तस्वीर अपने साथ ले जाते हुए भी दिखाई देते हैं। इस कांवड़ यात्रा को सकुशल सम्पन्न कराने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को स्पष्ट निर्देश दिये हुए थे।
अपने प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की मंशानुरूप मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक डीके ठाकुर व्यवस्था बनाने में अपने अधीनस्थों व अन्य प्रदेशों के अधिकारियों के साथ जुट जाते हैं। यूं तो कांवड़ यात्रा की शुरूआत जुलाई माह की 22 तारीख से शुरू हुई थी लेकिन 1 जुलाई के दिन एडीजी डीके डाकुर ने पहुंचते हैं उत्तराखंड़, जहां पर वह उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार से मुलाकात कर कांवड़ यात्रा के सम्बंध में उनसे वार्ता करते हैं। चार जुलाई को एडीजी डीके ठाकुर द्वारा रूट डायवर्जन के लिये मेरठ में बैठक बुलाई गई, जिसमें मेरठ जोन के एसएसपी, ट्रैफिक इंचार्ज, उत्तराखंड के देहारदून, हरिद्धार के एसएसपी भी पहुंचे थे, जिसके बाद एडीजी डीके ठाकुर के निर्देश पर सभी अधिकारियों द्वारा अपने-अपने जिलों में रूट प्लान तैयार कर जनता के बीच पहुंचा दिया था, जिससे कांवड़ यात्रा के वक्त में किसी को कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े। इसके दो दिनों बाद मेरठ में यूपी मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार की एंट्री होती है, जहां भी विभिन्न जनपदों के अफसरों के साथ बैठक होती है। अपने उच्चाधिकारियों को एडीजी डीके ठाकुर सारी जानकारी उपलब्ध कराते हैं और उच्चाधिकारियों द्वारा दिये गये मूलमंत्रों को भी अपने पास नोट कर लेते हैं।
मेरठ जोन के एडीजी डीके ठाकुर द्वारा जुलाई के शुरूआती माह से ही कांवड़ यात्रा को लेकर मेरठ जोन के प्रत्येक जिले का निरीक्षण करते हुए जायजा लेना प्रांरभ कर दिया था। मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर या फिर हो सहारनपुर रेंज के कोई भी जिला, वहां पर उन्होंने कांवड़ मार्ग का निरीक्षण कर अधिकारियों से मीटिंग कर अधीनस्थों से कुछ सुझाव भी लिये और अधीनस्थों को कांवड़ यात्रा में मजबूती के साथ ड्यूटी करने के लिये आदेश भी दिये। 22 जुलाई से शुरूआत हुई कांवड़ यात्रा से पहले ही सहारनपुर रेंज के तीनों जिलों सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली में एडीजी डीके ठाकुर द्वारा कई बार मीटिंग और कांवड़ मार्ग का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण करने के साथ-साथ एडीजी डीके ठाकुर व्यवस्थाओं को बना रहे थे और जो भी कुछ खामियां मिलती थी, उसको ंसही करने को निर्देश अपने अधिकारियों को दे देते थे।
इस वर्ष से पहले कांवड़ यात्रा में देखा जाता था कि हरिद्धार पुलिस अपना चेक पोस्ट बनाती थी और मेरठ जोन की मुजफ्फरगनर पुलिस अपना चेक पोस्ट बनाती थी लेकिन एडीजी मेरठ जोन डीके ठाकुर द्वारा वहां के अफसरों से बातचीत कर ऐसा समन्वय बैठाया कि उत्तराखंड की हरिद्धार और यूपी की मुजफ्फरनगर पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मिलकर कांवड़ यात्रा में एक चेक पोस्ट पर रहकर अच्छे से अपनी ड्यूटी का अंजाम दिया। इतना ही नहीं रूड़की में भी उत्तर प्रदेश पुलिस तैनात रही, जो वहां से गुजरने वाली कांवड़ियों के बारे में मेरठ जोन के पुलिस अधिकारियों को सूचित करती रही। यह भी एडीजी का ही प्रयास था कि हरिद्धार से गंगाजल उठाने वाले कांवड़ियों को सीसीटीवी, आईपी कैमरों के माध्यम से मुजफ्फरनगर और मेरठ पुलिस अपने जिलों में बैठकर ही हरिद्धार से निकल रहे कांवड़ियों की फुटेज देख रहे थे।
कांवड़ यात्रा पर एडीजी डीके ठाकुर के निर्देश पर अधीनस्थों द्वारा सीसीटीवी कैमरे, आईपी कैमरों के साथ ड्रोन से भी चेक किया जाता रहा। भीषण गर्मी को देखते हुए किसी कांवड़िये को रास्ते में कोई मेडिकल उपचार की दिक्कत न हो तो एडीजी द्वारा दिये गये निर्देश पर विभिन्न स्थानों पर मेडिकल कैम्प लगवाये गये, जिससे कांवड़ियों को जल्द ही उपचार मिल सके। उनके लिये जगह-जगह पेयजल क व्यवस्था भी की गई थी। कांवड़ यात्रा में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस के अलावा एटीएस कमांडों की यूनिट, पीएसी कम्पनी, आरएएफ के जवान भी तैनात किये गये थे। सादे कपड़ों में भी पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी।
पिछले वर्ष मेरठ में ऊंचाई की वजह हुई दुर्घटना में 6 कांवड़ियों की मौत को देखते हुए एडीजी डीके ठाकुर द्वारा इस बार पहले ही बड़ी कांवड़ लाने वाले संचालकों के साथ मीटिंग की गई और कुछ को नोटिस भी भेजा गया। कांवड़ियों की सेफ्टी को देखते हुए एडीजी डीके ठाकुर द्वारा सभी को मैसेज दिया गया कि कोई भी निर्धारित ऊंचाई और चौड़ाई से बड़ी डीजे या झांकी न लेकर आये। पुलिस द्वारा बड़े डीजे वाली कांवड़ को चौड़े रोड़ से निकलवाया गया।
एडीजी डीके ठाकुर द्वारा मुजफ्फरनगर पहुंचकर या अन्य जनपदों में पहुंचकर बार-बार कांवड़ मार्ग का निरीक्षण किया जा रहा था। निरीक्षण के दौरान एडीजी डीके ठाकुर द्वारा कई बार शिवभक्त कांवड़ियों को फ्रूटी और उन्हें फल भी वितरित किये। इस दौरान उन्होंने कांवड़ियों का हालचाल भी जाना। महाशिवरात्रि से एक-दो दिन पहले डाक कांवड़ जोरों पर रहती है ऐसे में दुर्घटना होने का बड़ा डर रहता है। कहीं किसी प्रकार कोई दुर्घटना न घटे एडीजी अपने अफसरों के साथ खुद सड़कों पर डटे रहे।
इनके अलावा अब एडीजी डीके ठाकुर के सामने चुनौती बची थी, जलाभिषेक कराना और कांवड़ियों को उनके जिलों या पास के एरिया तक पहुंचाना। जलाभिषेक कराने के दौरान हर जगह मेरठ जोन की पुलिस और उनके जोन के मुखिया डीके ठाकुर कांवड़ यात्रा के दौरान हर मोड़ पर एक्टिव मोड़ में दिखाई दिये। अफसर द्वारा पुरा महादेव की कुछ दूरी पर एक अस्थाई बस स्टैंड बनाया गया, जहां पर लगभग 50 डिपों का लगाया गया था, जो उनके कांवड़ियों को उनके जिलों तक पहुंचा रही थी।
आमतौर पर देखा जाता है कि कांवड़ यात्रा के दौरान किसी कारणवश किसी कांवड़िये की भी कांवड़ खण्डित हो जाती है, जिसके बाद माहौल का शांत कराना पुलिस-प्रशासन के लिये बड़ी चुनौती बन जाती है और बड़ी घटना होने का डर भी रहता है। कांवड़ खण्डित हो जाने पर कांवड़िए को भी बहुत दुः,ख पहुंचता है। ऐसी स्थिति में एडीजी डीके ठाकुर के निर्देश पर विभिन्न स्थानों पर हरिद्धार से धूम आरती और पूजा कराकर मंगाये गये गंगाजल को कांवड़ खण्डित होने पर कांवड़ियों को उपलब्ध कराया गया। इससे लाभ हुआ कि कांवडिये भी शांत हुए और कांवड़िये को दुःख भी नहीं पहुंचेगा क्योंकि उसे जल लेने के लिये दोबारा हरिद्धार नहीं जाना पड़ा।
पुलिस-प्रशासन ही क्या, सरकार के सामने भी रहती हैं कांवड़ सकुशल सम्पन्न करानी की चुनौती
गौरतलब है कि हर वर्ष सावन के माह में भारी तादाद में कांवड़िए हरिद्धार पहुंचते हैं और हर की पौड़ी से गंगाजल उठाकर अपने गंतव्य की तरफ जाना शुरू कर देते हैं। महाशिवरात्रि के दिन सभी कांवड़िये अपने द्वारा तय किये गये स्थान पर पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा सकुशल सम्पन्न कराना पुलिस-प्रशासन के लिये क्या, सरकारों के लिये भी बड़ी चुनौती रहती है चाहे वह उत्तराखंड सरकार हो या उत्तर प्रदेश सरकार। अगर हम उत्तर प्रदेश के जोन की बात करें तो उत्तर प्रदेश के मेरठ जोन के सामने कांवड़ यात्रा सकुशल सम्पन्न कराना बड़ी चुनौती रहती हैं। इस चुनौती को स्वीकार कर उसे सकुशल सम्पन्न कराने के लिये जुटने वाले अफसर हैं मेरठ जोन के एडीजी डीके ठाकुर।
मेरठ जोन के समक्ष रहती है सबसे बड़ी चुनौती?
बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्धार से गंगाजल उठाकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली के कांवड़िए मेरठ जोन के जिलों से होकर गुजरते हैं। मेरठ जोन में सात जिले हैं, जिनमें मेरठ, बागपत, हापुड़ बुलन्दशहर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली। मेरठ जोन के सभी जिलों से कांवड़िए होकर गुजरते हैं। यूं तो बागपत, सहारनपुर, मेरठ और शामली मुजफ्फरनगर जिलों में भारी संख्या में कांवड़ियों का आवागमन होता है लेकिन इन सात जिलों में मुजफ्फरनगर एक ऐसा जिला है, जहां से लगभग 85 प्रतिशत कांवड़िए होकर गुजरते हैं। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा कांवड़िये हरियाणा प्रदेश के करीब 31 प्रतिशत और दूसरे नंबर पर यूपी के 26 प्रतिशत शिवभक्त कांवड़िये गंगाजल उठाकर अपनी मंजिल की तरफ पहुंचते हैं। इस वर्ष मेरठ जोन के पुरा महादेव पहुंचकर 25 लाख से ज्यादा कांवड़ियों ने जलाभिषेक किया। वहीं मेरठ के औधडनाथ मंदिर में लगभग दो लाख शिवभक्त कांवड़ियों ने जलाभिषेक किया।
तीन तरीकों से निकलती है कांवड़ यात्रा- जानिए आप भी
ज्ञात हो कि कांवड़ तीन प्रकार की होती हैं, पहली जो कांवड़िए गंगाजल उठाकर कम संख्या में पैदल अपने गंतव्य की तरफ चलते हैं। वहीं दूसरी कांवड़ बड़े-बड़े डीजों और बड़ी झाकियों के साथ निकलती है। तीसरी कांवड़, जो कम समय रहने के बाद चलती है, जिसे डाक कांवड़ कहते हैं। इस डाक कांवड़ में देखा जाता है कि कांवड़िये अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिये भागम-भाग रहते हैं। ऐसी चुनौती भरी कांवड़ किसके लिये चुनौती नहीं होगी क्योंकि जहां से लाखों की संख्या में कांवडिए होकर गुजरते हैं।