SSP अभिषेक यादव - काम से बदली पुलिस की कार्यशैली , पब्लिक में हुए फेमस

आईपीएस अभिषेक यादव के लिए मुजफ्फरनगर जनपद उनकी पुलिस सर्विस का अहम पड़ाव बना। पहली बार उनको एसएसपी बनाकर भेजा गया था ।

Update: 2020-09-05 08:02 GMT

मुजफ्फरनगर।  साल 2012 बैच के आईपीएस अभिषेक यादव के लिए मुजफ्फरनगर जनपद उनकी पुलिस सर्विस का अहम पड़ाव बना। यहां पर पहली बार उनको एसएसपी बनाकर भेजा गया था । पुलिस कप्तान के रूप में अभिषेक यादव को पहला जिला मिला तो उनको नया अफसर समझकर लोग इस चुनौतीपूर्ण जिले को चला पाने उनके लिए टेढ़ी खीर ही मान रहे थे, और जिन परिस्थितियों में शासन ने आईपीएस अभिषेक यादव को मुजफ्फरनगर में शांति व्यवस्था और कानून का राज कायम करने के लिए भेजा था, वह पहले ही दिन से उनके लिए चुनौती बनी थी। अभिषेक यादव ने दो जुलाई को जनपद मुजफ्फरनगर में एसएसपी का कार्यभार ग्रहण किया। उस दौरान कांवड यात्रा की तैयारी जोरों पर चल रही थी और शहर में शिवभक्तों का आगमन भी शुरू हो गया था। पहले ही दिन से आईपीएस अभिषेक यादव को कांवड यात्रा की चुनौती से जूझना पड़ा, इसके साथ ही अगले ही दिन पुलिस अभिरक्षा से कुख्यात रोहित सांडू का फरार हो जाना, एसएसपी अभिषेक यादव के लिए बड़ी चुनौती बन गया। इन विपरीत परिस्थिति में आईपीएस अभिषेक यादव ने गजब का मनोबल दिखाया। दो जुलाई से इस आईपीएस अफसर के सामने शुरू हुआ चुनौतियों से भरा सफर 20 दिसम्बर की हिंसा से लेकर आज कोरोना संक्रमण काल तक जारी है। उनके जन्मदिन पर विशेष ............



मुजफ्फरनगर में एसएसपी अभिषेक यादव 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। आईपीएस अधिकारी अभिषेक यादव ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का पद सम्भालते ही जब पहली प्रेसवार्ता में स्पष्ट किया था  कि जनपद में गुंडई और संगठित अपराध बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगा, तब उनके इस वादे को पूरा करने के लिए मुजफ्फरनगर पुलिस के सामने बड़ी चुनौती थी, लेकिन आज एक साल से अधिक कार्यकाल के कामकाज के बाद लोग स्वयं उनकी कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए नहीं थक रहे हैं। उन्होंने जो कहा, उससे कहीं जाकर करके दिखाया है। उनके इस एक साल के कार्यकाल में चुनौती भी पहाड़ जैसी थी, लेकिन दृढ़ निश्चय के साथ उन्होंने हिमालय समान इन चुनौतियों से निपटकर दिखाया और जन के बीच खाकी के विश्वास को कायम किया। भारतीय पुलिस सेवा ज्वाइन करने से पूर्व अभिषेक यादव ने आयकर विभाग में आयकर निरीक्षक के रूप में लगभग चार माह तक अपनी सेवाएं दी थी। आईपीएस में चयन होने के बाद उन्होंने आयकर निरीक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया था। आईपीएस अफसर अभिषेक यादव का स्पष्ट मानना है कि अगर आराम से बैठकर नौकरी करनी होती तो पुलिस को छोड़कर आयकर विभाग सहित चयन के लिए तमाम विभाग हैं। आज मैं पुलिस में हूं और अपराधियों से लड़कर भयमुक्त समाज बनाने की जिम्मेदारी मुझे मिली है। अगर हम इन्हें नहीं रोकेंगे तो फिर कौन रोकने आएगा।


उत्तर के पडौसी राज्य हरियाणा के महेन्द्रगढ़ के निवासी अभिषेक यादव ने वर्ष 2008 में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की परीक्षा पास की थी। फिल्में देखना, किताबें पढ़ना उनका मुख्य शौक है, वे लिटरेरी सोसाइटी के मुख्य समन्वयक भी रह चुके हैं। इनके पिता का नाम एमएस यादव है। आगरा के एसपी जीआरपी पद से स्थानान्तरित होकर जनपद मुजफ्फरनगर में एसएसपी का कार्यभार संभालने के लिए 2 जुलाई 2019 को आये अभिषेक यादव ने अग्रेंजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फरवरी 2009 से जून 2009 तक लगभग पांच माह एसोसिएट सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में एऑन हैवीट् कम्पनी में कार्य किया, इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद बैंक में बतौर प्रोबेशन अधिकारी जुलाई 2009 से जून 2010 तक लगभग एक वर्ष कार्य किया। अभिषेक यादव इंकहार्ट स्टूडियो के संस्थापक निदेशक भी रहे। आईपीएस अभिषेक यादव ने दिसम्बर 2012 से जून 2014 तक लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय एकेडमी एडमिनिस्ट्रेशन से बतौर आईपीएस प्रोबेशनर प्रशिक्षण प्राप्त किया। इससे पूर्व के.के. पॉल के पैनल ने उनका साक्षात्कार लिया था, उनके 4 सदस्यीय साक्षात्कार पैनल में दो पुरूष व दो महिलाएं विषय विशेषज्ञ शामिल थी। उन्हें पहली नियुक्ति बतौर एएसपी बुलन्दशहर में प्राप्त हुई।


इसके बाद वे जनवरी 2016 से दिसम्बर 2016 तक नोएडा में एसपी देहात के पद पर तैनात रहे। ग्रेटर नोएडा में तैनाती के वक्त अभिषेक यादव काफी लोकप्रिय हुए थे। आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल की खनन माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई को बतौर प्रशिक्षु आईपीएस अभिषेक यादव ने आगे बढ़ाया था। इन्होंने अपने हौंसले से बड़ी कामयाबी हासिल की थी। ट्रेनी आईपीएस अफसर अभिषेक यादव डंपर में बैठकर माफियाओं के करीब पहुंच गए थे और तीन लोगों को दबोच भी लिया था। इस दौरान अवैध खनन करने वालों की तरफ से पुलिस पर फायिरग भी की गई थी। उन्होंने 10 डंपर और एक पोपलेन मशीन को जब्त किया था। थानों में खाने-खिलाने की संस्कृति अब नहीं चलेगी इसके बाद वे मुरादाबाद में दिसम्बर 2016 से मार्च 2017 तक एसपी सिटी रहे। उन्हें स्वतंत्र रूप में जनपद मऊ की कमान अप्रैल 2017 में सौंपी गयी, जहां वे लगभग ढ़ाई वर्ष तक एसपी के पद पर तैनात रहे। सूत्रों की मानें तो मऊ में बतौर एसपी का पद सम्भालते ही उन्होंने थानेदारों को बुलाकर साफ कर दिया कि थानों में खाने-खिलाने की संस्कृति अब नहीं चलेगी। कोई रिपोर्ट दर्ज करने के एवज में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार की शिकायत मिली तो थानेदार व मुंशी के खिलाफ सीधी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने दो टूक कहा था कि अस्सी प्रतिशत लोग अपनी शिकायत लेकर थानों में पहुंचते हैं। जनता को इंसाफ थाने की दहलीज पर ही मिलना चाहिए। इसमें कोई कोताही क्षम्य नहीं होगी। उन्हांने कहा था कि उन्हें पता है सिम कार्ड खोने व पासपोर्ट बनाने में पुलिस पैसे मांगती है। अभिषेक यादव ने थानेदारों को इसे बंद करने का सीधा हुक्म दिया गया था। उन्होंने कहा था कि वे निर्देश कम देते हैं और अनुपालन पर ज्यादा ध्यान देते हैं। मऊ में एसपी रहते हुए थानेदारों को सप्ताह में एक दिन छुट्टी लेने का फरमान जारी किया था, जिसको मुजफ्फरनगर में लागू कराया। बतौर पुलिस अधिकारी उनके व्यवहार में केवल सख्ती ही नहीं दिखती, वरन उनके व्यक्तित्व में मानवीयता भी झलकती है।


                                          जनता को साथ लेकर कांवड यात्रा को बनाया व्यवस्थित

मुजफ्फरनगर से नये कीर्तिमान बनाते हुए गुजरने वाली विश्व की सबसे लम्बी पैदल धार्मिक कांवड यात्रा साल 2019 में कप्तान अभिषेक यादव के स्टाइल के कारण यादगार रही। उन्होंने जनता को साथ लेकर, जनता के बीच रहकर कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती माने जाने वाली इस यात्रा को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने का काम किया।

                                                      कुख्यात रोहित सांडू का साथी सहित एनकाउंटर

कांवड यात्रा शुरू होने के दौरान ही पुलिस अभिरक्षा से दरोगा की हत्या कर फरार कुख्यात और एक लाख का ईनामी बदमाश रोहित सांडू एसएसपी अभिषेक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा था, लेकिन जनता में विश्वास बहाली के लिए इस चुनौती को उन्होंने न केवल स्वीकार किया, बल्कि जब रोहित सांडू की फरारी के 14 दिनों के बाद रिजल्ट दिया तो वह बदमाशों के बीच ही खौफ पैदा करने वाला साबित हुआ। पुलिस ने रोहित सांडू को एनकाउंटर में उसके ईनामी साथी राकेश यादव के साथ ढेर कर दिया।


                                                            थानों में गूंजा- हैप्पी बर्थ-डे

एसएसपी अभिषेक को जब डीजीपी का बर्थडे पर विशिंग ग्रीटिंग मिला, तो उनके मन में अपनी फोर्स की भागदौड़ भरी सर्विस का ख्याल आया। यहां से उन्होंने जनपद में एक अनूठा और सराहनीय अभियान चलाया। इसके बाद जनपद के थानों व पुलिस कार्यालयों में उत्साह और जोश के साथ हैप्पी बर्थ-डे गूंजने लगा। पुलिसकर्मी केक काटकर जश्न मनाते नजर आये।

                                            मुजफ्फरनगर में पहली बार पुलिस को मिला वीकली ऑफ

आईपीएस अभिषेक यादव ने पुलिस कप्तान से ज्यादा खुद को पुलिसकर्मियों के एक अभिभावक के रूप में पेश किया, उन्होंने पुलिस कर्मियों के हितों की चिंता की और उनके लिए काम भी करके दिखाया। इसी कड़ी में उनका वीकली ऑफ अभियान भी शामिल रहा। पहली बार मुजफ्फरनगर में पुलिस फोर्स को साप्ताहिक अवकाश मंजूर किया गया। इसके लिए पूरी कार्ययोजना एसएसपी अभिषेक यादव ने तैयार की और लागू कराया गया। इससे फोर्स को प्रोत्साहन मिला।

                                                    'जीरो ड्रग्स' अभियान में मिली सफलता 

पुलिस कप्तान अभिषेक यादव ने हरियाणा का पडौसी जनपद होने के कारण मुजफ्फरनगर में अवैध नशा कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए 'जीरो ड्रग्स' अभियान चलाया। इसमें भांग तस्करी गैंग पकड़ा गया तो वहीं जनपद में एक करोड़ की नकली शराब का जखीरा पकड़कर पुलिस कप्तान अभिषेक यादव ने शराब तस्करों के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। 

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