ठंड से ठिठुरते परिवार का सहारा बने एसएसआई प्रदीप चीमा
शांति, सुरक्षा और कानून व्यवस्था के प्रति सख्त रूप अख्तियार करने वाली पुलिस का चेहरा निरंतर मानवीय होता नजर आ रहा है।
मुजफ्फरनगर। शांति, सुरक्षा और कानून व्यवस्था के प्रति सख्त रूप अख्तियार करने वाली पुलिस का चेहरा निरंतर मानवीय होता नजर आ रहा है। जनपद की मीरापुर पुलिस के एसएसआई ने दो बेटोें की असमय हुई मौत के बाद खुले आसमान के नीचे रहकर फाके के दिनों से होकर गुजर रहे परिवार की मदद करते हुए सर्दी से बचाव के लिए कंबल व गददों के साथ रोजाना पेट भरने के जरूरी खाद्य वस्तुएं उपलब्ध कराई। एसएसआई ने आगें भी मदद का भरोसा पीडित परिवार को दिया है।
पुलिस का नाम जेहन में आते ही इंसान के मनो-मस्तिष्क में तरह-तरह की छवि बनने बिगडने लगती है। चाहकर भी मदद के लिए इंसान पुलिस के पास तक जाने से बचता दिखाई देता है। लेकिन पुलिस के अंदर भी एक दिल है, जिसमें उदारता भरी होती है और समय आने पर वह उदारता किसी के लिए वरदान से कम भी नही होती है। जनपद की मीरापुर पुलिस का यही मानवीय चेहरा कस्बे के मौहल्ला मुश्तर्क निवासी वृद्ध सूरजमल कश्यप और उनके परिवार का सहारा बनकर सबकी प्रशंसा बटौर रहा हैं। मीरापुर थाने में तैनात एसएसआई प्रदीप चीमा ने अपने अधीनस्थों के साथ दो बेटों की असमय मौत के बाद खुुले आसमान के नीचे लगे टैंट के तले हाडकंपाती ठंड में अपनी रातें गुजार रहे सूरजमल कश्यप और उसके परिवार के पास सोमवार की सुबह पहुंचकर लगभग पंद्रह दिनों का आटा, दाल, चावल, विभिन्न तरह की दालें, साबुन, सर्फ, खाद्य तेल आदि दैनिक जीवन में काम आने वस्तुएं उपलब्ध कराई।
एसएसआई प्रदीप चीमा ने सूरजमल कश्यप और उसके परिवार से जब खुले आसमान से निकलकर किसी सुरक्षित स्थान पर चलकर रहने की बात कही तो परिवार ने मृतक बेटे की अस्थियां चुनकर गंगा में प्रवाहित होने तक कही अन्यत्र जाकर रहने में असमर्थता जताई। एसएसआई प्रदीप कुमार चीमा ने पीडित परिवार को अपना मोबाईल नंबर सूरजमल को देतेे हुए कहा कि किसी भी तरह की परेशानी होने पर संपर्क कर बताएं। हर संभव मदद की जायेगी। एसआई प्रदीप कुमार चीमा की इस उदारता की कस्बे के साथ जिलेभर में लोग प्रशंसा करते हुए दिखलाई दिये।
गौरतलब है कि कस्बा मीरापुर के मौहल्ला मुश्तर्क में सूरजमल कश्यप का परिवार हाड़कंपाती ठंड में खुले आसमान के बीच सो रहे है। सूरजमल कश्यप के दो पुत्र थे, एक बेटे का नाम सुनील और दूसरे बेटे का नाम देवेन्द्र था, जिनका देहांत हो गया है। सूरजमल कश्यप की उम्र लगभग 80 साल के करीब व उनकी पत्नी की उम्र 75 वर्ष के लगभग है। सूरजमल कश्यप का पुत्र सुनील का देहांत तीन वर्ष पहले हो गया था। दूसरा पुत्र देवेन्द्र कश्यप जनपद गाजियाबाद में रहकर मजदूरी कर अपने परिवार की गुजर बसर कर रहा था।
केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई जा रही है, जिसमें देवेन्द्र कश्यप ने अपनी माता शांति देवी के नाम से आवेदन किया था। कई बार आवेदन करने पर एक साल के बाद आवेदन पत्र स्वीकार किया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना की जून के महीने में पहली किस्त 50 हजार रूपये आई। सूरजमल कश्यप और उसका परिवार 50 हजार रूपये की किश्त मिलने पर खुशी से फूला नहीं समाया था। किश्त आने पर उन्होंने अपना पूरा मकान ढहा दिया था और मकान की नींव रखी थी। किन्तु जून माह के बाद दूसरी किश्त नही आई, जिससे मकान का कार्य अधर में ही लटक गया। दूसरी किश्त के लिए परिजनों ने सभासदों से लेकर अधिकारियों के चक्कर काटने शुरू किए, परन्तु सफलता न मिलने पर देवेन्द्र व 80 वर्षीय बुजुर्ग पिता सूरजमल कश्यप व 75 वर्षीय माता शान्ति देवी छत के नाम पर पल्ली टांगकर खुले आसमान के नीचे रात गुजारने लगे थे, जबकि देवेन्द्र दूसरी किश्त न आने पर गाजियाबाद में जाकर मजदूरी करने को मजबूर हो गया था। जहाँ कल शनिवार को देवेन्द्र का आकस्मिक निधन हो गया। जिसके बाद उसका शव मीरापुर लाया गया। जहाँ पर मौहल्लेवासियो व बुजुर्ग-माता पिता तथा परिजनों ने उसे नम आंखों से अन्तिम विदाई दी। दूसरे पुत्र की भी अचानक मौत हो जाने से सूरजमल काफी आहत है और कड़कड़ाती ठण्ड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर है।