उत्तराखंड में स्मार्ट पुलिसिंग- DGP खुद भी करते हैं समस्याओं का समाधान
DGP ने अधीनस्थों को निर्देश दिया हुआ है कि अपराधी को बिल्कुल भी नहीं बख्शा जाये वरना ऐसे अधिकारी कुर्सी का खाली कर दें
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन व पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के नेतृत्व में उत्तराखंड पुलिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट पुलिसिंग के सपने को साकार करने में जुटी हुई है। उत्तराखंड पुलिस स्मार्ट पुलिसिंग के विभिन्न मानकों में सर्वाेत्तम संभव बेंचमार्क स्केल हासिल करने हेतु प्रतिबद्ध है। उत्तराखंड पुलिस उपयोगकर्ता, अनुभव और प्रतिक्रिया के आधार पर अपने प्रदर्शन में निरंतर परिवर्तन करने में लगी हुई है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने अधीनस्थों को निर्देश दिया हुआ है कि अपराधी को बिल्कुल भी नहीं बख्शा जाये वरना ऐसे अधिकारी कुर्सी का खाली कर दें। डीजीपी के इस निर्देश से उत्तराखंड के पुलिस महकमे में खलबली इसलिये मची है कि आनन-फानन में पुलिस को कार्यवाही करने पड़ेगी, जिससे अपराधियों के जहन में खाकी का खौफ पैदा हो गया।
उत्तराखंड पुलिस अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें कारागार में कैद कर रही है। उत्तराखंड पुलिस की सख्त कार्रवाई से अपराधियों में कहीं ना कहीं खाकी का खौफ दिखाई दे रहा है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की अगुवाई में क्रिमनलों की कमर को तोड़ने में जुटी हुई है। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड पुलिस जनता की आवश्यकताओं और भावनाओं के प्रति संवेदनशील है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का आदेश है कि पुलिस थाने या किसी भी अफसर के दफ्तर आने वाले के साथ शालीनता वाला व्यवहार करें और उनकी समस्याओं का निराकरण कर उनके इंसाफ दिलाने का कार्य करें।
उत्तराखंड पुलिस ने लापता बच्चों का पता लगाने के लिये ऑपरेशन स्माइल चलाया हुआ है। अगर कोई बच्चा लापता हो जाता है तो उसके परिजन आकर थाने पर पुलिस को सूचना दें, जिसके बाद पुलिस अपनी कार्यवाही में जुट जायेगी। पुलिस जल्द से जल्द परिजनों को उनका परिवार का बिछड़ा हुआ सदस्य मिलाकर उनके चेहरे पर स्माइल लौटा रही है।
अक्सर देखा जाता है कि बहुत बच्चे भीख मांगते है। भीख मांगना अपराध की श्रेणी में आता है। उत्तराखंड पुलिस ने भीख मांगने वाले अपराध को समाप्त करने के लिये और भीख मांगने वाले बच्चों के भविष्य के संवारने के लिये ऑपरेशन मुक्ति चलाया हुआ है। राजपत्रित अधिकारी और थाना प्रभारी बच्चों की भीख के पटल से हटाकर उन्हें भविष्य की पटरी पर चढ़ाते हुए उन्हेें शिक्षा ग्रहण कराने के लिये हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
महामारी के दौरान लोग खुद को संक्रमण होने से डरे हुए थे। इस डर को पीछे छोड़ते हुए उत्तराखंड पुलिस आगे आई और जनता की मदद के लिये मिशन हौंसला चलाया। मिशन हौंसला के अन्तर्गत उत्तराखंड पुलिस ने जरूरतमंदों की सहायता कर उनकी दुआएं लेने का कार्य किया।
उत्तराखंड के प्रत्येक थाने पर महिला हेल्पडेस्क स्थापित की गई, जहां पर महिलाएं अपनी शिकायतें लेकर आती है। महिलाओं की शिकायतों को सुनकर हेल्प डेस्क इंचार्ज शीघ्र ही कार्यवाही करते हुए जांच कर आरोपी के खिलाफ एक्शन लेती है।
उत्तराखंड पुलिस, उत्तराखंड आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (डायल 112) को कामयाब करने में अग्रणी प्रदेशों में से एक है। डायल 112 शहर और उच्च मार्गों पर गश्त करती रहती है, जिससे कि कोई अपराधी अपराध की वारदात को अंजाम ना दे सकें और कोई अपराध करें तो उसे वहीं से गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दे। उत्तराखंड पुलिस की डायल 112 गश्ती के साथ-साथ रोजमर्रा जनता की तकरीबन 30 हजार कॉल को संभालती है। जनता की कॉल को रिसीव कर उसकी मदद के लिये उनके द्वारा बताये गये स्थान पर तुरंत पहुंच जाती है। उत्तराखंड पुलिस की डायल 112, महिला हेल्पडेस्क, उपयोगकर्ता के अनुकूल मोबाइल ऐप ने लोगों के दिलों में उत्तराखंड पुलिस के प्रति एक विश्वास पैदा हुआ है।
उत्तराखंड के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा शिकायतों की समीक्षा करते हुए उनका समाधान किया जाता है। इतना ही नहीं डीजीपी अशोक कुमार खुद भी शिकायतों के समय पर निस्तारण कर पुलिस के प्रति जनता के दिलों में एक अलख जगाने का कार्य कर रहे हैं। लापरवाही करने वाले कर्मचारियों व अफसरों से सख्ती के साथ निपटा जाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के स्मार्ट पुलिसिंग का विजन हमारा मिशन है और इसके लिये हमें माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी से निरंतर मार्गदर्शन और निर्देशन मिल रहा है। पुलिसिंग में बहुआयामी सुधार लाने व नागरिकों को सुरक्षित वातावरण देने के लिये प्रयत्नशील है। -- अशोक कुमार, डीजीपी उत्तराखंड