एनएचआरसी ने उड़िया महिला से बलात्कार मामले में दिल्ली कमिश्नर और....
डिशा की एक 34 वर्षीय महिला के साथ 10 अक्टूबर को बलात्कार कर दिल्ली के सराय काले खान इलाके में छोड़ दिया गया।
केंद्रपाड़ा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर ओडिशा की एक 34 वर्षीय महिला के बलात्कार मामले में दो सप्ताह के अंदर विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
आयोग ने पीड़िता के स्वास्थ्य की स्थिति, पुलिस जांच की प्रगति और पीड़िता को राहत एवं पुनर्वास प्रदान करने के लिए उठाए गए कदमों पर भी एक रिपोर्ट भी मांगी है, जिसका वर्तमान में चिकित्सा उपचार चल रहा है। आयोग ने भविष्य में महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन करने वाली ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए किए जा रहे या प्रस्तावित उपायों की जानकारी मांगी है।
एनएचआरसी ने चेतावनी दिया कि अगर रिपोर्ट निर्धारित समय में प्रस्तुत नहीं की गई, तो आयोग मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 13 के अंतर्गत कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकता है, जिसमें रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए संबंधित प्राधिकारी की व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता होगी। यह निर्देश मानवाधिकार कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी द्वारा दायर एक याचिका के बाद जारी किया गया है, जिसमें कहा गया था कि ओडिशा की एक 34 वर्षीय महिला के साथ 10 अक्टूबर को बलात्कार कर दिल्ली के सराय काले खान इलाके में छोड़ दिया गया।
महिला ने एक साल पहले अपना घर छोड़ा था और दक्षिण दिल्ली के कटवारिया सराय इलाके में एक अन्य महिला के साथ रहने लगी थी। शिकायत के अनुसार, अगस्त 2024 में एक विवाद के बाद पीड़िता दिल्ली में सड़कों पर गुजर-बसर कर रही थी। त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि महिला के साथ कहीं और बलात्कार किया गया और फिर अर्धबेहोशी की हालत में उसे सराय काले खां इलाके में छोड़ दिया गया। त्रिपाठी ने दिल्ली में महिलाओं, विशेषकर हाशिए पर रहने वाली महिलाओं की सुरक्षा और कमजोर लोगों की सुरक्षा में सरकार की विफलता पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बेसहारा लोगों, विशेषकर मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए बुनियादी मानवाधिकार सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की।
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने एनएचआरसी से मामले की तत्काल जांच करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि पीड़िता को उचित चिकित्सा-कानूनी देखभाल, मनो-सामाजिक परामर्श के साथ पुनर्वास और मुआवजा मिले। उन्होंने अपराधियों की गिरफ्तारी करने का भी आह्वान किया और सिफारिश किया कि दिल्ली सरकार भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए निवारक कदम उठाए। शिकायत के अलावा, आयोग ने घटना के संबंध में मीडिया रिपोर्टों पर भी ध्यान दिया।
रिपोर्टों के अनुसार, पीड़िता के माता-पिता ने ओडिशा में लड़की के घर छोड़ने के बाद उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की थी। वे दो महीने पहले दिल्ली आए थे और उसे वापस ले जाने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन उसने इनकार कर दिया। एक महीने पहले उसका फोन खो गया था और तब से उसके परिवार से उसका संपर्क टूट गया था। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि महिला फिलहाल यह बताने की स्थिति में नहीं है कि उसका फोन कहैं खो गया या उसपर हमला करने वाले कौन थे। उसका इलाज चल रहा है और पुलिस ने अधिक जानकारी जुटाने के लिए उसके भाई से संपर्क किया है। पीड़िता वहां कैसे पहुंची, इसका पता लगाने के लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज की भी समीक्षा की जा रही है।
आयोग ने शिकायत और मीडिया रिपोर्ट दोनों की समीक्षा की। इसने इस घटना पर दुख व्यक्त किया, यह देखते हुए कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के कई मामले होने बावजूद, अधिकारियों ने पिछली घटनाओं से सीख नहीं ली है। आयोग ने इस बात पर बल दिया कि ऐसी घटनाओं से पता चलता है कि महिलाएं और समाज के अन्य कमजोर वर्ग असुरक्षित हैं और असामाजिक तत्वों द्वारा उन्हें आसानी से निशाना बनाया जाता है।
आयोग ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पीड़िता को दिल्ली में अपना पिछला निवास छोड़ने के बाद सुरक्षित आश्रय सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार के कल्याण अधिकारियों द्वारा कोई राहत नहीं प्रदान की गई होगी। आयोग ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है। एनएचआरसी ने मामले का संज्ञान लिया है और एनसीटी दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। ओडिशा महिला आयोग ने दिल्ली महिला आयोग से भी घटना की जांच करने का अनुरोध किया है।