बीमा कंपनियों को चूना लगाने वाले गिरोह का सरगना गिरफ्तार

सिलसिले में गिरोह के सरगना ने मंगलवार सुबह नाटकीय तरीके से पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर लिया

Update: 2021-05-25 12:06 GMT

अमरोहा। उत्तर प्रदेश में अमरोहा के मंडी धनौरा क्षेत्र में गुप्तचर एजेंसियों ने बीमा कंपनियों को चूना लगाने वाले एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस सिलसिले में गिरोह के सरगना ने मंगलवार सुबह नाटकीय तरीके से पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर लिया।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि गुप्तचर एजेंसियों को सूचना मिली थी कि जिले में जालसाजों का एक गिरोह सक्रिय है जो बीमार और शराब के लती लोगों को निशाना बनाते हैं,और उनके परिवार के सदस्यों को अपनी तरफ से कुछ रकम अदा कर टर्म पालिसी खरीद लेते हैं। गिरोह के सदस्य ऐसे लोगों की हत्या तो कहीं बीमाधारक व्यक्ति की स्वाभाविक मौत को हादसा बता कर बीमा की रकम हडप लेते हैं।

एजेंसियों की सूचना पर पुलिस ने भारी पुलिस बल ने सोमवार की शाम आरोपी युद्धवीर के घर में दबिश दी तो वह मकान में छिप गया। सारी रात बीत जाने के बाद मंगलवार सुबह जब जेसीबी मशीन और पीएसी बुलवाने का एलान किया गया तो उसने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

पूछताछ में पता चला कि संगठित अपराध में बीमा कंपनी, सर्वेयर, जांच अधिकारी एजेंट, बैंक के अधिकारी तथा स्थानीय पुलिस की संलिप्तता रहती है। यह मामला तब उजागर हुआ जब एक पीडित की तहरीर पर संगठित गिरोह के सक्रिय सदस्य युद्धवीर के विरुद्ध धोखाधड़ी, कूटरचना करना, धमकी देना के संबंध में मुकदमा अपराध संख्या 374 ,2020 धारा 420,468,467,471,506 आईपीसी के तहत अमरोहा जनपद के थाना मंडी धनौरा में पंजिकृत कराया है।

सूत्रों ने बताया कि बीमे की रकम पर दावा कर जालसाज मृतकों के परिवारों और अन्य लोगों से सांठगांठ कर अलग अलग बीमा कंपनियों के समक्ष करोड़ों रुपए के बजरिये दावे रकम हडप चुके हैं। पालिसी धारक की हत्या के बाद जालसाज आरोपी इसे हादसे में मौत का रुप देकर बीमा कंपनी की रकम पर दावा ठोकते हैं। बीमा की रकम मिलने के बाद मृतक के परिवार के सदस्यों और पुलिस प्रशासन समेत अन्य लोगों को भी हिस्सेदारी दी जाती थी।

उन्होने बताया कि संगठित गिरोह के सरगना अमुक व्यक्ति की आईडी, आधार कार्ड,, फोटो लेकर निजी क्षेत्र के एक्सेस बैंक में खाता खुलवाते हैं, उसके बाद चैक बुक पर हस्ताक्षर कराकर रख लेते हैं,उस बीमाधारक की इंश्योरेंस पॉलिसी पीएनबी, मैक्स लाईफ, महिंद्रा कोटेक, और आईसीसी आदि बीमा कंपनियों में करा दिया जाता है,मगर कहां कहां बीमा कराया गया है इससे लोग अनजान रहते हैं। बीमा धारक की आईडी पर सिम निकालने के बाद अपने मोबाइल में डाल लेते हैं जिससे बीमा कंपनियों की सारी जानकारी आरोपी जालसाजों के पास पहुंचती रहती है। जालसाजों के कब्जे में आईडी, सिम, हस्ताक्षरित चेकबुक, आदि जरूरी दस्तावेज रहते हैं।

गौरतलब है कि ऐसे बीमाधारक बामुश्किल एक दो साल जीते हैं और क्लेम एक दो साल में जालसाजों के पास पहुंच जाता है।

इस संबंध में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र सौंप कर ऐसे तमाम लोगों के खाते की रकम और अकूत बेनामी संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय(ईडी),एसटीएफ तथा स्पेशल क्राइम ब्रांच से उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई है।

पुलिस अधीक्षक सुनीति ने बताया कि फर्जी तरीके से बीमा हडपने तथा फर्जी आईडी से सिम एक्टिवेट करने का मामला मंडी धनौरा थाने में दर्ज है। मामला उनके संज्ञान में आने के बाद ऐसे तमाम जालसाजों के नेटवर्क का पता लगाया जा रहा है। गाजियाबाद से भी कुछ तथ्य जुटाए जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार मंडी धनौरा(अमरोहा) महादेव निवासी श्याम कुमार मैक्स लाईफ इंश्योरेंस कंपनी मुरादाबाद में एजेंसी एसोसिएट पद पर कार्यरत थे। उनका आरोप है कि उनके संपर्क में आया युद्धवीर सिंह निवासी मल्हूपुरा ने उनसे कंपनी में बीमा एजेंट बनने के लिये मनुहार की थी लेकिन जब उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र में हाईस्कूल फेल देखा तो उसे एजेंट बनाने से इंकार कर दिया था।

इस दौरान एक अन्य एजेंट जो जालसाजी, कूटरचना कर के अकूत बेनामी संपत्ति के मालिक के सानिध्य में फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे खुद मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी,पीएनबी मैटलाइफ ब्रांच मेरठ का भी कूटरचित प्रपत्रों के आधार पर एजेंट बन गया,जबकि नियमानुसार एक व्यक्ति एक समय में सिर्फ एक ही कंपनी में एजेंट बन सकता है,और तब से उसने फिर पीछे मुडकर नहीं देखा।

आरोप है कि उसने एजेंट बन कर अपने वयोवृद्ध दादा लल्लू सिंह का बीमा मैक्स इंश्योरेंस कंपनी में कूटरचना से बीस साल उम्र कम दर्शाते हुए बीमा कर दिया, कुछ दिन बाद आरोपी के दादा की अचानक मृत्यु हो गई,और क्लेम के दावे का पूरा भुगतान ले लिया। उसके बाद वयोवृद्ध नानी,मां एवं अपने पिता की उम्र कम दर्शाकर बीमा ले रखा है।

आरोपी के पिता के खिलाफ 1981 में धारा 353 के तहत मंडी धनौरा थाने में मामला दर्ज है,जो अभी तक पेंडिंग पडा हुआ है।

वार्ता

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