दुर्गा भक्तों के आगे बेबस हुआ प्रशासन, हटानी पड़ी मोर्चाबंदी

ऐतिहासिक दुर्गापूजा महोत्सव के विसर्जन में शोभायात्रा न निकलने और दुर्गा प्रतिमाएं गोमती नदी में विसर्जित न होने पाए।

Update: 2020-11-01 07:46 GMT

सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में ऐतिहासिक दुर्गापूजा महोत्सव के विसर्जन में शोभायात्रा न निकलने और दुर्गा प्रतिमाएं गोमती नदी में विसर्जित न होने पाए, इसके लिए जिला प्रशासन ने पूरी तरह से कोविड-19 का फायदा उठाते हुए मोर्चाबंदी की थी किंतु दुर्गाभक्तों के उत्साह और जज्बे के आगे व्यवहारिक पक्ष को देखते ही प्रशासन को अपनी मोर्चेबंदी तोड़नी पड़ी।

ज्ञात हो कि न्यायालय का हवाला देकर पिछले कई वर्ष से जिला प्रशासन यह प्रयास करता रहा कि सुलतानपुर जिले की ऐतिहासिक दुर्गापूजा महोत्सव के कल समापन पर दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन नदी में न कराकर वैकल्पिक कुंड में करायें। हर साल दुर्गाभक्तो की भीड़, उत्साह के आगे प्रशासन तैयारियों के बाद भी औपचरिताएं पूरी भर कर लेता था। अधिकांश प्रतिमाएँ नदी में विसर्जित होती थी। उमडा सैलाब प्रशासन के वैरिकेटिंग को तोड़ दिया करता था। इस बार कोविड 19 को लेकर शासन की जारी गाइड लाइन के सहारे प्रशासन ने पहले तो मूर्ति स्थापना से लोगो को रोकने का भरसक प्रयास किया, कुछ स्तर पर लोगों ने मूर्ति स्थापना नहीं की, किंतु अधिकांश लोगों ने मूर्ति का स्वरूप छोटा करते हुए कहीं न कहीं मूर्ति स्थापित की और पूरे समय सामान्य ढंग से पूजा अर्चना की।

जिनकी संख्या लगभग शहरी क्षेत्र में 80 रही। जिला प्रशासन ने मूर्तियों के पास साउंड भी प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद मूर्ति विसर्जन के समय शोभायात्रा का शुभारंभ कल दोपहर डीएम व एसपी ने तो किया किंतु सभी मूर्तियों को शोभायात्रा में शामिल होने से रोकने को पूरी मोर्चेबंदी की।

प्रशासन ने शहर को आने वाले सभी रास्तों पर बड़े वाहनो को अंदर आने पर रोक लगा दी। जगह जगह दर्शनार्थियो को रोका गया किंतु देखते ही देखते हजारो की संख्या शहर दुर्गापूजा विसर्जन को देखने पहुंच गयी। अपने अपने स्थानों से उठकर नदी की ओर निकलने वाली तमाम दुर्गा प्रतिमाओं की झाँकिया पुलिस की रोक के बाद भी शोभायात्रा में शामिल हो गयी।

भक्ति के रंग में पूरी तरह रंग चुके शहर में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क गायब हो गए। भक्तिरस में डूबे भक्त माँ की झाकियों के आगे थिरकते घाट तक पहुँचे। इधर सीताकुंड घाट पर पूरा प्रशासनिक अमला आने वाले सभी दुर्गा प्रतिमाओं को वैकल्पिक कुंड में विसर्जित करवाने में लगा हुआ था। पहले जिस घर से गोमती में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन होती थी उस स्थान पर प्रशासन ने पंडाल बना मार्ग अवरुद्ध कर दिया।

कल रात 12 बजे शोभायात्रा का नेतृत्व कर रही बड़ी दुर्गा माता के साथ करीब डेढ़ दर्जन दुर्गा प्रतिमाएं एक साथ घाट पर पहुंच गई। इन पूजा समितियों के कार्यकर्ता नदी में प्रतिमा विसर्जन को लेकर धरने पर बैठ गए और प्रशासन तथा सभी पूजा समितियों को नेतृत्व करने वाले केंद्रीय पूजा व्यवस्था समिति के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे।

जिससे मजबूर जिला प्रशासन ने इन प्रतिमाओं का विसर्जन नदी में करने की छूट दे दी। लेकिन उसके बाद आने वाली अन्य प्रतिभाओं का विसर्जन वैकल्पिक कुंड में ही संपन्न कराया।

घाट पर मौजूद अपर जिलाधिकारी हर्ष देव पांडे व अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज लगातार समितियों से आग्रह करते रहे कि यह न्यायालय व शासन का आदेश है। इसलिए आप सभी वैकल्पिक कुंड में ही मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन करें। इस कुंड में आदि गंगा गोमती का ही जल है। इनके समर्थन में केंद्रीय पूजा व्यवस्था समिति के संरक्षक रंजन सेठ, कोषाध्यक्ष प्रवीण कुमार अग्रवाल सहित कुछ अन्य पदाधिकारी भी समितियों को मनाते रहे।

करीब डेढ़ दर्जन पूजा समितियों ने केंद्रीय पूजा समिति को प्रशासन के आगे नतमस्तक होने का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध नारेबाजी की और एक नई समिति बनाने की घोषणा भी कर दी। केंद्रीय पूजा व्यवस्था समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश पांडे का कहना है कि हमें शासन प्रशासन के नियम और कानूनों को मानना पड़ेगा।

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