संक्रमण काल मे कारागारों ने कोरोना से जीती जंग- UP बना देश मे NO.1
संस्थाओं को मास्क तथा पीपीई किट प्रदान करना प्रारंभ कर दिया था। ऐसा करने वाला जेल विभाग उत्तर प्रदेश पूरे देश में प्रथम रहा
लखनऊ। साल 1998 बैच के सीनियर आईपीएस अफसर आनन्द कुमार को शासन ने उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून एवं व्यवस्था के पद से उनको प्रमोशन देते हुए डीजी जेल बनाया गया। 24 मार्च को देश में पूर्ण लाॅकडाउन हो गया था। सनद रहे कि देश की जेलों में वर्तमान में लगभग सवा चार लाख से अधिक बंदी निरुद्ध हैं जिसमें से 1,10,000 बंदी केवल उत्तर प्रदेश की जेलों में वर्तमान में निरुद्ध हैं। देश की कुल बंदी जनसंख्या का एक चौथाई से अधिक उत्तर प्रदेश की जेलों में निरुद्ध हैं। जबकि उत्तर प्रदेश की जेलों की क्षमता केवल लगभग 60,580 बन्दियों की ही है। क्षमता से लगभग दोगुने बन्दी निरुद्ध होने के कारण सोशल डिस्टेनसिंग की बाध्यता वाले भयावह कोरोना काल में बंदियों को संक्रमण से बचाए रखना एक भयानक दुःस्वप्न के समान था। किंतु टीम ने भावना और उच्च मनोबल से कार्य करके चुनौतियों से लड़ने और विजयी रहने के विशेषज्ञ डीजी जेल आनंद कुमार ने बंदियों और स्टाफ को बचाने के लिए विस्तृत दिशा निर्देश समय रहते यानी 6 मार्च 2020 को ही जारी करते हुए सभी जेलों में कोरोना प्रोटोकॉल का भी सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए थे। डीजी जेल आनन्द कुमार ने कोरोना काल जैसी महामारी में बंदियों की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए प्रदेश में 86 अस्थाई जेलों का निर्माण कराया। बंदियों को उपयोग कराने वाली वस्तु, खाद्यान्न, सब्जी को सेनेटाइज कराकर ही प्रयोग कराया गया। मास्क एवं पीपीई किट जेलों की जरूरत से भी ज्यादा बन गयी थी। तब संस्थाओं को मास्क तथा पीपीई किट प्रदान करना प्रारंभ कर दिया था। ऐसा करने वाला जेल विभाग उत्तर प्रदेश पूरे देश में प्रथम रहा है। बेहद हर्ष का विषय है कि आज दिनांक 26 अक्टूबर 2020 को प्रदेश की जेलों में कोरोना संक्रमित बन्दियों की संख्या निरंतर घटते हुए 538 रह गई है बन्दियों के तेजी से स्वस्थ होते जाने के कारण उम्मीद की जानी चाहिए कि अतिशीघ्र जेलें कोरोना शून्य हो जायेंगीं।
डीजी जेल आनन्द कुमार ने निर्देश पर प्रदेश की सभी 71 जेलों में कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु जेल के सीमित संसाधनों का युद्धस्तर पर उपयोग करके मास्क, पीपीई किट और सैनिटाइजर का निर्माण जेल में ही किया जाए और उसका निरंतर प्रयोग भी हो। बंदियों को आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार सुबह शाम काढ़ा तथा गर्म पानी दिया जाये। प्रदेश भर में 86 अस्थाई जेलों का निर्माण करवाकर नये बंदियों को 14 दिन तक इनमें रखने तथा कोविड टेस्ट के उपरांत नेगेटिव होने के बाद ही स्थाई जेलों दाखिल करना तथा यहां भी पुनः 14 दिन क्वॉरेंटाइन किए जाने के बाद ही सामान्य बंदियों के साथ रखा जाये। डीजी जेल आनन्द कुमार ने 24 मार्च 2020 से ही लॉकडाउन घोषित किये जाने की तिथि से ही जेलों में परिजनों, आगंतुकों का जेल प्रवेश निषेध कर दिया था एवं बंदी मुलाकात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। यह आज भी जारी है और इससे कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने में मदद मिली है।
जेल में बंदियों के उपयोग के लिये आने वाली वस्तुओं, खाद्यान्न, सब्जी आदि को सैनिटाइज करने के बाद ही प्रयोग किया गया। बन्दियों की इम्युनिटी बनाये रखने के लिए नित्य प्रातः सभी बन्दियों को योगा कराया गया। प्रतिदिन बैरकों को लगातार सेनेटाइज किया जा रहा है। मुख्यालय स्तर से वीडियो वाॅल के जरिये इन निर्देशों के अनुपालन और जेलों से सामंजस्य की 24गुणा7 उच्चस्तरीय निगरानी की व्यवस्था की गयी। इतने एहतियात के बाद भी संक्रमित हुए बंदियों को जेल में ही घोषित कोविड एल1 अस्पतालों में रखकर सघन इलाज कराया गया तथा गंभीर स्थित वाले बंदियों को बाह्य कोविड-19 अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में भेजकर इलाज कराया गया। इन उपायों का सुखद परिणाम यह हुआ कि जेलों में अब तक 30 लाख से भी अधिक मास्क बनाये जा चुके है। जिनमें से लगभग 16 लाख मास्क और 300 पीपीई किट विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओ, चिकित्सालयों को मात्र लागत मूल्य पर उपलब्ध कराया गया, तब जब बाजार में मास्क और पीपीई किट उपलब्ध नहीं थी। उल्लेखनीय यह भी है कि प्रदेश की जेलों में निरुद्ध बंदियों ने मार्च के आखिरी सप्ताह में ही अपनी आवश्यकता से अधिक मास्क बना लिए थे और जरूरतमंद संस्थाओं को मास्क तथा पीपीई किट प्रदान करना प्रारंभ कर दिया था। ऐसा करने वाला जेल विभाग उत्तर प्रदेश पूरे देश में प्रथम रहा है।
युद्ध स्तर पर बंदियों के टेस्ट कराए गए आज तक कुल 2,05,432 कोविड टेस्ट बंदियों के कराए जा चुके हैं। उपरोक्त उपायों एवं तैयारियों का ही यह परिणाम है कि प्रदेश की जेलों में 1,10,000 बंदियों की संख्या के सापेक्ष घटते-घटते कोरोना संक्रमित व मात्र 25 जेलें हैं जिनमें मात्र 538 बंदी वर्तमान में कोरोना पॉजिटिव हैं, जिनका इलाज चल रहा है और अति शीघ्र सभी के स्वस्थ होने की उम्मीद है। यह स्थिति इसलिए भी ज्यादा सुखद है क्योंकि तमाम एहतियात के बाद भी दिनांक 4 सितम्बर 2020 को प्रदेश की कुल 40 जेलों में कुल 2,056 बन्दी संक्रमित थे। यह उच्चतम संख्या थी। इसके बाद से कोरोना संक्रमण के केसेज निरंतर तेजी से घटर रहे है। सुधार की इस स्थिति के लिए सर्वप्रथम संकटकाल में विषम परिस्थतियों में बन्दियों के अभूतपूर्व सहयोग की सराहना की जानी चाहिए। जिन्होंने इतने लंबे समय तक परिजनों का चेहरा नहीं देखा उनसे मुलाकात नहीं की फिर भी विचलित नहीं हुए, संयमित जीवन जिया और जेलों का अनुशासन नहीं तोड़ा इसके पीछे कहीं न कहीं जेल प्रशासन द्वारा बन्दियों के अभिभावक की भूमिका में उतरकर संकटकाल में टीम भावना से की गई मेहनत, तथा सेवा भाव से जीता गया बन्दियों का भरोसा उत्तरदायी है। जाहिर है इस सुखद स्थिति के लिए प्रदेश की जेलों में निरुद्ध बन्दियों से लेकर जेलकर्मी और जेल अधिकारियों तक जहां सभी प्रशंसा के पात्र हैं। वहीं शासन स्तर से प्राप्त सहयोग के साथ-साथ सभी जिलों के जिलाधिकारी और पुलिस प्रशासन की भूमिका भी सराहनीय है।