फ्लैशबैकः जब यह IPS शिकायत लेकर गये थे थाने- अब लोगों को दिला रहे इंसाफ

आईपीएस अभिषेक इन दिनों जिले के पुलिस कप्तान के रूप में पुलिसिंग कर रहे हैं।

Update: 2024-09-30 11:23 GMT

बिजनौर। कोई भी घटना, किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकती है। घटनाएं होने के बाद लोगों का ताल्लुक पुलिस से पड़ जाता है, जिसके बाद पीड़ित अपनी आस लेकर पुलिस के पास पहुंचता है। ऐसा ही हुआ एक साल 2015 बैच के आईपीएस अफसर के साथ, जिनका नाम है अभिषेक झा। अभिषेक झा का दिल्ली में सिविल सर्विस की परीक्षा की तैयारी के दौरान उनका नया लेपटॉप और मोबाइल फोन चोरी हो गया था, जिससे वह काफी दुःखी हो गये थे। चोरी होने के बाद पुलिस से उन्हें पहली बार काम पड़ा और वहां से उन्हें बहुत सीखने को मिला, जो आज तक उन्हें याद रहता है। लेकिन जब आज आईपीएस अधिकारी अभिषेक झा के पास कोई आस लेकर आता है तो उस बात को ध्यानपूर्वक अभिषेक झा सुनते हैं और उसका समाधान कराते हैं। यूं तो आईपीएस अधिकारी अभिषेक ने अनेकों लोगों को न्याय दिलाया लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जो हमेशा व्यक्ति के दिल में छपी रहती हैं। आईपीएस अधिकारी अभिषेक झा के प्रयास से शामली जिले में दुकानदार को उसका मोबाइल फोन मिला। अलीगढ़ जनपद में एक पीड़ित का झूठी नामजदगी हटवाकर उसका जीवन बर्बाद होने से बचाया और झांसी जिले में अपनी दंबगई के चलते पीड़ित के खेत से मिट्टी उठा रहे दबंग के विरूद्ध कार्रवाई कराई। आईपीएस अभिषेक झा द्वारा बताये गये संस्मरण से खोजी न्यूज आपको रूबरू कराते हैं। आईपीएस अभिषेक इन दिनों बिजनौर जिले के पुलिस कप्तान के रूप में पुलिसिंग कर रहे हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 1988 के महीना अक्टूबर की 25वीं तारीख की बात है कि बिहार के कटिहार में निवास करने वाले भरतभूषण झा के परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ, जिनका परिवार ने नाम रखा अभिषेक। अभिषेक के पिता जिलाधिकारी कार्यालय में हेड क्लर्क और उनकी माता एक शिक्षक है। अभिषेक झा की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई कटिहार से पूर्ण हुई और कालीकट के इंजीनियर कॉलेज से उन्होंने बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। डिग्री मिलने के बाद उनका चयन मल्टी नेशनल कम्पनी में हो गया था। अभिषेक झा को एमएनसी कम्पनी में अच्छा पैकेज मिलता था लेकिन वर्ष 2011 में उन्होंने पिता से सलाह करने के बाद नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि उन्हें सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर एक आईपीएस अफसर बनना था। सिविल सर्विस में जाने के मन बनाये अभिषेक झा दिल्ली मुखर्जी नगर में आकर तैयारी करने लगे और वह तीसरे प्रयास में सिविल सर्विस का एग्जाम क्रेक कर बन गये थे वर्ष 2015 बैच के आईपीएस अफसर।

आईपीएस अधिकारी अभिषेक झा खोजी न्यूज से रूबरू होते हुए बताते हैं कि वह दिल्ली मुखर्जी नगर में तैयारी कर रहे थे, जहां पर उनका रूम और वॉशरूम दोनों पास-पास थे। एक दिन की बात है कि अभिषेक झा रूम को खुला छोड़कर वॉशरूम में चले गये। इसी बीच किसी ने वॉशरूम को बाहर से लॉक कर दिया। बाहर आने के लिये उन्होंने दरवाजा खोला तो वह बाहर से बंद था, जिसके बाद उन्होंने अपने दोस्त को आवाज देकर दरवाजा खुलवाया। वॉशरूम से बाहर आने के बाद जैसे ही वह अपने रूम में गये तो वहां से उनका नया लेपटॉप और एक मोबाइल चोरी हो चुका था।

आईपीएस अभिषेक झा बताते हैं कि नया लेपटॉप और मोबाइल चोरी हो जाने की वजह से उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हुआ था, जिसकी वजह से वह काफी दुःखी हो गये थे क्योंकि लेपटॉप और मोबाइल फोन उनके पापा की कई महीने की सैलरी के थे। दिल में दुःख लिये अभिषेक अपने एक आईएएस दोस्त के साथ थाने गये, जहां पर उन्होंने यह कह दिया था कि आपका यह क्षेत्र नहीं लगता, अपने क्षेत्र में जाईये और इस सम्बंध में प्रार्थना पत्र दीजिए। उस दिन पहली बार अभिषेक झा को ज्ञात हुआ था कि थानों का क्षेत्र होता है और जिस क्षेत्र में घटना घटती है, वहां पर उस सम्बंध में प्रार्थना पत्र दिया जाता है।

आईपीएस अभिषेक झा आगे बताते हैं कि पुलिस की सलाह के बाद वह अपने दोस्त के साथ मुखर्जी थाने गये और उन्होंने वहां पर एक प्रार्थना पत्र दिया तो पुलिस ने कहा कि प्रार्थना पत्र में चोरी नहीं लिखो, इसमें लिखो कि आपका लेपटॉप और मोबाइल फोन कहीं गुम हो गये हैं। आईपीएस अभिषेक झा कम्पयूटर साइंस से इंजीनियर हैं तो उन्होंने पुलिस से कहा कि मेरा मोबाइल अभी-भी ऑन हैं। उन्होंने रिक्वेस्ट करते हुए कहा कि कृपया लोकेशन निकालकर कुछ कार्यवाही करें तो पुलिस का जवाब आया कि इसके लिये हमें होम मिनिस्टरी से अनुमति लेनी पड़ती है। अभिषेक झा का पुलिस की भागदौड़ के बाद उनका मोबाइल बरामद हो गया थ। लेपटॉप और मोबाइल फोन मिल जाने के बाद चोर के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की गई थी।

आईपीएस अभिषेक झा खोजी न्यूज को आगे बताते हैं कि जब वह शामली जिले के पुलिस कप्तान थे तो उस दौरान शामली जिले में ही एक दुकान पर एक व्यक्ति चढ़ा और कहने लगा कि मुझे एक कॉल करनी है, कृपा आप मुझे अपना मोबाइल दिखा दीजिए। दुकानदार ने उसकी समस्या समझते हुए अपना मोबाइल उसे कॉल करने के लिये दे दिया लेकिन आरोपी के हाथ में जैसे ही मोबाइल आया तो वह दुकानदार के मोबाइल फोन को लेकर भाग गया। दुकानदार के लिये उसका मोबाइल आरोपी द्वारा ले जाया जाना समस्या बन गया। यह मामला जैसे ही आईपीएस अभिषेक झा के संज्ञान में आया तो उन्होंने प्रयास कर दुकानदार को मोबाइल फोन बरामद कराकर आरोपी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे जेल भिजवाने का काम किया। दुकानदार को जैसे हुए उसे मोबाइल दिया गया तो वह काफी प्रसन्न हुआ और आईपीएस अभिषेक झा का धन्यवाद अदा किया। इसको लेकर आईपीएस अभिषेक झा वैरी हैप्पी हुए। वह कहते हैं कि ऐसी चीजों जनता में पुलिस के प्रति एक विश्वास पैदा होता है।

आईपीएस अभिषेक झा बताते हैं कि अलीगढ़ में पोस्टिंग के दौरान एक व्यक्ति पर झूठी एफआईआर दर्ज करा दी गई थी। इस मामले को खुद आईपीएस अभिषेक झा ने निगरानी रखते हुए सीडीआर चेक कराई तो उसमें वह मौके पर नहीं पाया गया, जिसके बाद झूठी नामजदगी से उसका नाम हटा दिया गया था। आईपीएस अभिषेक बताते हैं कि उस व्यक्ति के खिलाफ झूठी नामजदगी पॉलिटिकल वजह से दूसरी पार्टी ने कराई थी, जिससे कि उनके चुनाव जीतने में आसानी हो सके। आईपीएस अभिषेक झा ने अपने प्रयास से उस व्यक्ति को झूठी नामजदगी से बचाकर उसके जीवन को बर्बाद होने से बचाया था।

आईपीएस अभिषेक झा बताते हैं कि झांसी जिले में एएसपी के रूप में वह पुलिसिंग कर रहे थे। उनका तबादला होने से एक दिन पहले एक व्यक्ति ने उनके पास आया और शिकायत करते हुए कहा कि कोई दंबग व्यक्ति उसकी जमीन से मिट्टी उठा रहा है। मामले की जांच कराते हुए आईपीएस अभिषेक झा ने पीड़ित व्यक्ति की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी थी। आईपीएस अभिषेक झा के प्रयास से पीड़ित को न्याय मिल गया था, जिसके बाद उनकी पोस्टिंग किसी अन्य जिले में हो गई थी। पीड़ित व्यक्ति की मदद की थी वह आईपीएस अभिषेक झा को ढूंढते-ढूंढते उनके घर पहुंच गया और अभिषेक को घन्यवाद बोला। इस बात को लेकर आईपीएस अभिषेक झा कहते हैं कि इसको लेकर दुःख यू हुआ कि वह इस छोटी-सी मदद के लिये उसको बहुत परीक्षा करनी पड़ी और संतोष इसलिए हुआ कि आईपीएस अभिषेक के सहयोग से उनकी समस्या का समाधान हो गया।

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