बड़ा गुडवर्क- पुलिस ने तस्करों को अरेस्ट कर पकड़ा 1 करोड़ का गांजा

पुलिस ने गिरफ्तार किये गये आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया है।

Update: 2024-02-18 13:13 GMT

शामली। पुलिस अधीक्षक अभिषेक झा के निर्देशन में शामली थानाध्यक्ष समयपाल अत्री व एसओजी प्रभारी राहुल कुमार सिसौदिया ने अपनी पुलिस टीम के साथ मिलकर संयुक्त कार्रवाई करते हुए दो मादक पदार्थ तस्करों को 181.53 किलो अवैध गांजा के साथ दबोच लिया। आरोपियों के पास से बरामद की गई गांजा की कीमत लगभग एक करोड़ रूपये आंकी जा रही है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से तस्करी में प्रयुक्त ट्रक भी कब्जे में ले लिया। पुलिस ने गिरफ्तार किये गये आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया है।

पुलिस अधीक्षक अभिषेक झा ने पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि थाना कोतवाली शामली पुलिस की संयुक्त कार्यवाही में मादक पदार्थ की तस्करी की सूचना पर कार्यवाही करते हुए सिम्भालका बाईपास शामली-मेरठ रोड़ से दो मादक पदार्थ तस्करों को 181.53 किलो ग्राम गांजा व तस्करी में प्रयुक्त 1 ट्रक सहित गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किये गये तस्करों ने पुलिस को अपना नाम राजीव शर्मा पुत्र धर्मवीर शर्मा निवासी ग्राम मालेण्डी थाना गढीपुख्ता जनपद शामली और शाह मौहम्मद उर्फ शान पुत्र मौहम्मद तहसीन निवासी मौहल्ला मीरा रैती कस्बा गढ थाना गढमुक्तेश्वर जनपद हापुड़ बताया है।

पुलिस द्वारा आरोपियों से पूछताछ करने पर आरोपी राजीव ने बताया कि मेरा टूर एण्ड ट्रैवल्स का काम है। मै वर्ष 2007 से इस काम में हूँ। पहले मै दिल्ली में नौकरी करता था। बस मालिकों से उनकी बसों को किराए पर लेकर सवारियो, लेवर, मजदूरों को भारत भ्रमण पर भेजते थे। सन 2019 में कोरोना कारण काम बन्द हो गया तब मैं वापस शामली आ गया। हालात सही होने पर दोबारा करनाल अनाज मण्डी के पास टूर एण्ड ट्रैवल्स का काम शुरु किया और अपना आॅफिस खोल लिया लेकिन वर्ष 2020 में कोरोना में काम बन्द होने की वजह से मुझ पर काफी कर्जा हो गया। उसी दौरान मेरी जान पहचान दादा वीरगंज जो नेपाल का रहने वाला है, उसने कहा कि आसाम गुवहाटी साईड से एक हरें रंग की घास आती है तुम इस बार जब बस भेजो तो मेरे लिए वो घास मंगवा देना मै उसके बदले तुम्हे अच्छे रुपये दूंगा। मुझे लगातार घाटा होने की वजह से मेरे घर में भी क्लेश रहने लगा और किराया भी समय पर नहीं जा पा रहा था। उसी दौरान अचानक फिर से मेरे पास दादा वीरगंज आये और कहने लगे कि आमदनी का काम है कर ले तेरी हालत बहुत खराब हो चुकी है। दो तीन बार माल लाने में ही तेरा सारा कर्जा उतर जाएगा तब मैने अपने भरोसे के ड्राइवर शाह मौम्महद को इस काम के लिए तैयार कर लिया। फिर हम लोग, दादा से मिलने मोतीहारी (बिहार) गये। दादा ने हमें हरी घास (गांजा) की तस्करी करने एवं एक चक्कर के ढाई से तीन लाख रुपये देने के लिए कहा तो हम दोनो तैयार हो गये। दादा ने कहा कि जैसे ही कोई माल बंगाल का या आसाम का मिले तो मुझे बता देना उधर से मै माल डलवा दूंगा। शाह मौहम्मद अपने ट्रक को लेकर बंगाल चला गया और वहां से माल खाली करके दादा के बताएनुसार अगरतला गया। दादा वीरगंज ने हरी घास (गांजा) के 42 पैकेट शाह मौहम्मद को दे दिये, जिन्हे लेकर शाह मौहम्मद वहां से बिहार होते हुए, गजरौला उ0प्र0 आकर मुझे भी खबर कर दी। मैं मेरठ गया और वहां से हम दोनो गाडी में बैठकर आ रहे थे लेकिन रास्ते शामली में सिम्भालका ओवरब्रिज के नीचे हमें पुलिस ने पकड लिया। दादा वीरगंज के पते के बारे में पूछा तो बताया कि वो नेपाल काठमाण्डू का रहने वाला है।

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