डीजी जेल आनन्द कुमार ने कोरोना काल में 64 जनपदों में बनाई 83 अस्थायी जेल
पुलिस महानिदेशक कारागार आनन्द कुमार ने कोरोना काल के कारण जेलों में बन्दियों के लिये मनोरंजन के कार्यक्रम चलवाने का काम भी किया है
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पुलिस महानिदेशक कारागार के मार्गदर्शन में प्रदेश की जेलों को कोरोना के संक्रमण से बचानेे हेतु सघन प्रयास किये जा रहे हैं। कारागारों में निरूद्ध बन्दियों के युद्ध स्तर पर अधिकाधिक कोविड टेस्ट कराये जाने के प्रयास चल रहें हैं, जिसके तहत अब तक 70 हजार से अधिक टेस्ट कराये जा चुके हैं, जिनमें से 1690 बन्दी तथा 59 जेल स्टाफ संक्रमित पाया गया है। जब से आईपीएस आनन्द कुमार ने पुलिस महानिदेशक कारागार के पद की कमान संभाली है। पुलिस महानिदेशक कारागार आनन्द कुमार ने प्रदेश की जेलों को संवारने का काम किया है। पुलिस महानिदेशक कारागार आनन्द कुमार ने कोरोना काल के कारण जेलों में बन्दियों के लिये मनोरंजन के कार्यक्रम चलवाने का काम भी किया है।
अपर मुख्य सचिव, गृह एवं कारागार अवनीश कुमार अवस्थी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि सुखद स्थिति यह है कि शत-प्रतिशत बन्दी उपचारोपरान्त स्वस्थ हो रहे हैं। सत्त निगरानी एवं सतर्कता के कारण प्रदेश के कारागारों में निरूद्ध बन्दियों में कोरोना संक्रमण को कम किया जा सका है। प्रदेश की जेलों को कोरोना संक्रमण से बचाने हेतु किये गये उपायोें के तहत 64 जिलों में अब तक कुल 83 अस्थायी जेलों का निर्माण किया जा चुका है। नये आने वाले बन्दियों को सर्वप्रथम इन अस्थायी जेलों में रखा जा रहा है तथा कोविड टेस्ट कराने पर निगेटिव रिपोर्ट पाये जाने के पश्चात ही इन बन्दियों को स्थायी जेलों में निरूद्ध किया जा रहा है।
पुलिस महानिदेशक कारागार आनन्द कुमार ने इस संबंध में की गयी कार्यवाही का विस्तृत ब्यौरा देते हुये बताया है कि जेलों में बैनर, पोस्टर एवं पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम द्वारा बन्दियों को कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक किया गया। पुलिस महानिदेशक कारागार आनन्द कुमार ने बताया कि नये बन्दियों के टेस्ट में पाॅजिटिव पाये जाने पर उन्हें विभिन्न कोविड अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है। उनके निगेटिव पाये जाने पर भी सतर्कता बरतते हुये इन बन्दियों को स्थायी कारागार में भी 14 दिन तक क्वाॅरेंटाइन में रखने की व्यवस्था की गयी है।
कारागार में आगन्तुकों तथा बन्दियों के परिजनो से संक्रमण की सम्भावना को समाप्त करने की दृष्टि से कारागारों में उनका प्रवेश पूर्ण रूप से निषेध कर दिया गया है तथा बन्दियों की परिजनों से होने वाली प्रत्यक्ष मुलाकात को रोक दिया गया है। कारागारों में स्थापित पीसीओ के माध्यम से मुलाकात के स्थान पर अब बन्दियों की फोन से उनके परिजनों की वार्ता कराई जा रही है। कोरोना काल में मुलाकात बन्द होने के कारण बन्दियों में अवसाद की स्थिति उत्पन्न न हो इस हेतु जेल रेडियों तथा जेलों में लगे टेलीविजन के माध्यम से बन्दियों को अध्यात्म तथा स्वस्थ मनोरंजन के कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं। न्यायालयों में बन्दियों को प्रस्तुत करके पेशियां भी नहीं कराई जा रही है। विकल्प के तौर पर बन्दियों की रिमांड की कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कराई जा रही है।
प्रदेश की जेलों में सिलाई यूनिटों की स्थापना कराकर मास्क निर्माण का कार्य किया जा रहा है। बन्दियों को भी मास्क व सैनिटाइजर बनाने में अपना योगदान देने हेतु प्रोत्साहित किया गया। परिणाम स्वरूप अब तक लगभग 30 लाख मास्क तथा 2400 पीपीई किट का निर्माण किया जा चुका है। विभिन्न कारागारें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सैनिटाइजर का भी निर्माण कर रही है। लगभग 14.5 लाख मास्क तथा 250 पीपीई किट विभिन्न शासकीय तथा गैर शासकीय संस्थानों को प्रदान की गयी है।
आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए कारागारों में निरुद्ध बंदियों का इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए पौष्टिक आहार, आयुर्वेदिक काढ़ा तथा होम्योपैथिक औषधियां नियमित रूप से दी जा रही हैं। कोरोना काल में बन्दियों की इम्युनिटी बढ़ाने तथा उन्हें स्वस्थ रखने के उद्देश्य से सभी जेलों में प्रातः योगा कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।