दबाव में नहीं होगी सरकार के साथ कोई भी बात- टिकैत

दरअसल कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने बीते वर्ष के सितंबर माह में 3 नए कृषि कानूनों को लागू किया था।

Update: 2021-02-06 11:17 GMT

नई दिल्ली। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा है कि हम दबाव में आकर सरकार के साथ कोई बात नहीं करेंगे। अगर सरकार ने तीनों नये कृषि कानूनों को 2 अक्टूबर गांधी जयंती तक वापस नहीं लिया तो किसान आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि हमने सरकार को 2 अक्टूबर तक का समय दे दिया है। इसके बाद हम आगे की योजना बनाएंगे।

राजधानी दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के साथ केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों लाए गए नए कृषि कानूनों को वापिस ले जाने की मांग को लेकर धरना दे रहे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि सरकार दबाव बनाकर किसानों के आंदोलन को खत्म करना चाहती है। हम सरकार के किसी भी दबाव में आकर उसके साथ बातचीत नहीं करेंगे। उन्होंने 2 अक्टूबर गांधी जयंती तक की डेडलाइन जारी करते हुए कहा कि यदि सरकार 2 अक्टूबर गांधी जयंती तक नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो हम आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर देंगे।


उन्होंने कहा कि सरकार कृषि कानूनों को तुरंत वापिस ले और देश में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाएं। अन्यथा देश भर में चल रहा आंदोलन लगातार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हम आंदोलन को तेज करने के लिए देशभर में यात्रा करेंगे और पूरे देश में किसानों को अपने साथ जोडकर आंदोलन को फैलायेंगे। गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दिए जाने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसान देश की राजधानी दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डरों पर पिछले 2 माह से भी अधिक के समय से आंदोलन करते हुए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार 6 फरवरी को इस आंदोलन को शुरू हुए पूरे 73 दिन हो चुके हैं।

दरअसल कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने बीते वर्ष के सितंबर माह में 3 नए कृषि कानूनों को लागू किया था। लागू करते वक्त सरकार ने कहा था कि नए कृषि कानूनों के लागू हो जाने के बाद किसानों की फसल के बीच से बिचैलियों की भूमिका समाप्त हो जाएगी। और किसानों को देशभर में कहीं पर भी अपनी फसल बेचने की अनुमति होगी। उधर किसान इन तीनों नये कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते हुए आंदोलन कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि नये कृषि कानून देश के उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से लाए गए हैं। नए कानूनों से मंडी और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।

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