मौत को नहीं जिंदगी को गले लगाएं
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसीके वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है ।
नई दिल्ली । आगरा में थाना जगदीशपुरा में एक व्यक्ति ने फांसी लगाकर जान दे दी। घर से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है जिसमें लॉकडाउन की वजह से कर्ज होना बताया गया है। थाना जगदीशपुरा के गढ़ी भदौरिया के नाला गोपालपुर में रघुवीर सिंह रहते थे। वह जूता कारखाने में काम करते थे। सोमवार को उनका शव फंदे पर लटका मिला। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को फंदे से उतारा। पुलिस को मृतक के पास से एक सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट में लिखा है कि नौकरी न लगने के कारण पूरा जीवन आर्थिक परेशानी में गुजरा, जो 25 हजार रुपये कैश हाथ में था वो लॉकडाउन में बैठकर खाने में खर्च हो गया है। अब आगे क्या होगा अभी काम बंद है। किराया-खर्च कहां से होगा इसी परेशानी आर्थिक तंगी के कारण में अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहा हूं।
तो वहीं ललितपुर जिले की जखौरा थाना क्षेत्र के किसान ने जहर खा कर जीवन खत्म कर लिया। जखौरा थाना की पुलिस के मुताबिक किसान कूरे अहिरवार (40) ने रविवार दोपहर बाद करीब दो बजे कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। परिजन उन्हें सरकारी अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मृतक डेढ़ बीघा कृषि भूमि का मालिक थे और इसी से अपने परिवार की जीविका चलाते थे। उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पुलिस का प्राथमिक जांच के आधार पर कहना है कि संभवतः गरीबी और कर्ज से परेशान होकर उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली है। बांदा जिले के नरैनी नगर पंचायत में कार्यरत सफाईकर्मी राममिलन बाल्मीकि (45) का शव रविवार दोपहर तालाब के पास बबूल के पेड़ पर फांसी के फंदे से लटका हुआ पाया गया है। पुलिस की जांच में परिजन आत्महत्या का कारण घरेलू कलह बता रहे हैं। मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। तो वहीं दिल्ली के साउथ-वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के स्पेशल स्टाफ में तैनात एक कांस्टेबल ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसको संदेह था कि वह कोरोना पॉजिटिव है और उसका परिवार प्रभावित हो सकता है। कांस्टेबल का नाम संदीप (34) था। मिली जानकारी के अनुसार, संदीप ने खुद को सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर खुदकुशी की है।
दिल्ली के मैदानगढ़ी इलाके में एक महिला ने महज इसलिए आग लगाकर आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसके पति ने बच्चे की ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्टफोन नहीं दिलाया था। घटना 27 मई की सुबह करीब 8 बजे की है जब मैदानगढ़ी एक्सटेंशन में रहने वाली 29 साल की ज्योति मिश्रा ने खुद को आग लगा ली। ज्योति मिश्रा के 6 और 4 साल के 2 बच्चे हैं। ज्योति एक स्मार्टफोन खरीदने के लिए जिद कर रही थी, क्योंकि बच्चों की ऑनलाइन क्लास चल रही थी। घर में एक स्मार्टफोन था लेकिन दोनों बच्चों के लिए 2 फोन चाहिए थे। प्रमोद ने बताया कि उसने ज्योति से कहा था कि वो लॉकडाउन के बाद फोन दिला देगा, लेकिन ज्योति जिद करके नाराज हो गई और खुद को आग के हवाले कर दिया।
कुछ दिनों पहले (14 जून) को सुशांत सिंह राजपूत ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। लोग रोजमर्रा की मुश्किलों में इतने गुम हैं कि अपने ही अंदर क्या मुश्किलें और परेशानियां जन्म ले रही हैं, इसकी अनदेखी करते रहते हैं। पर जब वही समस्या बड़ा रूप ले लेती है तो वे परेशान हो उठते हैं। लोगों को ऐसा कदम उठाने के पहले एक बार सोचना चाहिए कि इस तरह के कृत्य से उनके परिवार पर क्या असर पड़ेगा। अब रघुवीर सिंह और किसान अहिरवार के परिवार किस तरह रोजी-रोटी का इंतेजाम करेंगे? और अगर दिल्ली निवासी कांस्टेबल संदीप और उसके परिवार को कोरोना नहीं हुआ तो वे किस तरह अपनी जीविका चलाएंगे? ज्योति मिश्रा जो अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए इतनी फिक्रमंद थीं कि एक फोन न मिलने की वजह से उन्होंने सुसाइड कर ली अब उनके बच्चों को मां का प्यार कौन देगा? और सुशांत सिंह राजपूत के पिता इकलौते बेटे की मौत की खबर के बाद लगभग टूट गए हैं। अब उनके परिवार को कौन संभालेगा? सुशांत ने आत्महत्या को अंतिम विकल्प न चुना होता और सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाई होती तो वो देख पाते कि लोग उनसे कितना प्यार करते हैं और उनकी लड़ाई में उनके साथ होते। लोगों को यह समझना होगा कि समाधान हमेशा मौजूद रहते हैं, बशर्ते आपको खुद मजबूत बनना होगा, शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी। मानसिक समस्या को गंभीरता से लें जैसे शरीर में कोई बीमारी होती है, तो हम उसका पूरा इलाज करवाते हैं, ठीक वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य के प्रति रवैया रखें।
सुशांत सिंह राजपूत का अचानक चले जाना लोगों के लिए पहेली बन कर रहा गया है। किसी ने सोचा भी नहीं था कि केवल 34 साल की उम्र में एक उभरता कलाकार आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है। सुशांत की मौत ने सोशल मिडिया पर सुसाइड, डिप्रेशन, मेंटल हेल्थ को लेकर बड़ी बहस छेड़ दी है। लोग अपने किस्से, आप-बीती और दूसरों को मशवरे दे रहे हैं। आत्महत्या के कारणों की बात करें तो अधिकतर मामलों में लोगों को नाकामी और मुसीबत के डर से भागता हुआ देखा गया है। ये नाकामी सिर्फ सफलता की ही नहीं बल्कि कई तरह से हो सकती है। लोग प्रेम में नाकाम होते हैं, योजनाओं में असफल होते हैं। कई बार बुरे मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाते और कई बार कुछ न कर पाने की नाकामी भी उन्हें आत्महत्या की ओर अग्रसर करती है। ये बात सही है कि लोग नाकाम होने के बाद मानसिक तनाव में आ जाते हैं। यही मानसिक तनाव डिप्रेशन का कारण होता है लेकिन ये भी सच है कि हममें से अधिकतर लोग डिप्रेशन के शिकार हैं लेकिन सभी आत्महत्या के लिए नहीं सोचते। आत्महत्या के लिए लगातार उकसाने के लिए मन की दो धारणाएं, जिनमें व्यक्ति हर समस्या के लिए खुद को दोषी मानता है और दूसरी धारणा में वो ये सोचता है कि अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा, लोग क्या कहेंगे, जैसे सवाल व्यक्ति पर हावी रहते हैं। कुछ लोग किसी बात को लेकर भारी ग्लानि में होते हैं, उन्हें उस ग्लानि को कहने में और सच बताने से ज्यादा आसान तरीका आत्महत्या नजर आता है। इस तरह के कई मामले देखे गए हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा बीतता हो जब देश के किसी न किसी इलाके से गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, बेरोजगारी, कर्ज जैसी तमाम आर्थिक तथा अन्यान्य सामाजिक दुश्वारियों से परेशान लोगों के आत्महत्या करने की खबरें न आती हों। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में दुनियाभर में होने वाली आत्महत्याओं को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक दुनिया के तमाम देशों में हर साल लगभग आठ लाख लोग आत्महत्या करते हैं, जिनमें से लगभग 21 फीसदी आत्महत्याएं भारत में होती है। यानी दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा।
लेकिन जब इस मानसिक अवस्था में आत्महत्या जैसे ख्याल आने लगें तब व्यक्ति को इस बारे में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। हर कोई हर वक्त साथ नहीं दे सकता लेकिन साथ होना महसूस कराया जा सकता है। ये वक्त इतना कठिन है कि इस समय में दुनिया को ढेर सारा प्यार चाहिए। किसी के मन की बात सुन लेना, किसी को फोन कर हाल-चाल पूछ लेना, इस समय में सबसे खूबसूरत काम हो सकता है। लोग मन से बोझिल होकर दुनिया से चले जाने की बात करते हैं ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने आस-पास के मन से दुखी, परेशान, बोझिल हुए लोगों का थोड़ा सा गम बांट लें, शायद किसी की जिंदगी बच जाए। वो गाना तो सुना होगा किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसीके वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है...।
~नाज़नीन(हिफी)