कोरोना और टीकाकरण
भारत में कोविड-19 के वर्तमान संकट से उबरने के वास्ते लोगों का टीकाकरण किया जाना ही एकमात्र दीर्घकालिक समाधान है।
नई दिल्ली। अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने गत 9 मई को कहा कि भारत में कोविड-19 के वर्तमान संकट से उबरने के वास्ते लोगों का टीकाकरण किया जाना ही एकमात्र दीर्घकालिक समाधान है। उन्होंने इस घातक महामारी से निपटने के लिए घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोविड-रोधी टीके के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया। डाॅ. एंथनी की बात को गहराई से समझने की जरूरत है। टीकाकरण को उन्होंने दीर्घकालिक समाधान बताया है लेकिन सिर्फ टीकाकरण से ही कोरोना नियंत्रित हो जाएगा, ऐसा नहीं है। यदि टीकाकरण ही कोरोना को रोक सकता तो सेशल्स में कोरोना इस तरह से तबाही नहीं मचाता क्योंकि वहां सबसे ज्यादा तेज गति से टीकाकरण हुआ है। कोरोना अभी एक अबूझ पहेली की तरह है। अलग अलग देशों में इसका स्वरूप बदल रहा है। चीन से यह महामारी निकली थी, तब इसका मिजाज कुछ और था। चीन की सरकार भले ही टेढे स्वभाव की है लेकिन कोरोना वायरस तब उतना घातक नहीं था। यह वायरस ब्रिटेन पहुंचने पर उसी तरह कुटिल हो गया, जैसे ईस्ट इंडिया कम्पनी हुआ करती थी। वहां से भारत आया और यहां उसका चेहरा और क्रूर हो गया है। पिछली बार कोरोना ने इतनी जान नहीं ली थीं, जितने लोगों ने कोरोना की इस दूसरी लहर में दम तोड़ा है। इसलिए टीकाकरण के साथ संक्रमण से बचाव के उपाय करना और दवाईयां व आक्सीजन के साथ अस्पतालों का विस्तार भी जरूरी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रमुख चिकित्सा सलाहकार फाउची ने एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा कि इस महामारी का पूरी तरह से खात्मा करने के लिए लोगों का टीकाकरण किया जाना चाहिए। भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता देश है। उन्हें अपने संसाधन मिल रहे हैं, न केवल भीतर से, बल्कि बाहर से भी। उन्होंने कहा, यही कारण है कि अन्य देशों को या तो भारत को उनके यहां टीका निर्माण के लिए सहायता देनी चाहिए अथवा टीके दान देने चाहिए।
डॉ. फाउची ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत को तत्काल अस्थायी अस्पताल बनाने की जरूरत है, जिस तरह करीब एक साल पहले चीन ने किया था। उन्होंने कहा, आपको ऐसा करना ही होगा। आप अस्पताल में बिस्तर नहीं होने पर लोगों को गलियों में नहीं छोड़ सकते। ऑक्सीजन के हालात बेहद नाजुक हैं। मेरा मतलब है कि लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाना वास्तव में दुखद है।
फाउची ने कहा कि तात्कालिक तौर पर अस्पताल के बिस्तरों, ऑक्सीजन, पीपीई किट और अन्य चिकित्सा आपूर्ति की समस्या है। उन्होंने वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की जरूरत पर भी जोर दिया।
ध्यान देने की बात है कि हमारे देश भारत में कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक टीके की 17 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 9 मई को ही यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि एक दिन पहले देश के 30 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में 18-44 साल आयु वर्ग के 2,43,958 लोगों को कोविड-19 टीके की पहली खुराक दी गई। अब तक इस आयु वर्ग के 20,29,395 लोगों को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है। इन सभी को वैक्सीन की दूसरी डोज भी देना है। देश की इतनी बड़ी आबादी के लिए अभी टीकाकरण के आंकड़े कम हैं। केन्द्रीय मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में अब तक कोरोना टीकों की कुल 17,01,53,432 खुराक दी जा चुकी हैं। देश की आबादी 130 करोड है। इनमें 95,46,871 स्वास्थ्यकर्मियों को पहली जबकि 64,71,090 स्वास्थ्यकर्मियों को टीके की दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं। वहीं, अग्रिम मोर्चे पर तैनात 1,39,71,341 कर्मचारी टीके की पहली खुराक ले चुके हैं, जबकि 77,54,283 कर्मचारियों को दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं। अठारह से 44 साल के 20,29,395 लोग टीके की पहली खुराक ले चुके हैं। इसके अलावा, 45 से 60 साल की आयु के 5,51,74,561 लोग पहली, जबकि 65,55,714 लोग दूसरी खुराक ले चुके हैं। साठ वर्ष से अधिक आयु के 5,36,72,259 लोगों को पहली जबकि 1,49,77,918 लोगों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है। टीकाकरण की प्रक्रिया और तेज हो गयी है लेकिन इस बीच कुछ और समस्याएं आयी हैं। अस्पतालों में बिस्तरों की कमी,आक्सीजन का अभाव और चिकित्साकर्मियों की कमी भी कोरोना से मौत का कारण बन रही है। इसलिए सिर्फ टीकाकरण पर ही निर्भर रहना ठीक नहीं है।
इसका उदाहरण हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय देश सेशेल्स है । इस देश ने मार्च में अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए पर्यटकों के लिए अपनी सीमाओं को फिर से खोलने की घोषणा की। सेशेल्स पर्यटन उद्योग पर बहुत अधिक निर्भर है। द्वीपसमूह ने लगभग 100,000 की आबादी को टीका लगाने के लिए एक आक्रामक टीकाकरण अभियान शुरू किया और जल्द ही दुनिया का सबसे ज्यादा टीकाकरण वाला देश बन गया।
सेशेल्स ने संयुक्त अरब अमीरात से डोनेशन के तौर पर चीन के साइनोफर्म टीकों का उपयोग करके कोरोनावायरस (कोविड-19) के खिलाफ अपनी आबादी का टीकाकरण शुरू किया। बाद में, सेशेल्स ने कोविशिल्ड टीके का उपयोग किया, जो कि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एस आईआई) द्वारा निर्मित एस्ट्राजेनेका के शॉट का एक संस्करण है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, सेशेल्स की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी का पूरी तरह से टीकाकरण किया गया है और लगभग 70 प्रतिशत को कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक दी गई है। पूरी तरह से टीकाकरण आबादी का प्रतिशत इजराइल और यूनाइटेड किंगडम जैसे अन्य वैक्सीन दिग्गजों की तुलना में अधिक है। इन प्रभावशाली टीकाकरण के आंकड़ों के बावजूद, इस सप्ताह सेशेल्स में सबसे ज्यादा कोविड-19 के मामले सामने आए हैं, जो भारत से भी बदतर हैं, जहां आबादी के 3 प्रतिशत का भी पूरी तरह से टीकाकरण नहीं हुआ है। अवर वर्ल्ड इन डेटा के अनुसार, सेशेल्स में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन नए कोविड-19 मामलों के लिए नवीनतम 7-दिन का औसत भारत की तुलना में दोगुने से अधिक है। सेशेल्स में महामारी की शुरुआत के बाद से लगभग 7,000 कोविड-19 मामले सामने आए हैं, लेकिन यह 100,000 से कम आबादी वाले देश के लिए एक बड़ी बात है। इस सप्ताह के शुरू में, सेशेल्स ने संक्रमण को रोकने के लिए दो सप्ताह के लिए स्कूलों को बंद करने और खेल गतिविधियों को रद्द करने सहित नए उपायों की घोषणा की है।
बहरहाल, हमारे देश में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम जरूर मचा रखा है लेकिन कोरोनावायरस के बढ़ते ग्राफ के बीच पिछले 24 घंटे में कोरोना से थोड़ी राहत मिलती दिखाई दे रही है। नए मरीजों का आंकड़ा 5 दिन में पहली बार 4 लाख के नीचे आया है। पिछले 24 घंटे की बात करें तो देश में कोरोना के 3 लाख 66 हजार 161 नए मरीज सामने आए ,जबकि 3,754 लोगों को इस दौरान अपनी जान गंवानी पड़ी है। एक दिन पहले की बात करें तो देश में कोरोना के 4 लाख 3 हजार 738 नए मामले सामने आए थे जबकि 4092 मरीजों की मौत हुई थी। (हिफी)